पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/२६६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

गा-गांजा गह (सं० क्लो० ) गह वाहुलकात् भावे कर्मणि वा वः ।। राजवल्लभ बतलाते हैं कि वह समुद्र मन्थनके ममय १ गाम्भीर्य। २ गहिरा। (त्रि० ) ३. गह्वरयुक्त। पीयूष रूपमें उत्पन्न हुआ था । विजय प्रदान करनेसे गहर ( स० क्ली० ) गायत गाह विलोउने । १ गत, बिल्न। उसका एक नाम विजया पड़ा। उसके सेवनमे पातङ्ग २ गिरिगुहा, पहाड़की कंदरा। मिठता और हर्ष बढ़ता है। "मरोगुगेरंवारमाविवेश ।' ( रघु० २०२६) यह रमायनविशेष है। भारतीय चिकित्सक अनेक ३ दम्भ, पाखण्ड। ४ वन । ५ रोदन, रोना । औषधोम इमका व्यवहार करते हैं। ६ विगमस्थान। ७ वह वाक्य जिमके बहुत अर्थ है हत्मंहिताके मतमें विजया एक माङ्गलिक पदार्थ मकते। (पु०) ८ निकुज, लतागृह । ८. अल । है। पुण्यस्थानमें वेदिक कोणस्थित कुम्भपर अपर माङ्ग- १० गुमस्थान। ११ झाड़ो। १२ टुर्गम। लिक द्रव्योंके माथ वह भो अर्पित होता है। (हम 31.) गहरा ( मं० स्त्री० ) विड़गज, बायविडंग। सुश्रुतने भांग या गांजेके वृक्षको स्थावर विषों में उल्लेख गहरो ( म स्त्री०) गुहा, कंदरा, गुफा। (हरिवंग) गररित ( सं त्र०) गहरं जातमस्य इतच । १ गुन्न । किया है। उनके मतानुमार उसके मूलमें जहर रहता है। (भभुत कल्प २ अध्याय) प्रतिस्याय रोगमें उसको मेवन २ नुब्ध, निस्तब्ध। गहरेष्ट ( मं० त्रि०) गहरे तिष्ठति स्था-क । जो गुफाम करनेका विधान हैं। (सभा उत्त. २४ १०) कटको, द्राक्षा, छिप गया हो। मुम्ता और क्षेत्रपर्पटीके साथ उसका क्वाथ बना करके गा ( सं० स्त्री० ) १ गीत । २ शरोर, देह । पोनसे पित्तश्लेश्मिक ज्वरम उपकार होता है। इस देशमें गाँकर (हिं. स्त्री० ) १ अङ्गाकड़ी, लट्टी। २ अहरको बहुत दिनोंसे वह प्रचलित है । पाणिनिसूत्र (५।२।२८). लिही। के वार्तिक और पाणिनिसूत्र ( ५ ५।४ ) में उमके पर्या गांछना ( हिं० पु० ) गाँथना, गंधना। यान्तर भङ्गा शब्दका उल्लेख विद्यमान है। गांज ( फा० पु० ) १ राशि, दर। २ लकड़ीका ढंग। गांजैसे कोड मकोडे मर जाते हैं । इमी विश्वास पर गांजना (हिं० क्रि० ) १ गशि लगाना । २ घाम या उसका मतकुणारि नाम पड़ा है। ग्रीक ऐतिहासिक लकड़ी तन्ले ऊपर रखना। हिरोदोतासके ग्रन्थमें भी कामाविस नामका उल्लख मिलता गांजा-एक पौदा और उसका फल । ( Cammabir है। युरोपियोंने गांजे और मनका पौदा एकजातीय मान Satira, Cannabin Tundica ) इसको अंगरेजीमें करके दोनोंको केनाविम वा हेम्प नाममे अभिहित किया Hom]), फरामोमोमें Chanvre, जर्म नमें Ilanf, इटा है। परन्तु हमारे देशमें गांजा शणसे स्वतन्त्र है। हिरो- लीमें Canate, रूसीमें Cmonolia, स्पेनीयमें Can दोतामने लिखा है-मिथोय लोग गांजका बीज मनके amo, डेनमार्को में Hamp, काश्मीरीमें बनी और मराठी भीतर भर करके जलते पत्थर पर रख देते और उसके में मांगाछा झाड़ कहते हैं। गांजाका संस्कृत पर्याय निर्गत धुमसेवनसे हो सुखानुभव करके उल्लासध्वनि गञ्जिका, वज्चदारु, भङ्गा, भरिता, गायन, गञ्जाकिनी, | करते थे, हमनको अरबो किताबमें कहा है कि शेख मत्कुणारि, मातुली, मातुलानी, मादिनी, शक्राशन, जाफर सिवानी नामके एक फकीर मिसावार पहाड़ पर त्रलोक्यविजया, इन्द्राशन, जया. वीरपुत्रा, गजा, चमन्ना, अकेले इबादत ( उपासना ) में लगे थे। वह किमी रोज प्रजया, आनन्दा, प्रकाशिनी और हर्षिणी है। यह कटु, जङ्गलमें गांजेको पत्तो खा कर खूब खुश हुए और अपने कषाय, उष्ण, तिक्त, वात तथा कफनाशक, मंग्राही. | चेलोंको उसे देखाने लगे। मिसरमें गांजा नशेके काम बलकर, मेधाधिकारी, दोपन और वाक्यवद्धिकर होता पाता है। वहां लोग एक नलीसे गांजा पीते हैं। गांजमे । (राजभव गट, ) भावप्रकाशके मतमें वह कफनाशक, तरह तरह का प्रचार और मिठाई बनती है। भारतमें भी तोता, या पाचक, हलका, तीखा, उष्ण और पित्त, गांजका धुआं पीया जाता, भांग खाते और उसकी माजन मोह, मममा.पा.- --- - ----