पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/२१९

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गरनाशिनो-गरहाजिगे इसका मह इतना चौड़ा रहता है कि इसमें आदमी। जमीन उनसे छोन् लो। उम ममय गोसॉई वृन्दावनमा सहजसे चला जा सके, धननाल, घननाद ।। रहते थे और वे अपना अधिकार पुन: पलटाने को कुछ गरनाशिनो ( मं० स्त्रो० ) पोतवर्ण देवदालोलता, देवदारु ।। भी चेष्टा न की। जब इसके विषय में सरकारको ओर गरप्रिय ( मं• पु० ) वह जिमको विष प्रिय लगता हो, तहकोकात् हो रही थी तोभी सरकारने ३३१ एकर शुरू शिव, महादेव। | रहित जमीन उन्हें प्रदान की है। गरबई (हिं. स्त्री० ) अभिमानका भाव । गरम्लि-नानिबम्बई प्रदेशके काठियावाड प्रदेशका एक गरबाना ( अ० कि. ) घमगडमें आमा, अभिमान करना, ग्राम। यहाँ स्वतन्त्र एक जमीन्दार हैं जो सिर्फ बरोदा शेखा करना। गायकवाड़को कर देते हैं। गरबा ( पु०) एक प्रकारका गीत जो प्रायः गुजराती गरमिल मति --बम्बई प्रदेशके काठियावाड प्रदेशका एक स्त्रियां गातो हैं। ग्राम। यह ग्राम एक जमीन्दारक अधीन है । उनले गरबिला( हिं.वि. ) जिसे गर्व हो, घमण्डी, अभिमानी। बरोदा गायकवाड़को और जूनागड़के नवावको कर देना गरभ ( मं० पु० ) गीर्य ते इति ग अभच । यहा गर्भस्य । गरभो देशः। गर्भ, हमन । गररा (हि० पु०) एक प्रकारका घोड़ा, गर्ग। गरभदान (हिं० पु. ) ऋतुप्रदान, पेट रखाना । गरराना (हिं० कि. ) भीषण ध्वनि करना, गरजना। गरभामा ( अ० कि० ) १ गभिगो होना। २ धान गह गररो (हिं० स्त्री०) एक प्रकारको चिड़िया, गलगलियान आदिकं पौधेमें बाललगना। गरल (मं. लो. १ विष, जहर। मिना गरभो ( प्र० वि० ) अभिमानी, घम डो। (गौतगाविन्द ४॥३) २ मपविष । ३ घामका मट्ठा, घामकी गरम ( फा० वि० ) १ जिमके कृनमे जलन मालुम हो, अटिया, पुला । तप्त, उष्ण। २ तोक्षण, उग्र, खरा। ३ तेज, प्रबल, गरलधर (मं० पु०) १ विष धारण करनेवाला, महादेवी प्रचंड, जोर शोरका । ४ जिसका गुण उण हो। ५ २ मपं, माप । उत्साहपूण, जोशमे भग। गरलारि ( मं• पु०) गरलस्य अरिः, ६-तत् । मरकतमवि, गरमा गरमो ( हि स्त्री ) उत्माह, मुस्त दो, जोश । पत्रा। गग्माना ( अ० कि.) १ उषण पड़ना, गरम पड़ना। २ गरव्रत ( सं० पु.) गरं विषवत् मर्प भक्षणं व्रतं यम: उमंग पर आना। ३ क्रोध भरना, आवेशमें आना। - बहुव्रो० । मयूर, मोर । गरमाहट (हिं स्त्रो० ) उष्णता, गरमो।, गरवा (हि. वि. ) महान, गरूई, भारी। गग्मी ( फा० स्त्रो० ) उष्णता, ताप, जलन । गरसर-मध्य भारतके ग्वालियर राज्यका एक मगर गरमोदाना (हिं. पु. )अंधागे, अंभोरी, छोटे छोटे लाल | यह अक्षा० २३४. उ० तथा देशा. ७४८ पूल्में दान जो गरमो ऋतु, पमोनाक कारण शरीर पर | अवस्थित है। यहां एक पक्का प्राचीन घर है जिसमें निकलते हैं। बहुत तरहक शिल्पकाय खुदे हुए हैं। गरमर-पूर्वीय बङ्गाल और आमामक शिवसागर जिल्लाका | गरह (हिं• पु०)१ ग्रह। २ अरिष्ट । एक ग्राम यह अक्षा०६६. ५८. उ• और देशा०८४. गरहन ( मं० पु० ) १ कृष्णार्जक, काली तुलमो। २ प०के मध्य माजली होप पर अवस्थित है। यहा गोसॉई | बबर, बबई, ममरी, (त्रि.) ३ विषनाशक : मम्प्रदायका वाम है जिन्हें आमामक मनुष्य बहुत | गरहन (हिं० पु.) एक प्रकारको मछली। मम्मान किया करते हैं। इन्हें अहोम राजाओंसे ४०००० गरहर (हिं पु० ) वह काठ जो नटखट चौपायोंके गले एकर शुरुकरहित जमोन मिली थी: किन्तु बरमाके लटकाया जाता है। कुदा, ठेगा, ठेवार । राजाओंने उनका यह अधिकार कायम न रखा तथा उक्त ' गरहाजिरी ( फा० स्त्रो.) अनुपस्थित Vol. VI.55