पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/२४१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

गर्भ बसति-गर्भ समय पर जचा मोचा होता है तथा दोनों भणोंको विषम गर्भ व्यापद ( सं० स्त्रो०) गर्भ सा व्यापत्, ६-तत् । गर्भ को चलन क्रिया गर्भिणाका अधिक कष्ट पहुंचता है। पेट | विपत्ति, गर्भका केश। खूब भारी होकर अन्तम गर्भिणीके दोनों पर सूज जाते | गर्भव्य ह ( म• पु० ) गर्भश्व गूढ़ो व्य हः । लड़ाई में पना- है। ये सब लक्षण रहने पर भी किसी ममय यमज | कति मन्य रचनाविशेष । युद्ध में सेनाको एक प्रकारको गर्भ का स्थिरनिश्चय नहीं किया जा सकता है। युरो रचना, जसमें सेना कमलके पत्तोंकी तरह अपने सेना- पीय चिकित्सक ष्टेथस्कोप यन्त्र या कण द्वारा दोनों पतिको चारों ओरसे घेर कर खड़ी होती और इपिण्डकी सोचिका और प्रमारिका क्रियाका शब्द | लड़ती है। सुन कर यमज गर्भ स्थिर करते है। गर्भशङ्क, मं० पु० ) गर्ममा गर्भचिकित्मार्थः शाः । गर्भवसति ( मंत्रो०) गर्भ: कुक्षिरव बमति: वास | चिकित्साशास्त्रानुसार एक प्रकारका यन्त्र जिसके द्वारा स्था। १ कुक्षिरूप वामान। (हरिवंश .अ.) २ | मरा हुआ बच्चा पेटके भीतरसे निकाला जाता है। इस- गर्भ में अवस्थिति, गर्भ में रहना। के महका घेरा आठ अंगुलका होता है। गर्भवास ( मं• पु० ) वसति अस्मिन् वा नः, गर्भ एव वाम: | गर्भशङ्कक (मं० पु०) गर्भशंकु स्वाथै कन् । मृतगर्भा वासस्थानं। १ गर्भाशय । २ गर्भ के भीतरको स्थिति। कषणार्थ यन्त्रविशेष, वह औजार जिससे मरे हुए बी. गर्भविच्य ति (मं० स्त्री० ) गर्भात् विच्य ति:, ५-तत् ।। को पेटसे निकालते हैं। रोगादिके कारण गभ का अकाल पतन । गर्भनाति देखी। गर्भशय्या ( सं० स्त्री० ) गर्भमा गर्भ स्थशियोः शय्या. जब गर्भ विनोदरम-सूतिका रोगको वैद्यकोक्त औषध । हिङ्गल | स्थानम् । गर्भ की उत्पत्तिका स्थान । । ८ तोला, सौठ, पीपल, मरिच, जैत्री, लवङ्ग प्रत्ये कका ५ बनानातियों नावता सा व कोहिला। तोला, स्वर्णमाक्षिक ४ तोला, इन सभोंको जलसे पीसकर तस्यान सौर्य त्वायन गर्भशय्या प्रकला मटर परिमाणको हर एक गोली बनाई जाती है। इस- यथा रोहितमत्स्यस्य मुख' भवति पत: । के सेवन करनेसे समस्त प्रकारके सूतिकारोग नाश तास स्थान तथापी गर्भशय्या विदुधा: । ( भावप्रयाय) गर्भ शल्य ( सं० क्ली० ) गर्भ वेदना, गर्भशूल । गर्भ विपत्ति ( सं० स्त्री० ) गर्भस्य विपत्तिः, ६ तत्। रोग, गर्भ शातन ( स० को० ) भेषज हारा गर्भपात, दवाईये गर्भपात। साव और पातादिके लिये गर्म का पापद। गर्भबिलासतेल ( सं० को ) गर्म स्यापन करनेका लेल । गर्भ शोष: ( सं० पु० ) गर्भका एकता रोग । गर्भयाव ( म पु०) गर्भाव देखा। गर्म विलासरस ( सं० पु. ) गभि णोव्वररस। पारा, गन्धक और तृतियाभस्मका समान भाग ले कर जंबोर रस- गर्भसंक्रमण ( स० को०) गर्म संक्रमण अन्यर्दिष्परि- के साथ तीन दिन तक गर्भिणी सीको सेवन करना त्यागेन देहान्सरापादानार्थ प्रवेशः । देहान्तरमाणार्थ कुक्षिप्रवेशरूप जन्म। • वाहिये। "गर्भकमी पाकिम सामभिसके। सम विनाविणी (सं० सी० ) छोटो इलायची साहसोमव नभने बेदना मानवः पनः ॥ ( भारत बनामव..) गर्भ वेदमा ( स० स्रो०) गर्भस्य वेदना। सन्तानोत्पत्ति- गर्भ मम्भव ( स० पु० ) गर्भस्य मम्भवः । गर्मोत्पत्ति, के लिये व्यथा, बच्चा उत्पन्न करने के समयका कष्ट । गर्भ का उत्पव। गर्भवेश्मन् ( सं० लो० ) गर्भ एव वेश्मन् । गर्म रूप ग्रह, | गभ मभूति (मस्त्री० ) गर्भमा मभूतिः । गर्भात्पत्ति । वह घर जो गर्भके जैसा बना हो । (मिति:) गर्भ व्याकरण (म• पु० ) चिकित्साशास्त्रका एक अंग | गर्भ समय ( स'• पु० ) मा ममयः। १ गर्भकाल, जिसमें गर्म को उत्पत्ति तथा कृषि प्रादिका वर्णन | ऋतमानके बाद सहवास काल । २ हष्टिका उतपत्ति होता है। | निमित्तक काल । (महिला )