पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/२६४

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गहड़वार-गहलोत बलदेवके तृतीय पुत्र राजा बनार गहड़वार मामन्तोंके गहन ( म क्लो० ) १ वन, जंगल। २ गभीर, गहरा। आदिपुरुष थे । किसीके मतमें 'बनार' से ही काशीका ३ दुःख, तकलीफ। (त्रि. ) ४ कठिन, कड़ा। ५ नाम बनारस पड़ा है । ११६१ संवत्को प्रदत्त जो दुर्गम, घना । ६ निविड़, घना। ७ दुष्प्रवेश । ( पु०) शासनलिपि बमाहीसे प्राहा हुई है, पढ़नसे ममझ पड़ता ८ विष्णुपरमेश्वर । ( विष्णम ० ) ८ जल, पानी। १० है कि वस्तुत: कबीजके राठौरगज जयचन्दमे ऊर्ध्वतन गहराई, थाह। पञ्चम पुरुषके चन्द्रदेव और महीपाल आदि क्ब्रोजके गहना ( म० स्त्रो० ) १ आभूषण, जेवर। (हिं० पु० ) राजा गहड़वार वंशीय रहे। कन्नी देखी। २ रेहन, बंधक ३ खेतको घाम निकालनका गहन चन्द्र देवके पिता महीपाल बङ्गाल, विहार और काशी नामक यन्त्र (हि. क्रि०) ४ पकड़ना, धरना । के राजा होते हुए भी बौड़मतावलम्बी थे। शिलालिपि- गहनि (हिं'. स्त्रो०) टेक, जिद, हठ। पाठसे विदित होता कि उनके राजत्वकालको कनीजका गहनी (हि.स्त्री) पशुओका एक रोग जिममे उनके प्राधिपत्य कलचुरि राजानकि हाथमें रहा। महीपालके दॉत हिन्नने लगते हैं : कनिष्ठ पत्र चन्द्रदेवन कलचुरिराज कणके निकटसे बन्ध- गहर (म. वि.) १ दर्गम. विषम । २ व्याकन, उहिग्न । ताका चिङ्गस्वरूप कनोज पाया था। हिन्दू धमपर चन्द्र ३ किमी ध्यानमें मग्न या वेसुध । देवकी बडी आस्था रही। अपने आत्मीय होते हुए भी गहर (फा. स्त्री० ) देर, विलम्ब । उन्हनि विहार और काशीक पालवंशीय बौद्धराजाओं का । | गहरना ( हि क्रि० ) देर लगाना। मंस्रव एककाल ही यहां तक परित्याग किया कि उनका | | गहरवार ( पु० ) एक क्षत्रियवंश। गोरग्वपुर और गाजी वंशगत 'पाल' उपाधि छोड़ करके 'चम्ट्र' उपाधि ल पुरमे कब्रोज पर्यम्त एम वश मनुथ पाये जाते हैं। ये लिया था। यही चन्द्रदेव कन्नौज राठौरक राजवंश प्रथम अपना पूर्व वाम काशी बतलात है । कन्नौजक राजा रहे । फिर विहार और काशोक गहड़वारीने पाल गजा चन्द्रदेव और महीपाल राजा भी गहरवार वश. और कबीजक गठोरोंने चन्द्र उपाधि ग्रहण किया। एत- कही थे। द लखगडके बुन्द ले क्षत्रिय भी अपनको शिव बंटेन ग्वगडक बुंदेला भी उमी व शसम्भत हैं। गहरवार व शोभय बतलाते हैं गहड़वारोंके कन्नौजका होने पर और भी एक प्रमाण गहरा ( हिं० वि० ) १ जिममें जमीन बहुत नीचे जा कर मिलता है। गौतमगोत्रीय राजपूतीका कहना है कि । पाई जाय, गभीर । २ जो पृथ्वीके तनमे भीतर बहुत दूर उन्हें कनौजवाले गहड़वार राजाकि अनुग्रहमे अपने रहनको निम्न दोश्राबका अधिकार मिला था। तक चला गया हो। ३ प्रचण्ड, बहुत अधिक, ज्यादा, बीच-उज-मेर, ताल-अल मतम्मर, तबकात अकबरी, भागे। ४ दृढ़, मजवत, भारौ। ५ गाढ़ा, जो हलका फरिश्ता आदि ग्रन्थों में लिखा है कि महमद गजनवीने या पतला न हो। कनौजक राजा गोडको आक्रमण किया था। जब वर गहराई (हिं नौ० ) गहराका भाव, गंभीरपन । कबीजक अभिमख पहुंचे, जयपाल राजा थे। अतएव गहराना (हि. क्रि० ) गहरा करना। स्पष्ट हो समझ पडता है कि मसलमान इतिहासवेत्तानोन गर राव ( ह. पु० ) गहराई। भ्रममें पड गडवार जाति बदल गोड जातिका उल्लेख गहरू ( हि स्त्री०) देर, विल ब । कर दिया होगा। गहरे (हिं.क्रि.वि.) अच्छी तरह, खव, यथेच्छ । ___ १७५८ ई०को गहड़वार मामन्तोन गौतम भूमि- गहरेवाजी (हि. स्त्रो. ) इक के घोड़े की बहुत जोरको सारीके अत्याचारमें उत्यक्त और काशोसे ताडित होने पर कदम चाल । भङ्गरजांके अधीन आश्रय लिया। आजकलके यह मिर्जा- गहलोत-राजपूतीकी एक शाखा । वर्तमान सिसोदिया और पुरके पश्चिम विजयपुरमें गवर्नमेण्टको वदान्यता पर राज- महरिया राजपूत इनकी विभिन्न शाखा है। सिसोदिया सम्मानसे वास करते है। जैसा अपना परिचय देते भी इनकी गहलोत पाख्या दूर