पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/२१८

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गरम-गरनाल है। पुराना राम्ता शाहपुर और नया रास्ता गुड़िया होते। "अनिदो गरदय शस्त्रपापि माप: (मन १९५४।) इये इटावरमें खॉ मराड नामक स्थान पर एक दूसरेसे (क्लो०) ग भावे अप् गरी भक्षणम् । २ विष, जहर । मिल गये हैं। एक रास्ता हाजीपुरसे कन्हौली और महोवा ३ एक प्रकारका रेशमी कपड़ा। थाना होता हुआ पूमा और दरभङ्गा तक चम्ना गया गरदन ( फा० स्त्री० ) १ धड़ और सिरका जोड़ने वाला है। गरजउलके मध्य लालगञ्ज और महोवा नामक | अंग, ग्रीवा । २ लम्बी लकड़ी। यह जुलाहो की ग्राममें बाजार है। कनहोली, घटाफ तथा रसुलगंज लपेटके दोनों मिरों पर आड़ी माली जाती है, साल, नामक और कई एक प्रधान ग्राम इमके अन्तर्गत है। बरतन आदिका ऊपरी पतला भाग। गरण (म.ली.) ग मेचन, ग निगरण वा भाव ल्य ट।१ गरदन घुमाव (हिं० पु ) एक प्रकारका कुन्तीका पंच। मेचन, मोचन । २ भक्षण, भोजन, खाना । इसमें खेलाड़ी अपने जोड़का दाहिना वा बायां हाथ गरजन (हिं. पु०) १ गभीर शब्द, गरज, कड़क । २ गर धर कर अपने गले पर रखते और उसे सामनेकी ओर मनका भाव। ३ गरजनको क्रिया । पटक देते है गरजना ( अ० कि. ) १ बहुत गंभीर और तुमुल शब्द गरदना ( हिं० पु० ) १ मोटी गरदन। २ वह धील मा करना। २ चटकना, तड़कना। झटका जो गरदन पर लगे । गरज़मन्द ( फा. वि. ) १ जिम आवश्यकता हो, मरूरत- गरदनियां (हिं. स्त्री०) गरदन पकड़ कर किसी आदमी- बाला। २ इच्छ क, चाहनेवाला । को वाहर निकालनेकी क्रिया। गरजी ( अ. वि. ) १ गरजमन्द, गरजवाला। चाहने- गरदमी ( हिं० स्त्री• ) १ कुरते आदिका गला । २ गस्लेमें बाला। पहननेका एक प्रकारका आभूषण, हंसुली। ३ मई। गरजुभा (रि. स्त्री० ) एक तरहको खुमी। यह खेत चन्द्र, गरदनियां। ४ घोड़े की गरदन पर बांधनका रंग लिये गोलाकार होती है। बर्षा ऋतुकै पहला पानो कपड़ा। ५ कारनिस, कङ्गनी। ६ कुश्तीका एक पंच । पड़ने पर यह प्रायः माख आदिके वृक्षों के निकट वा गरदर्प ( सं• पु० ) सर्प, सांप, भुजङ्ग । मंदानों में पृथ्वीसे निकम्न आती है। इसके अपर सिर्फ गरदा ( फा• पु० ) धूल, मट्टी, खाक, गर्द। गूटा हो हाता है। इसको तरकारी स्वादिष्ट होती है। गरदान ( सं• क्लो० ) दा ल्य ट। गरस्य दानम्, ६ तत् वह तो का विश्वास है कि यह बादलके गरजनमे पृथ्वीसे विषप्रदान, जहरका देना। निकलतो है। मफरा, गगनफ ल इसके भेद हैं। गरदान ( फा० वि० ) २ घूम फिर कर एक ही स्थान: गरज (हि.वि.) गरको देखो! पानवाला। (पु.) ३ वह कबूतर जो घूमफिर । गरट्ट (हि.पु.) समूह, मुगड़ । अपने स्थान पर आता हो। गरडेन रीच-बङ्गालके चौवीम परगना जिलेका एक शहर। गरदानना ( फा० क्रि० ) १ शब्दोंका रूप साधना । यह अक्षा० २२ ३३ उ• और देशा० ८८ १८ पू. के बीच २ पुनः पुनः कहना । ३ गिनना, समझना, मानना। गली नदीक पूर्वोय तौर पर अवस्थित है। यहांकी | गरदुआ ( हिं• पु. ) पशओंका एक प्रकारका ज्वर । यह जनसंख्या २८२११ है। जिनमेंसे १२१८१ हिन्द, १५७७८ | वर्षाऋतुके आरम्भमें बहुत भींगनेके कारण हुआ करता मुमनमान और १८७ ईमाई है। यह शहर कल- है। इस ज्वरमें पलके सब अंग जकड़ जाते और गले में कत्ताके प्रामपाम एक प्रसिद्ध वाणिज्य स्थानमें गण्य है। घरघराहट होने लगती है। यहांको प्राय लगभग ४८००० रुपया और व्यय ४६००० गरध्वज ( सं० लो० ) अभ्रक, अबरक । गरधरन ( सं• पु०) विषको धारण करनेवाला, शिव, गरद (सं० वि० ) गरं विषं ददातीति गर-दा-क । १ विष महादेव। प्रद, विष्टेमवाला: गरनाल ( हिं० सी० ) एक बहुत चौड़े मुखको तोप।