पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/२१७

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नयास-उद-दीन महमूद घोरि-गरजउल २१५ रात्रिमें मुहम्मद अली शाहके नौकरीने इन्हें मार डाला। गर ( म० क्ली० ) ग्यारह करणोंमें से पांचवों करण । “वय- गयास उद-दीन महमूद घोरि-घोर और गजनीके अधिपति वालयकोलवत तिलाख्यगर वणिजविष्टि सज्ञानाम । (तसहिता २६४) गयास-उद-दीन मुहम्मद के पुत्र । पिताका मृत्य होनेके | २ विष, जहर । ३ वत्सनाभ नामक विष। ४ मम्मोर- बाद उसके पित्त्य शाहाब-उद-दीन सिंहासन पर आरूढ़ जनित विष । (पु०) गीर्य ते इति कर्मादी अच । ५ विष. हुये ओर उनके मरने पर गयास-उद-दीन महमूदन जहर । ६ उपविष । ७ रोग, बीमारी। राजत्व लाभ किया। ये बहुत आलसी राजा रहे । १२१० गरक ( अ० वि० ) १ निमग्न, इ बाहुवा । २ विलुप्त, नष्ट, ई में इनका देहान्त हुआ। बरबाद । ३ किमी कार्य में लोन या मग्न । गयास उद-दीन मुहम्मद-एक ग्रन्थकार। ये युक्त प्रदेशमें गरकाव ( फा० पु० ) १ डू वनेका भाव, ड बाव। (वि.) लखनऊके अन्तर्गत साहाबाद परगनाकं मुस्तफाबाद या २ निमग्न, ड बाह.आ। ३ बहुत अधिक लीम। रामपुरमें रहते थे । यह जलाल उद-दीन पुत्र और सरफ गरकी ( अ० स्त्री० ) १ अतिवृष्टि । २ ड वनकी क्रिया वा उद-दीनके पौत्र रहे। गयाम-उद-दीनन चौदह वर्ष अन भाव । वरत परिश्रम करके १८२६ ई० में "गयाम-उल-लुघात्" गरग-बम्बई प्रदेशक धारवार जिलेका एक गण्डग्राम । नामक अभिधान पारमी भाषामें मम्प र्ण किया था। इसके यह धारवारसे १० मील उत्तर-पश्चिममे अवस्थित है। अतिरिक्त और बहुतमी किताव उन्होंने रचना की है। लोकसंख्या प्रायः ४५०० है। मोटे सूती वस्त्रका व्यव गयाम-उद-दीन मुहम्मद घोरि- घोर और गजनोके अधि- माय यहां अधिक होता है। पति । ११५७ ई०में राजत्व लाभ करके इमने अपने भाई गरगज ( हिं० पु. ) १ तोप रखनका बज जो किले की शाहब-उद्दीन महम्मद पर गजनीका शासनभार अर्पण दीवारों पर बना हुआ रहता है । २ युद्धको सामग्री किया। १२०३ ई०के १२वों मार्च वुधवारको इनकी रखी जानेको कृत्रिम टोला । मृत्य हुई। गरगरा ( हिं० पु० ) घिरनी, चरखी। गयामाबाद---बङ्गाल प्रान्तक मर्शिदाबाद जिलेका एक गरगवा (हिं० पु०) एक प्रकारको घास जो धानको फसल प्राचीन नगर। यह अक्षा०२४१७३३° उ. और बढ़ने नहीं दे तो । इसे सिर्फ भैसे खात हैं। देशा० ८८ १६ ४१ पू॰में आजमगञ्जमे ३ कोम उत्तर | गरगीण ( मं० त्रि.) जिमन विष पान किया है।। भागीरथोक दक्षिण उपकूल पर अवस्थित है। इसका गरगीर्णी ( मं० पु०) १ वह जिमन विष पान किया हो। वाचीन नाम बदरीहाट है । गौड़क किमी पठान नवाब २ एक ऋषि। गयाम-उद-दीनके नामसे गयामाबाद कहा जाता है। गरन (मं० पु. ) कृष्णार्जक, कृष्णपत्र क्षुद्रतुलमी । २ विष- स्थानीय ध्वमावशेष देखनेमे यह वह त पुराना नगर नाशक । ३ वर्वर, बबून्न । जैमा समझ पड़ता है। उसमें एक दुर्ग, राजप्रासाद, गरनी (मं० पु०) गरघ्न-डीए । मत्माविशेष, गई मचली । पालि भाषाकी लिपिम खोदित प्रस्तरस्तम्भ, स्वर्गम द्रा इमका गुण-मधुर, कषाय, वातपित्त और कफनाशक, सथा मृत्पात्रादि मिलते हैं। इसका कोई इतिहाम नहीं, रुचि और वलवीर्यकर है। (भावप्रका) पहले वहां किस वंशीय राजा राजत्व करते थे। पालि गरज (हिं० स्त्री० ) बहुत गम्भीर और तुम ल शब्द । भाषालिखित शिलाफलक देखनसे अनुमान होता है कि ग़रज (अ० स्त्री० ) आशय, प्रयोजन, मतलव। पहले वहां किसी बौद्ध गजाका राजत्व रहा । ध्वमाव- गरज उन्न-विहुत जिलान्तर्गत एक विभाग । इसके शषकी कुछ चीज' कलकत्ते के अजायब घरम ला करक रखी गयी हैं। और छ उपविभाग हैं । गण्डक, छोटी गण्डक, बिया, नून गयेर ( सं० लौ० ) मा (Saliva)। और कदाना कई एक नदियां हम विभागमें हो कर प्रवा- गांड (हिं. पु.) मट्टीका घेरा जी चक्कीक चारो तरफ । हित हैं । इम विभागके प्रधान नगर मुजफ फरपुर और पाटा गिरनेके लिये बनाया जाता है। ताजपुर हैं। मुजफ्फरपुरसे हाजीपुर तक दो रास्त गये