पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/२६८

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गांजा भाकों में बांध कर मोधे हो जाते हैं। हमी के बीच में अर्ध के हो गांजेका खेत जोता जाता है। किसी किमी जगह मेलाकार डिम्बकोष होता है। उममें एकमात्र उद्भिद कुछ पीछे भो भूमिकर्षण करते हैं । ३।४ दिनके अन्तर पर ण रह मकता है। फ लमें वोज बढ़ते ही पड़ मर एक ही खेतको कमसे कम ४बार जोतना जरूरी है, उम में किसी किस्म का घास फूस न रहे, खूब साफ कर डालना

  • स्त्री जातोय फल ही भारतवर्ष में नशाके लिये गांजेके चाहिये। निम्न भूमिसे मट्टी ले जा करके उममें एक

नौर पर काम आता है । परन्तु किमान उसको पुजातीय या २ हाथके फास ले पर टोकरी टोकरी डाल देते हैं। सा समझते हैं । इमो विश्वासमें वह पुपुष्योंको थोड़े दिनों बाद खेतकी बगाल पर कुदाल या खुरपीसे . ट करके खेतमे फेंक देते हैं। पुपुष्प होनसे अच्छा घास और दूमरे छोटे छोटे पौदे काट करके खेतमें फेके दक द्रव्य नहीं निकलता, गांजमें वीज भर पडता है जाते हैं। फिर पामकी जमीनसे मट्टी ला करक मेंड . रायल माहब कहते कि एक पोर्द में दोनों जातोय ऊंची उठाते हैं। समय ममय पर गोबरको ग्वाद और स फटा करते हैं। किन्तु वह अनुमान ठोक नहीं। उम पर मई देनी पड़ती है। इसमे चिमड़ी मट्टी स्ट ले यह ठहराना बहुत कठिन है, कान पौदा नर और जाती और घाम ऊग आती है। मादा है। किमान लोग ही इम भेदको ममझ तुष्टिका जल बहा देने के लिये नाली बनाते हैं गोबर आदि खाद इकट्ठो करके भाद्रमामको खेतमें डालत इस गांजमें गल जेमी एक चिपचिपी चीज होती है। हैं। आखिन मामको आकाश परिष्क त रहनमे और १६(पगमें भी ग्व व नशा रहता है। यह गांद कभी कभी एक बार वही खेत अच्छी तरह जीता और मईमे बग- पने आप निकल पाती और चरम कहलाती है। बर किया जाता है । परतवर्ष के पोटीमे यह दूध कम निकन्नता,किन्तु हिमा- एक ओर नेत्र वपनोपयोगो बनता और दूसरी ओर - प्रदेशमें ग्रीष्मकालको प्रचुर परिमाणमे मिलता है। बीज स्थानान्तरमें अङ्ग रित हुआ करता है । जमीन तैयार iसको भी मादकताशक्ति यर्थष्ट है। उसको पोनको होनपर वीजों को क्षत्रमे रोपण किया जाता है वीज सम्व में मिन्ना गांजको तरह चिनम पर रख करके तैयार करनमें कोई डढ़ मास लगता है। उम समय वाज पोया करते हैं। भारतमें गांज पौदे के फ लमें टेहनियां ८ से २० अङ्गल तक बढ़ती हैं। वीजमें जो होता है। परन्त फनक बोचमें डिम्बकोषके छोटा आता, रोपण नहीं किया जाता । अपेक्षाकृत छोटा भीतर वोज पड़ कर गर्भमञ्चार होनमे रस सूख जाता पौदा ऊंची और बड़ो आर्द्र भूमिमे रोपित होता है। है। उनीमे किसान लोग गर्भ निवारणको उतनी चेष्टा १०१२ अ, लके अस्तर पर प्रत्येक वृक्षको रखते हैं । किया करते हैं। स्त्री और पुरुष उभय जातीय वृक्ष भी आश्विनमासको ८१० दिनकै अन्दर यह वपन कार्य न होते हैं। उममें अधिक पत्तियां प्रानमे झाड़ बन जाता कर ले नसे पैदावार बिगड़ जाती है। बौनके बाद दो तीन | और फन्न नहीं आता। परन्तु इम श्रेणीका पोदा रह दिन पानी न बरमना अच्छा है । कारण वृष्टि होनसे जड़ ' नेसे गांजको खेतोको कोई हानि नहीं पहुचतो। ऐसे भीगती और पोदा भी अवोरको सूरखता है : एमा होने । पेड़ीको खम्मो कहा जाता है। पर फिर दूसरा वोज लाकर डालना पड़ता है। उधर उधर प्रायः गांजका पड सभी समयको उपजा जिस जगह पर वीज तैयार होता, उमका हिमाब करता है। फिर भी खेती करनेवाले आश्विन वा का- अलग है। वृष्टिको २।१ भरनाक बाद ज्यं ठ माममे तिक माममें हो इसका घौज वपन करते हैं। पौष माघ प्रारम्भ करके भाद्र माम पर्यन्त उमको ३ ४ बार जोतते मामको पेड़ फलने लगता है। हैं। फिर मई देकर जमीन बैठात और मट्टीकी खूब .. जिम जमोनपर किसो बड़े पेड़ की छाया पड़ती, गांजा बुकनी डाल करके धूपके वकत वीज गाड़ पाते हैं। फिर · वृक्ष लिये उपयोगी नहीं ठहरतो माघ वा फाला न मास- मई दे करके मट्टो बराबर की जाती है । एक विस्वा जमी-