पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/२२

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खासिया

मासकूट, मौनसाव, मोकली, मोफसत, नोखालोत, शाद, साह पादि यथेष्ट उपजता है। वनमें हायरी, .

भरपू, नातिया, मोजावा, मोडजिङ्गी, रशीयङ्ग, रिम• गैडे, चीते, भै मे, मुरागाय और नाना प्रकार के हिरन बाई, माइपुङ्ग (कुकी), सोतिषा, शिनियन, मौन | देख पड़ते हैं। सन, मातपायर और शापा । ____खासिया पहाड़ में विविध गुहाएं और गहर है। ___ स्वाधीन खासिया पाडमें सिएम नामक पधिमायकी. उनमें चेगी और रूपनाथकी गुहा वर्षमाय। के अधीन भवास या बरवा, चेग, खायरिम, मा. रूपनाथमें एक प्रकारह महर है । वहुतोको विश्वास किम, मलाई सोहमत, महाराम, मारोव, मावईवा, है कि उसकी राह चीनको चले जाते हैं। लोग कहा माव सिनगम, मिल्लिएम, मोङ्गसोफो. नोखसव, करते कि उसो गड़े से होकर बीमा सैन्य भारत पर मोसपूत नोज मलायम और गमबराई १५ परगने चढ़ा था। इसके पास गुधामन्दिर है। इसमें हिन्द वह दादारों के अधीन शेक्षा पाता है। सरदारोके देवदेवियों की नानाविध मूर्तियां खोदो गयी हैं। अधीन हारा मोङ्ग सिरमन, जिरा, मावना और कछारको सीमा पर कपिसी नदी के तौर एक 'चा मावदोन मोमोज पांच और बढदीयों के अधीन झरना है। समयवत, मावफलामोडसिबा और मोहिवन । यहां पधिकांष खासिया और समता नामक खासिया पारमें वैसा नाम नहीं। नदीकी जलो लोग रहते हैं। दोनों जातियां पसभ्य होते भी चासके अनुसार यहाँ एक के बाद दूसरी उपत्यका लगो सतिशील लगती है। .। यह सभी अधिस्यकाएं केवल चासफ ससे ढंकी है. स्वासिया जिले में प्राय: २ लाख लोगोंका वास है। बड़े बड़े पेड़ देख नहीं पड़ते । समुद्रपृष्ठसे २... इसमें खामिया और सनतङ्गों की संख्या १० लाखसे भी पाथ अ'चे एक प्रकारका देवदार वृक्ष मिलता है। अधिक है। पहाड़की मची चोटी पर कड़ियों के सायक यथेष्ट ___ खासिया और जयन्ती मिला कर पाज बस एक पोतेर फिर भी वासियाके जङ्गमसे पाय रोगका जिसा बन जात भी पहले दौमों स्वतन्त्र राज्य जैसेहो सभीसा नहीं पड़ता। पहाड़ों के बीच बीच मंदी माले प्रसिर थे। खासिया पहाइ सिएम सरदार पादिक पाते। उनमें डोगियों पर लोग पाया नाया अधीन था, परन्तु जयन्तोमें कोई राजा राजस्व करते थे। नबनो देखो। खासिया पहाडका दक्षिण भाग चूमके काइसे १७६५ ई.को बासकी दीवानी मिलने पर भरा है। पुराने समयसे खामियाका चूमा बङ्गासमें पारिज कम्पनीको दृष्टि श्रीरको पोर गयो । उस समय कामकाजके लिये पाता है। यहां प्रति वर्ष कोई रस पञ्चसमें केवल बासी सोग रहते थे। उनका साख रुपयेवा चूमा बाहर भेजा जाता है। स्वासिया पाचार व्यवहार भारतके दूसरे बोगोंसे पसग था। के चेरापूंजी, लाकादोज और मावड़ पादि स्थानों में | सनका धर्म विश्वास दूसरो किसी जातिसे नही मिलता बढ़िया को मिलता है। परन्त उसे रकहा करने था । युरोपके बनियों को यह देख कर सासच सगा कि चौर सामान्तरको भेजने में बहुत व्यय पड़नेसे लोगोंका वह प्रक्रतिक कीमाक्षेत्रमें प्राकृतिक महायं द्रव्य भोग प्रयोजनमी मिशता । पहाड़ों के बीच बीच मिला. करते थे। उनोंमे भी यहांसे चूना और नारङ्गी बडी बटो चामोरा पाया जाता है।याक कोग पानीकी करके काम काम खोला था। इससे सोग का करते धार और कोयले के सर को शुरु कर लेते। कि कलकलेके बाजारमें 'सिराहट म' नाम सुन पुराने समयसे खासिया कोग सोचा गमानेके सिये करके युरोपीय वणिकों ने सासिया बोगोंमें मिलनेकी विख्यात विलायती बोकेकी पामदमीसे इनका चेष्टा की थी। या काम काम भी महोमें मिस मया है। यहां } १२ई. को नौजखसाव मामक सामने सरदारने .