पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/२५३

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गलतां-गलमुच्छा २५१ शिलाजतु, कुचिला, और वच प्रत्ये कके चार चार भागको ! गलन्तीका ( स० स्त्री० ) गलतोति गल शट-डीप मूम् घृत और मधुके साथ मन कर दो तोला परिमाण प्रति अल्पार्थ कन् । स्वल्प वारिधानिका, वह वरतन जिससे दिन मेवन करनमे गलतकुष्ठ, कलास, बातरक्त, जन्लो कम पानी निकलता हो, गड वा।( कमल ५५०) दर और मलवडादि रोग नष्ट होते हैं। गलफड़ा (हिं. पु० ) १ जल जतांक पानीमें सांस गलतां (फा० वि०) ग मान देखो। लेनका अवयव । यह मस्तककै उभय ओर होता है। गलता (अ० पु०) १ एक प्रकारका बहुत चमकीला वस्त्र। भिन्न भिन्न जल जन्तुओका गलफड़ा भिन्न भिन्न आका- इसका ताना आर बाना क्रमशः रेशम और सूतके होते रका होता है : मछली के गले में मिरके दोनों बार दो आई- है। यह सादा धारीदार और भिन्न भिन्न तरहक होत चन्द्राकार छिद्र होते हैं, जिनके मधाम चार चार अई- है। २ मकानको कानिम। चन्द्राकार कमानियां होती हैं जिन्हें गलकट कहते हैं। गलताड़ ( हिं० पु०) जुएको टो जो भीतरकी ओर २ गानोंक दोनों जवड़े के बोचका मांस । होतो है। गलफरा (हिं० पु. ) गलफका देखो। गलतान ( फा० वि० ) लुढ़कता हुआ, चक्कर मारता हुआ। गलफोस हिं० स्त्रो०) मालखंभको एक कमरत । इस गलतो (फा स्वी.) १ भल. चक। २ धोखा। कमरतमें बेतको गलेसे लपट कर उमक एक सिंगको गलथना ( फा० पु०) बकरियोंकी गरदनमें दोनों ओर छाती परसे ले जा कर अंगूठेके नीचे दबाते हैं और लटको हुई थैलियां। सिर्फ गलेक जोरसे अपने मस्तकको पेट तक झुकात हैं। गलथे लो (म स्त्रो० ) बदरोंके गालके नीचेको थे ली। गलफॉसी (हिं० स्त्री० ) १ गलेको फॉमो । २ कष्टदायक इममें वे खानेको वस्तु भर लेते हैं। वस्तु वा कार्य, जजान्न । गलदश्रु ( म० त्रि०) जिसका अश्रु गल रहा हो. जिसका गलफूट ( हिं० स्त्री० ) बड़बड़ानेकी आदत । प्रॉमू वह रहा हो। गलफ ला (हि. वि. ) जिमका गाल फल गया हो। गलवार ( स० क्लो०) गलेका रास्ता, जहां हो कर पत्र (पु.) एक रोग जिसमें गलेसे सूजन होती है। भीतर जाता है। गलफड़े ( हिं० पु. ) गलेको गिलटी। गलदेश ( म० पु० ) गल एव देश: । गला, ग्रोवा, गरदन। गलबंदनी (हिं स्त्री० ) एक प्रकारका पहिरावा जो मलन ( म.ली.) गल भाव ल्य.ट । क्षरण, गलकर गले में पहना जाता है, गुलबन्द । गिरना। । गलबदरी ( हिंस्त्री. ) एसा बादल जिसके माथ हाय गलनहो. हिं० प० ) हाथियोंका एक रोग। इसमें उनके पांव गलानवाला जाड़ा पड़े यह अवस्था प्राय: जाडे के नाखन गल मल कर निकाला करते हैं। (वि.) वह मौमिममें होती । हाथो जिसे गलनहाँ रोग हो। गलबल (हि.पु.) कोलाहल, गडबडी, खम्नबली। गलना ( अ० क्रिया) १ किसी पदार्थक घनत्वका नष्ट गलबॉही ( हि स्त्री० ) कण्ठालिङ्गान, प्रेममे गलेमें बॉर होना । यह विश्लेषण किमी द्रव्यके बहुत दिनों तक जल डालना। तेजाव प्रादिमें पड़े रहने, गरमी लगने अथवा किमी और गलभङ्ग ( म० पु.) गलस्य कमठ स्वरस्य भङ्गः, ६ तत् । प्रकारके संयोगके कारण हो जाता है। २ बहुत जीर्ण स्वरभङ्ग, जिमका स्वर ठोक नहीं हो। होना, किसी कामके योग्य न रहना । ३ शरीरका दुर्वल गलमदरी (हिं. स्त्री० ) गलमुद्रा जो शिवजीक पूजन होना। ४ बहुत ज्यादे ठण्डके कारण हाथ पैरका ठिठु- और शयमके भमय उन्हें खुश करनके लिये की जाती है। रना। ५ वृथा या निष्फल होना। २ गाल बजाना, व्यर्थ बकवाद या गप्प करना गलनीय (स० वि० ) गल् अनीयर् । गसनके योग्य, सड़मे गलम च्छा (हिं• पु० ) दोनों गालों परके बढ़ाये हुए लायक। . बाल । लोग इसे शौकसे रख लेते हैं।