पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/२३२

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गर्दभ-गर्दभाण्ड होने पर उससे पूछा जाता था-इममें कौन सबसे अच्छी । गर्द भगद ( सं० पु. ) जालगर्दभ नामक रोगविश ष । है, उसको दिखला दो। वह उमो समय एकके पास , जाखमम देखा पहुच मत्था झुका करके उसको क लेता था। एमा गधा गद भनादी ( मं० वि० ) गद भ रव नदति नद णिनि • जो सरकोंमें कई बार देखा गया है वह आवाजको गदहाके जैसा शब्द करता हो। समझ और मिखलानमे मीख मकता है। किसी समय | गर्दभमांस ( मं० क्लो० ) गर्दभस्य म सम्, ६-तत् । गर्दभ- एक आदमोन कुत्तं को गधे पर ललकारा था। कुत्त के | मांस, गदहाका माम पास पहुंचते ही गधे ने उसको लाते फटकारों, फिर दांतों- गर्दभमूवभ ( म० क्लो० ) खरमूत्र, गदहाका मूत। से उसको पकड़ पासको नदीमें ले जा करकंबा दिया गर्द भयाग (म० पु०) गर्दभन यागः । यागविशेष, और जब तक वह मर न गया, उसको दबाये हो रहा ।। अवकोण याग। (म. ० ११.११५.२१) इससे माल म पडता है कि गधको प्रतिमा कम नहीं। ___ ब्रह्मचय भ्रष्ट व्यक्तिको रात्रि ममय चतुष्पथ पर पाक- बह्मचय भव जातिको गति म ननाश होती। गधे को मोठो आवाज सुननमें अच्छी लगता यज विधानमें काणा गर्दभ हारा ने ऋत देवताका योग है। चाटे नगरमें एक स्त्रो बहुत अच्छा गातो था । करना चाहिये। इसमें विधिपूर्वक अग्निमें होम करके पाम हो एक गधा भी रहता था। उनके गाना शुरू 'ममा अन्त मान. इम मन्यसे वृत द्वारा वायु, इन्द्र, वह- करते ही गधा वही पहुंच झरोकेके पास खड़ा हो करके | म्पति और अग्निको आहुति देनी चाहिये । ब्रह्मवादी सुना करता था। फिर एक दिन तो वह उनकै घरमें | व्यक्तिगण कहा करते हैं कि ब्रतस्थित हिजगण यदि ही जा खड़ा हुआ। गाना बन्द होने पर गधा अपने इच्छ कम मे स्त्रो यो नमें वोर्य मेक कर तो व्रतभङ्ग हो पाप चिल्ला करके उनको नकल उतारने लगता था । जाता है। उम व्रतभ्रष्टका ब्रह्मतज मारुत, इन्द्र, बह- इससे समझ पड़ता है-गधे को जितना बेममझ ठहरात, म्पति और पावकमें जाकर वाम करता है हरगिज नहीं पाते हैं। कात्यायन गोमतम बम 40 प र दक्षा पौराणिकीक मतम गर्दभ शोतलादेवीका वाहन है। गभरूप ( म०प०) गर्दभस्य रूपोऽस्य गर्द भरूपधार- ___गतमा देखो। णात् तथात्वम् । विक्रमादित्य राजा।। जैनशास्त्रानुमार गधा पंचेन्द्रिय मनसहित जीव है। गदंभशाक ( मं० पु० ) गर्द भगन्धः शार्क यस्य । गर्द- इसको शिक्षा देनमे मनुष्यकैसे अनेक अङ्गत कार्य कर भाख्यः शाको वा । ब्रह्मयष्टि, भारंगी, बरगी। मकता है यहां तक कि स्थूल चौरी आदिका भी त्याग कर गर्द भशाका (मं० स्त्रो०) गद भशाक टाप । ब्रह्मयष्टि, अणुव्रत पाल सकता है। बरंगी। __ वैद्यशास्त्रकं मतमें उमका मांस कुछ भारी और ताकतवर होता है । गधे का मूत्र-कड़ वा, गम , गद भशाग्यो ( मं० स्त्री० ) गद भगन्ध शाखा यस्याः । भार्गो, भारगी। तोता, खारी और कफ, महावात, भूतकम्प तथा उन्माद- गद भा ( मं. स्त्री० ख तकगटकारी, मफेद कटया । नाशक है। (गनिध ) बराबर बोझ ढोना, गर्मो मर्दी सहना और हमेशा | गद भाक्ष ( सं० त्रि.) गर्द भस्ये वाक्षिणी यस्य । गर्दभ- खुश रहना -तीन गुण गध मे मौखना चाहिये ।। २... | तुल्य चक्षुविशिष्ट, जिमको अखि गदहमी हों । (१०) । (को० ) गद्य ते । गर्द-अभच् २ श्वेतकुमुद, सफेद | २ बलिराजाके एक पुत्रका नाम । कोई। गर्दभागड ( म०प० ) गदभं गन्धविशेषममति । प्रक्षवृक्ष, "कस चन्द्रकानञ्च गभि कुमुद कुमुन् । ( रबमा.) ३ विडङ्ग, पाकरका पड़। इसके पत्त, काण्ड और फलादि पोपल . बाय बिडंग। ४ भ्रमरभेद, गदहोला नामका कोड़ा। वृक्षर्क जैसे होते हैं। इसका पर्याय -कन्दराल, कपी- गदंभक (सं० पु० ) मदभ मज्ञायां कन । १ कोटविशेष तन, सुपार्यक, प्लक्ष, शुङ्गी, प्लव, कमण्डलु, प्रदेश, बामाका प्रकोपकारक है। कन्दरालक और पक्षवृक्ष है।