पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/२२०

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गरा-गरिष्ठ गय ( सं० स्त्री० ) गीर्य ते भक्ष्यते इति ग-अप । १ देव- ! परिम: ३ कम्पयन् ।" ( भागवत ॥ ३॥ २५॥ ) ४ गर्व, अहंकार, दालीलता, दंदाल । २ भक्षण, भोजन, खाना। घमण्ड । ५ आत्मश्लाघा, शेखो। । पाठ सिधियो मेंसे गरागरी ( सं० स्त्री० ) गरं मूषिकविष आगिरति ग-पचा- एक सिद्धि । दित्वात् अच् । देवताडवृक्ष, देवदाली, बंदाल, घघरबेल, गरिया-जातिविशष । कामरूप अञ्चलमें इनका वास सोनया बेन । है। ये ममलमानधर्मावलम्बो हैं। साधारण मुसल- गराज ( फा० स्त्री० ) गम्भीर शब्द, गर्जना गरज। मान इन्हें नीच जाति समझ कर घृणा करते हैं। ये गराष्ट्री (हि स्त्री० ) घिरनी, चरषी। गोमांस और शूकर मांस भक्षण करते तथा दरजीका काम करके अपना जीवन निर्वाह करते हैं। गराधिका (मं० स्त्री० ) गरे विषप्रतीकारी अधिका प्रधाना। गरिया (हिं पु०) वृक्षविशेष । यह प्रायः मा प्रदेश, सासा, लाह। मध्यभारत, बरार और मन्दाजमें पाये जाते हैं। इस गरात्मक (सं० पु.ली.) १ शोभाञ्जनवृक्ष, मोहिञ्जनका वृक्षकी पत्तियां शिशिर ऋतुमै झड़ जाती हैं। इसकी पड़। २ मोहिञ्जनका वोज। गरारा (हिं० वि०) गर्वयुक्त, प्रवन्न, प्रचंड, बलवान् । लकड़ीसे गाड़ी, तम्वोरों के चौग्वटे, मेज तथा कुरमिट बनाई जाती हैं। हिन्दस्थानसे यह लकड़ी बिलायतकं गरिबगन्देशके पुर्णिया जिलान्तर्गत एक परगना ।। बहुत जाती है और वहां अलमारी, कुरमो, मेज, ब्रुशक इसके मध्य होकर कोशी नदी प्रवाहित है। इस नदी- दम्त आदि बनाने के काम आती है। की बाढ़से अनेक प्रकारको क्षति प्रतिवर्ष हुआ करती | गरियाना (हिं. क्रि कहना, गालो देना। है। यहां चावन्न, मरमा, तम्बाकू और नील उत्पन्न गरियार (हिं. वि. ) वह मनुष्य जो अपनी जगहसे जल दो न उठे, सुस्त, बोदा, मट्ठर । गाग्गि---जातिविशेष । ये लोग इलाहाबादमे फरुखा-गरियाल (हिं. पु० ) एक प्रकारका रङ्ग जो काला-नोला बाट प्रदेशमें रही है। इस जातिको कई एक श्रेणियां होता है। इस रंगमे ऊन रंगा आता है। इसको हैं। यथा -इलाहाबादो, जौनपुरी, वाकरकाशान, वर- प्रस्तुतप्रणाली यह है कि दो सेर नीलका चर्गा गन्धकके कता, भेडारिया, चिकावा, धागड़, निखर, पाचेद और जावमें मिला कर एक मजबत बरतनमें रख कोडं तसेलहा । चिकावा मुमनमानधमावलम्बा, धागड़ इसे सिर्फ एक गत इमो दशामें रहने दें। जिस ऊनको जौनपुगे और निखरगण रम्बल बुन कर अपनी जोविना रङ्गाना हो उसे चूनके पानोमें डुबा कर कई वार स्वच्छ निर्वाह करते हैं। भेडामे भेडारिया नाम हुआ है। जलसे धोकर धाममें सुखा ले पुन: खौलत ये पानोमें साताको मृत्यु होने पर उमको विधवा स्त्रीका विवाह | थोडासा रङ्ग बरतनमें से लेकर मिला दें और उनका कराना इन लोगोंमें निषिद्ध नहीं है। इनका आचार उममें तब तक रहने दें जब तक उसमें रङ्ग नहों चढ़ वहार ग्वालाकै जैसा होता है। गररि देखो। जाय। जब रङ्ग अच्छी तरहसे जम जाय तो उसे निकाल मरारी (हि. स्त्री० ) गरारि देखा। कर फिटकिरी मिले पानोमें पछार डालें। मराव (हिं. पु०) १ तीन मस्त लवाला एक प्रकारका बड़ा गरिष्ठ ( सं० वि० ) अतिशयेन गुरुरिति गुरु-इष्ठन् गरा- जहाज। इसका व्यवहार १४वाँ और १५वीं शताब्दो- देशथ। १ अतिगुरु, अत्यन्त भारी। २ जो पचने में को बङ्गाल और उसके प्रामपामको खाड़ियों में होता था । हल्का न हो, जो शीघ्र न पचे । ३ अति महत्, बहुत बड़ा २ माधारण नाव । ४ अति गौरवान्वित, बहुत नामवर । ५ मर्यादाविशिष्ट, मरावन ( पु०) गरावन देखी प्रतिष्ठित, इञ्जतदार । (पु.) ६ एक दानवका नाम। मरावा (हिं० ) हलकी जमीन। कम उपजाऊ भूमि । “गरिमायुध दोष निदानवः।" (भारत १५..) गरिमन ( म. पु. ) गुरोभोवः। १ गुरुता, गौरव ।। ७एक राजाका नाम। ( भारत ९०११)८ एक तोथ २ माहात्मा, महिमा । ३ गुरुत्व, भार । "मिरि' गरिना | स्थान।