पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/२६७

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गांवा भांगके पड़का फूल गांजा, पत्ती भांग हो और उम- सकता है। यह सत एक पिण्ट खालिस स्पिरिटमें मित्रा का दूध चरम कहलाता है । इममें सभी चीजें देनसे चरसका टिनचर ( Tinctira Cannabisatne नशोली हैं। dicine ) तैयार होता है। हालतको देख करके . बद तक उमका प्रयोग कर सकते हैं। डाकर पोर- नेमीने मबमे पहले गांजेको भनाई बुराई समझकर उमको विलायती दवाइयों में डाला था । Johniwwki. ॥g- ham pain of India, p. 461.) अगरीजी हम्प (llemp) शन्दमे शण (मन) औरजांजे दोनो का अर्थ निकलता है। एनमाडलोपीडिया टेनि- का प्रभृति ग्रन्थों में भी वही गड़बड़ो है। दोनों एक जातीय होत भी गांजक आकारमें कुछ विशेषत्व। इम पड़म लकड़ोका भाग अधिक रहता है। फिर मन पंदेमे मोटा भी होता है। इसके डण्ठल निम्नदेश फैला हुआ और जपरी भाग ढालू लगता। -पर-स्त्रोपय । -गाँजेको यो। यह साधारणतः चार और कभी कभी ६ हाथ तक बढ़ फिर भी गांजका नशा भाग और चरमक नशैसे जाता है। ऊपरो पत्तियां ख व हगे और फल ज्ययन निराला है । अमलो गोंद ही गांजे को मादकताका मूल लिये हुए मफेद होते हैं। इमको फुनगो बचौ मोटो कारण है। गांजा डाकरो चिकि सा पं ओषधकी तरह पार दोनों ओर ढाल पड़तो है। उममें बहुतमा रिहा व्यवहृत होता है । अङ्गरजी भैषज्यतत्त्वमें वह उत्तेजक, रहता है । पेड़ो तथा सोधी अवंग होता और सवा वेदनानिवारक, स्निग्धकारक, अवसादक, आंनेपक वा परिधि मे ८ इञ्च तक बैठता है । तलदेशसे जया धमुष्टङ्काररोगनाशक, म.दक, मूत्रकारक, और प्रमवका कमी मिले हुए तार पर कभी अलग अलग फटतो।। महकारी जैसा बतलाया गया है। उमका धनुष्टङ्कार, ममी जगह रूयां होता है। डालियों के भीतर एकर जलातङ्क वा अलकरोग, कम्प, प्रलाप, धड़कन, सायवीय को कोमल खेत मज्जा या गूदा भरा रहता है वेदना प्रभृतिमें प्रयोग करनेसे सुफल मिलता है। सिवा मज्जा पर बुद्ध,दविशिष्ट सूक्ष्म भङ्ग प्रवण कोई प्राव इसके हैजे, अधिक रजा, जरायके रक्तस्राव, वातरोग, । इमो आवरण पर छाल लगी है। यह खक दमे, हृतपिण्ड के वैलक्षण्य, क्लेशकर चर्मरोग और खजली लम्बे लम्ब रेशीमे बनता है। रेशे ममान्तराल भावी आदि बीमारियामि भी वह व्यवहृत होता है। प्रसव ___ अवस्थित हैं। पत्तियां किसी सीधी डालकी दोनों कालको जरायुके अवमादमें अधक क्षण व्यथा होने पर ओर निकन्नती हैं। पत्तियां जड़से मोटो होतो परी इसके प्रयोगसे यह संकुचित पड़ जाता और प्रमव साहाय्य सूई की नोक जैसी ढाल पड़ जाती हैं। उनका पाच देश पाता है। दुमका मत (Extractum Cmab's indicae) आर जेसा कटा कटा रहता है ! ५७ प निम्नलिखित रूपमे प्रस्तुत होता है-४ पिण्ट विशुद्ध माथ निकन्नती हैं। गांजका कोई फ ल पुरुष जातीय स्पिरिटमें आध सेर गांजे की बुकनी मिला ७ दिन तक और कोई कोई स्त्री जातीय होता है । पुरुष जातोय पुष भिगोकरके रख छोड़ना चाहिये। फिर उसको दवा या निरालं पड़में लगता है। व: एक एक बोढ़में एकत्र निचोड़ करके अरक निकालते हैं। इसको टपका और उपजता और प्रायः अधिक झुक पड़ता है । उमको जड़में स्पिरिट उड़ा करके उक्त औषध बनता है। अवस्था नई नई टेहनियां निकला करतो हैं। उनका नशा में विशेषमें प्राधे ग्रेनसे २ ग्रन तक वह रोगीको दिया जा होनसे भारत किमान लोग फेंक देते हैं। फर. Vol. VI. 67 .