पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/२१२

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२१. गयास-उद-दोन पाम भेजो थो। मिवा इसके गयाम-उद-दीन की बेरह में उनके बङ्गाल प्रानका बड़ा तकाजा। जब लोग मौका दूसरा सुबूत नहीं मिलता । यह ७ माल मुनमि- हाफिजके पाम पहुंचे, उन्होंने बगैर कुछ कहे सुन पहले फोसे मलतनत करक १३७३ ई०को मरे । उनको मुनमि- दूमरा मिसरा सुना दिया। पछि हाफिजने चिट्ठी पढ़ो। फो पर एक कहानी कहते हैं -किमो दिन गयास उद् उन्होंने जवाब भेज दिया, परन्तु बङ्गाल जानसे इनकार दोन कमानलं करके तोर चलाते थे। अचानक एक तीर किया । जा करके किमी बैवाक लड़कको लगा। बवान काजीक गयाम-उद-दीन लिखने पढनर्क बर्ड शोकान थे। पाम उन पर नानिश को थी । काजीने उन्हें अदालतमें इन्होंने वीरभूम नगर नामक शहरकं रहनेवाले फकोर हाजिर होनेको कहा। गयाम उदः टीन एक तन्नवार हामिद उद्-दोनसे धर्म नोति मोवो थी। पर कुतुब- अपनी पोशाकमै छिपा करके अदालत पहुंचे थे। उन्न-अल्लम इनके माथ पढ़नेवाली रहै। सवर्णग्रामको काजाने कहा-तुमने हम गरीब ब वार्क लड़के को मारा टूटी फ टी इमारतों में इनकी कब्र आज भी मोजद है। ३. दम लिये यातो इसे किमो तरह राजो करो, नहीं गयाम-उद्-दोन ---बङ्गालके एक मूवेदार। इनका दमरा तो फ मन्ने के मुताबिक मजा भैलो । मुलतानने मन्नाम नाम इमाम उद-दीन राज था। यह ईरान-गोर राज्य- करके उम बैवाको ख ब दोलत दी थी। उसने गयामको के कि.मी बई खानदानमें पैदा हुए और उम्र बढ़न पर माफ कर दिया पार काजीकै पाम राजीनामा दाखिल रुपया कमान के लिये तुर्कस्तान पहुंचे। वहाँ पुश्त अफगेज किया । काजीन जब उन्हें जानके लिये कहा, मुलतानने नामक किमी पहाड़ पर चढ़नेम इन्होंने दो फकीराको तलवार निकाल कर बताया था-'यदि हम फैमले में देखा था। फकोरांने उनसे पूछा -तुम्हार पाम खनिकी पापको जरा भी तरफ दारो देखता, इमो हथियारमे कोई चीज है। उस वक्त इन्होंन खाना 'नकाल कर पापका मर उतार ले ता । अपनी मलतनतमें एमी मुन- रख दिया, फकोर लोग उसे खान लंग, फिर पर सिफो होन पर मैं परमेश्वरका शुक्रिया अदा करता है। पानी ले आये थे। फकोरीन खा पी करके इनम कहा.. काजी भी अपना आमा देवा करके कहने लग-- आप तुम हिन्दुस्थान चल जाओ, वहा तुम्हारे लिये तरू त खाली यदि नटखटपन करत, यह मोटा आपका जिम्म तोड़ है। यह उम बातको मान कर हिन्दुस्थान पहुंचे घालता। सलतानने उम पर और भी राजो हो करके आर बखतियारको मातहतोंमें काम करने लगे। बख- काजीको इनाम दिया था। तियान इन्हें बङ्गालमें ले जा करक गङ्गतगका हाकिम और भो एक कहानी है। गयाम कुक खुशतबा 2 बनया था । परन्तु आज तक डमका कोई पता नहीं तीन फलांक नाम पर उनकी तीन उपपत्नियां रहीं। गङ्गतरो कहां थी। जो हो, यह थोडे दिनों बाद देव- एक मरतबा बहुत बीमार होने पर उन्होंने लोगौम कह कोटक मुबदार हो गये। उस वक्त देवकोट एक बडी मखा था-मेर मरने पर यहो तोनी औरतें मेरे जिम्मको छावनी थी। इनको मददम बादशाहक अहलकारीन नहन्नायंगी। परन्तु थोड़े दिनों बाद उनकी जोमागे मुहम्मद मबान और दूमर खिनजी मरदारांको जीता। दर हो गयी। इन तीनों उपपत्रियों पर ज्यादातर दिलीक बादशाहन बखतियार खिलजीक पोके अलो. मुहब्बत रहनम दूमरी उपपत्नियां डाहम गोशान, कह मर्दान खिलजाको बङ्गालका तख्त मांपा था: अलो- कर उनका मजाक उड़ाया करती था। सुलतान उमका मर्दानके आतं वक्त यह कुशी नदी किनार जा करके खबर पा करक मोचने लग, कम उन तीनको कद्र उनमे मिले और उनके पोछ पौछ देवकोट पहुच उनको बढ़ाना चाहिये। अखीरको उन्होंन तोनक नाम एक तख्त पर बैठा दिया। ६०७ हिजरीको बादशाह शायरी बनायी थी। परन्तु उमका पहला मिमग लिख कताब-उद दोनके मरन पर अलीमर्दानन दिल्लीकी मात. करक वह आखरी गिरह लगा न मकै । पीछिको फारम- हती न मान आजाद हो करके अपना नाम अलाउद्दीन के मशहर शायर हाफिजके पास लोग भेजे गये। चिट्ठी- रखा था। परन्तु २ साल बाद ही खिलजियों ने उन्हें