पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/२३

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खासिया '२२ उत्तर पासाम पौर सुर्मा उपत्यकाके बीच पाने) हासमुख सति ।। म सदा सर्वदा परिश्रम करना जामेकी राह बनाने को कर एक अंगरेजो के साथ कोई अच्छा लगता है। खासिया उतने चतुर पौर शिली प्रबन्ध किया था। उसी समय कुछ पङ्गरज नोङ्गखलाव हों है, परन्तु भीखीसे सभी प्रकार के काम पर नगरमें जाकर रहने लगे। उनके साथ थोड़े बङ्गाली सकते हैं। दरिद सोग सनी कपड़ का घुटने तक भी थे, जिनके दुव्यवहारसे खासिया लोग बिगड़ पड़े।। कुर्ता पहनते हैं। जो अपक्षालत धनी है, मत्थे पर सूती इसीसे १८२८ ई० को ४थी अपरेसको स्वासियामाने | या रेशमी कपड़ा बांधते पौर रहर डालते हैं। पारेजोंको पाक्रमण किया था। इस युधमे घरेज इनमे साधारणत: १५से १८ तक स्त्रियों पोर १८से बम्पमोके दो सेफटोनण्ट और कई एक सिपाही मारे २४ वर्ष तक पुरुषों का विवाहो जाता है। विवाहबी गये। फिर खासियों का उत्पात धीरे धीरे बढ़ा था। चास बहुत सोधी है। किसी किसी खानमें परकर्ता इटिश गवर्नमेण्ट अधिक ठहर न सकी। खासियानों को और कन्याकर्ता हो विवाह पक्का कर लेते हैं । सगाईवे दबाने के लिये दलका दन वृटिश मैन्य भेजा गया, | पोके वर पपने भावन्दी पार कुटम्बियों को साथ लेकर परन्तु साहसी स्वासिया सागों ने सहजमें वश्यता कन्याके घर जाता पार वहीं भोजन करके रासको सेट स्वीकार न की। धनुर्वाण मात्र उनका इथियार है। लगाता है। दूमरे दिन वह कन्याको अपने घर से उसीके बल पर सियामि सैकड़ों अगरेजीको मार पाता है। कन्याके साथ भी उसके कुटम्बी प्रादि वा . डाला था । पनेक कष्टों के पीछे १८३३ ई०का घर पहुंच वैसे ही खास पीते हैं। दो दिन वरके वा खामियापोंने वश्यता मामी। सरकर नव दम्यता कन्याके घर पचते. विद्यार १८३५ मे १८५४ ई. सक नोखलाव नगरम जाने पर वरको बोते जी सहरके घर पर एक गजनीतिक पारजी कर्मचारी रहा, फिर वह रहना पड़ता है। काई विशेष कारण पानसे चेरापूजीको उठ गया। उनका विवाह बन्धन कैसे ? सकता। मी यदि जयन्ती पहाड़ के लोग पपना परिचय 'पनार' जमा बांझो , तो मावाप या दसके सरदारके सामने देते पौर खामिया हमें 'सनता' जैसा पुकारते हैं। कारण दिखा कर विवादका बन्धन तोड़ी।सी १८३५१. सेवा भी वटिश प्रजा जैसे समझ जाते हैं। अवसर पर स्त्रीपुरुषका पांच कौड़िया पदस बंद इसी वर्षको जयन्तीराज राजेन्द्रमिइने नवगांवमे कई करनेको दी जाती है। फिर दोनोंसे पूछ कर एक सोगांको पकड़ मंगा कर कासीमन्दिरमें वलि किया फेंक देते..। कौड़ियां फेक देने पर विवाहमा था। इसी दोषपर पारेज सरकारने में राज्यसे वन्धन सदाके लिये टूट जाता है। एक बार सीपुरुषमा घटा दिया। विवाह वचन टूट जानेसे फिर उनका एक दूसरके सासिया-पासाम विभागके पन्तर्गत खासिया पवतकी साथ विवाहमहोंगो सकता । परन्तु भित्र परिवारमें रहनेवाली एक जाति । इनके मुंह पर सारे पाकी विवाह करनेको क्षमता दोनों होती। बामिया. बनावट देख बहुत से लोग मङ्गोलीय या तूगमो जाति. पोंमें विधवा विवाह सतारे। किन्तु बा.विवारी की शाखा-जेमा अनुमान करते हैं। उसके शरीरका प्रथा एकबारगोशो निषि।हिमारा सनमें महापाव गामहरा कासामिसा पीसा सगता है। नाक चपटी, माना जाता है। जो ऐसे बुरे काममें समा Int, मु बैठा और ठीक बना पा, पांखें बोटी पौर विशेष साइना सरता है। काली, पुतलीके पास वीसाधन औरठ मोटे होते | विवाकि पोछे पति सहरके घर जाकर रहता हैं। इनमें सीपुरुष दोनों बड़े बड़े वास रखत, केवल जीको वंधमर्यादाको बढ़ाया वरता। उसके निर्धन लोग गिर मुंडा डालते हैं। स्वासिया तेजस्वी पुत्र भी मातुस-बंध सम्बत-जमा परिचय देते। पौर वशिष्ठ हैं। यह खभावमे ही दिनयो, धीर और | पिताके का कोई मान नहीं रहता । विवाहम Vol VT.6