पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/२१४

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२१२ गयास उट् दोन तुगलक हफ तर्क बीच चारों ओर इतनी अच्छी तरकीब लगायो, वहाटुर पूर्व बङ्गालके सूबेदार थे। उनकी राजधानी जो बहुत दिनोंसे देखने में न आयी थी। काबिल शखस सुवर्णग्राममें रही। उन्हों ने बादशाहको परवा न समझ कर इन्हनि उमराको खिताब और जागीर भो करके अपने नाममे रुपया चलाया था। उनके जोर दंडाली । उस वक्त हिन्द स्थानमें मगलों का जोर जुल्म जुल्मसे मब जलते रहे। गयास-उद-दीनके पाते वक्त बढ रहा था, इन्हों ने मब म रुकको अच्छी तरह त्रिहत पहचने पर लखनऊके नवाब शहाब-उद-दीन बचानका इन्तजाम किया और खुशरुके तरफदारोंको बघरा शाह या बघरा खॉने उनकी मातहतो कबूल की। दबा दिया। बड़े बेटे उलग खां मन्नतनतके वारिश ठहः इन्हीं शाहब-उद्दीनने अपने भाई सुवर्णग्रामके बहा- गये और दूमरं लड़के ओर और मल्को को मख तार दुर शाह पर बादशाहके पास नालिश दायर की थी। बना । रके पह, चाये गये। इममे बह तसे मल्को ओर यह सुवर्णग्राम गये और बहादुरको हरा करके गम्लेमें किलों पर बादशाह का दखल हो गया। लखनऊमें बनवा रम्मी डाल दिल्ली भेजते हुए अपने आप भी दिल्ली- होने पर यह उलग खॉको दिल्ली में छोड़ अपने आप वहां को चल पड़े। राहमें इन्हों ने त्रिहत जीता था। राज- पहचे और वहां बलवाइयों को हरा बहतसी दौलत धानी पहुंचते वक्त शाहजादे उलग खाने इनको अगवानी जवाहगत ले चल । मितार गांवके हाकिम बहादुर ___ को आगे आ अफगानपुरमें लकड़ीका एक मकान बना ग्वॉन इनका ह म न माना था। उनके गले में जनोर करके उसमें इनकी अभ्यर्थना की। तरह तरहकी धूम- डाली गयी और उममे वह खीच कर लाये गये। धामके पीछे गयास-उद-दीन वहांमे दिल्लीको चलने लगे। योई दिनों बाद बरङ्गन्नमें बलवा उठा था। बाद उसी वक्त लकड़ीका मकान उन पर फट पड़ा और यह शाहक लड़के उन्लग खनि जा करके शहरको घेर लिया। चल बसे । कोई कोई कहता है कि शाहजादे वह त गजा लडडग्देव उनसे बड़े जोरों में लड़े थे । गर्मी और दिनो मे उनके मारनेको फिक्रमें थे और इमौके लिये लुमे घबग करकं बादशाहकी फौज धड़ाधड़ मरने वह मकान बनाया गया था। राजावलीग्रन्यमें लिखा लगो। मिपाही दिमो लौटने पर तुल गये और बह तमे है कि उस वक्त दिल्ली में औलिया नामके एक महापुरुष आदमो फौजदारमै बैंकह सुन रातको भाग खड़े हुए। रहे। उन्हें सब सोग बादशाहसे ज्यादा मानते थे । शाहजाटको लाचार हो घेरा छोड़ करके लौटना ण्ड़ा। बङ्गालसे लौटते वक्त राहम बादशाहने उन्हें लिख लौटत वक्त दुश्मनों ने पीछा करके बह तसे मिपाही मार भेजा-चाहे आप दिल्ली में रहें चाहे मैं, दोनों एक जगह पाल । दिल्ली वापस आन पर शारजादे नई फौज इकट्ठा नहीं टिक मकते। महापुरुषने इसके उत्तरमें लिखा करके फिर लड़नको चन्ने थे । इस मरतबा बिदर और था-दिल्ली अभी बहुत दूर है। बादशाह यह बात बरगन्ल पर दखन्न हो गया। उन्होंने गजाको बांध सुन तुगलकाबादके जिस घरमें जा करके रहे, उसोको करके दिल्ली भेजा था। छत टूट करके उनके ऊपर गिर पड़ी । यह घटना ___इमो बीचमें एक बार अफवाह उड़ी-सुलतान १३२५ ई० ( ७२५ हि०) को हुई थी। इन्होंने मर गये । इस अफवाहके उड़ानेवालोंको सुलतानने दिनी शहर नये सरसे बना करके तुगलकाबाद नामका पकड़ करकं जीतेजी काबमें गड़ा दिया। बादशाहने उनसे किला बनाया । 'तारीख मुबारक शाही' नामकी किताबमें कहा था-तुमने झूठ ही जोते जी मुझे दफमाया है, लिखा है कि वह किला बनाने में ३ सालसे भी ज्यादा में मचमुच तुम्हें जीते जी कब्र में पहुंचा दूंगा। वक्त लगा था। किला रेतीले पत्थरका बना है। अरब बङ्गालक लोगों ने अपने मूबेदारकी कुछ शिकायत परिव्राजक इब्न बतूताने मुलतानको जुमा मसजिदमें को ध।। १२४ हि०को यह अपने पाप उसकी तहकी- एक खुदी हुई शिल्पलिपि देखी थी। उसमें बादशाह- कात करने चले और जाते वक्त शाहजादे उलग खाँको के बारे में लिखा है-इमने २८ मरत वा तातारियोंको दिल्ली में सनसनतका कामकाज सौंप गये। उस वक्त मला करके हराया है। इससे हमारा नाम मासिक.