पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/२२६

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. गरेरौ-गग सडा त्याग करनसे स्त्री विधवाको तरह विवाह कर , शताब्दीमें रामपुरकं चन्द्रावत राजपूतों के हाथ पाया । सकती है। परपुरुषमें आसक्त रहनेसे स्त्रीको जाति- | यह शहर ऐतिहासिक घटनाके लिये प्रसिद्ध है। १८०४ त और समाजसे वहिष्क त कर देते हैं। पुरुषको ईमें कलनल मोनसन और यशवन्तराव होलकर साथ कोई कुकर्म करने पर गांवकी पञ्चायत और मण्डलसे इसौ स्थान पर लड़ाई छिडी थी। मोनसन प्राण लेकर बधी मजा मिलती और अपने पापका प्रायश्चित्त करना भागा, लेकिन मुकुन्दबारमें रोक रखा गया था। गरोतसे पड़ता है। फिर वह स्वजातिको भोज दे करके समाज ४ मील उत्तरपूर्व पियलाग्रामम' जब मोनसनकी सेना भुत होता है। ल्यु सन और अमरसिंहक अधीन पहुंची तो मोनसन । इनमें मभी वैषणव हैं। दो-एक लोग शैव भी देख मराठार्क बन्धनसे मुक्त हुए। इम जगह यशवन्तराव पूर्ण रूपसे पराजित हो भानपुरसे गरोत जानेको बाधा हुए। पड़ते हैं । गग्यिादाम नामक किमी गरेरीने पहले अपनी जातिमें वैष्णवधर्म चलाया था। उनके शिष्य उनकी थोड़े समय बाद यशवन्त रावको मृत्यु हो गई। उस धर्मगुरु-जैमी भक्ति करते हैं। मांस मकलो कोई नहीं समय मोनधिया नामकी एक जाति चारों ओर अधम खाता। कनाजिया या जोशी ब्राह्मण ही इनका मचा रही थी, इमलिये १८३४ स १८४२ ई. तक एक मन्यदल इस शहरम रखा गया था। पौरोहित्य करते और वैरागी अथवा 'दशनामी' मंन्यासो गरोथा--युक्तप्रदेशक झामो जिलाको एक तहसील । यह नर्क मन्त्रदाता गुरु रहते हैं। बन्दो, गौर या धर्मराज, अक्षा० २५२३ तथा २५.४८. उ. और देशा० ७८.१ नरसिंह, पांचपीर आर कालीमाता इनकी कुलदेवता एवं ७८.२५ पू० पर अवस्थित है। भूपरिमाण ४६६ वर्ग- थावण मामक अन्तिम दिनको घरके लोग नाना वध मोल है और लोकसंख्या प्राय: ८८८२६ है। इसमें १५३ उपचारोंमे इन मभी देवदेवियोंको पूजा किया करते हैं। ग्राम लगते हैं लेकिन शहर एक भी नहीं है। यहांको वीमि कोई कोई पकरी प्रादि बेचते समय एक भेड़ रख आय १२५००० रु० को है। इस तहसोलकी जमीन छोड़ता है। फिर उमको 'बनजारी'के मामने बलि दे काला दोख पड़ती है। धामीदमें भोजन करते हैं। गरोदि-मुमलमान जातिविशष । ___ यह अपनको अहो मे ऊचा और मजरोतियों तथा गरोल-बम्बई प्रदेशमें ग्बाकान्ता वभाग अन्तर्गत एक चायतोंको बराबर समझते और उनका किया हुआ छोटा राज्य । इसका कर रेवाकान्ता एजन्सी हारा बडौदा पवमल आदि ले लेते हैं। परन्तु अपने आप बकरों और गायकवाड़क निकट भेजा जाता है। मैडीको वधिया करनसे इनका पानी मजरोतो और गरोला-मधाप्रदेशमें मनार जिलान्तगत एक लाखराज कंचायत नहीं कृते और माथ ही इन्हें और भी बुरा बत ग्राम । इसका क्षेत्रफल प्रायः १६००० वोधा है । दिलो साते हैं। विहार और बङ्गालके ब्राह्मण इनका छा बादशाहने राव रामचन्द्रको यह स्थान अर्पण किया था। पानी पीते, परन्तु पुनि या जिलेमें यह बहुत बुरे माने १६४६ ई०को पेशवान इसका अधिकांश अपन अधिकार- जाते हैं। अपनो जातिबाम्लों को छोड़ करके किसी दूमरे में कर लिया था। इम ग्राम में प्राचारवेष्टित एक छोटा । के पास गडग्येिका काम करनेसे इनकी जाति जाती है। दुर्ग है। इसके पूर्व में एक ह्रद है। इस हुदके चारों गरली (हिं. ) गरायो। तरफ जमीन उपजाऊ है। इस ग्राममें एक विद्यालय गरयाँ (हिं. स्त्री० ) पगहा। वर्तमान है। मरीत-मध्यप्रदेशमें इन्दोर राज्यके रामपुर भानपुर जिले | गरोह (फा पु० ) समूह, मुंड, जत्था। और इमी नामके परगनका एक शहर। यह अक्षा गर्ग (सं० पु० ) गृणाति वेद शब्दं न स्तौति । ग-ग। १ २४. १८'उ० पौर देशा० ७५ ४२ पू०में अवस्थित है। वृहस्पतिके वंशजात म निविशेष । ये वितथके पुत्र थे। लोकसंख्या प्रायः ३४५६ है। ऐमा कहा जाता है कि इन्हनि शिषकी आराधना करके चौशठ अङ्ग ज्योतिषादिमें पहले इस शहरमें भीलों का वास था और यह १४वौं । जान लाभ किया था।