पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/२७३

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गाकर- २७ उनके राज्यका कुछ अंश अपने आप ले लिया। १००८. फरिश्तामें लिखा है--कन्यासन्तान होनेसे काई ई०को जब महमूद गजनबीने भारत आक्रमण किया, | भी गाकर उसको बाजार ले जाता और वहां एक हाथमें कोई ३०००० गाकरोंने पेशावरके पास हिन्दू राजाओंको | कन्या और दूमरे हाथमे पैनो छुरो ले करके चिमाता माहाय्य दिया । उस युद्दमें महमूदको प्रायः ५००० सेना है; यदि उम कन्याका कोई प्रार्थी हो, शीघ्र पा जावे। विनष्ट हुई। १०७ ई०को इब्राहीम गजनवीने युध | किसीके आकर न पहंचनसे तत्क्षणात् नवजात कन्याको पर्वतका दारपुर दुर्ग अधिकार किया। यह दारपुर | दो ट कड़े कर डालते हैं। उमो कारणसे इनमें एक जलालपुरसे कुछ उत्तरको वितस्ताके तौर पर अवस्थित है स्त्रीके बहुतसे स्वामी देख पड़ते हैं। ई०से ३२७ वर्ष नगरके लोग खुग सानियोंके वंशधर हैं। अफ्रामिया | पहले यूनानियाँक भारत आक्रमण के समय रावलपिण्डी कर्तक स्वदेशसे ताड़ित होने पर वह उक्त स्थान में जा बसे प्रदे शमें शक जातीय 'तक शाखाका वाम था । सम्भवतः हैं। वह भी इनको ही तरह अपने अपने घरमें विवाह यह 'तक' संस्कृत तक्षक शब्दका अपभ्र शाहै। कारण करते और किसी अपर जाति वा श्रणीसे मम्बन्ध नहीं | शकों में मर्पोपामक कोई दूमरा नागवश भी होता है। रखते। कितने हो लोगों के अनुमानमें गाकर और दार बहुत लोग अनुमान करते कि तकशोय शक लोगो को पुरके खुरासानी एक जाति हैं। चन्द बरदाई कविके मुसलमानों ने गाकर या गाकर जैमा कहा है। पृथ्वीराजरामो नामक ग्रन्थमें लिखा है कि ११८० ई०को । गागर ( हिं० स्त्री० ) गगरी, घड़ा। मुहम्मद गोरीके भारत आक्रमण करने पर उनके सरदार गागरा ( हिं० पु. ) १ गगरा देखो। २ भंगियोंकी एक मलिक हयातने पृथ्वीराजको महायता दी। जाति। ___ कहते हैं कि मुहम्मदगोरी के शेष राजत्वमें गाकर मर गागरो ( हि स्त्री० ) घड़ा, गगरा। दार मर्व प्रथम इमलाम धर्म में दीक्षित हुए । परन्तु इम गागरोन-राजपूताना कोटा राज्यके कनवास जिलेका से पहले ही उन्होंने विजातीय उपाधि 'म लक' ले एक ग्राम ओर दुगे। यह अक्षा० २३. ३८ उ० और देशा० रखा था। •७६ १२ पू०में अह और कालोसिन्ध नदोके सङ्गम स्थल १२०५ ई०को इन्होंने पजाबके लाहोर राज्य पर्यन्त पर झालरापाटन छावनोमे ढाई मील उत्तर-पूर्व अवस्थित आक्रमण किया। १२०६ ई०को यह मुसलमान मुन्न- है। गागरोनका किला राजपूतानामें एक बहुत मजा तानके खौमेंमें घुम पड़े और छातीमे कुरो भोक उनको बूत किला है। कहते हैं-उसे डोड राजपूतोंने बनाया मार डाला। परन्तु १२२५ ई०को इन्हें मुगल सम्राट था। ई० १२ वी शताब्दीके अन्त तक उनका इस पर बाबरको अधीनता माननी पडी। १७६५ ई०को रावल- अधिकार रहा, फिर खोची चौहानोंने पाकर दखल किया पिण्डोके समतल क्षेत्रसे मिखो हारा खदेरे जाने पर यह १३०० ई०को खोचियोंने सफलतापूर्वक अपने राजा जीत- मुरी पर्वत पर पहुंच करके स्वाधीन भावसे राज्य करते सिंहके अधीन अला-उद-दीनका अवरोध रोका, था । रहे। वही १८३० ई०क, सिखो से इनकी लड़ाई हुई। किन्तु प्रायः १४२८ ई०को राजा अचलदासने मालवके बहुत रक्त पातके पीछे इन्होंने पराभव माना था। १८४८. शङ्गशाहसे गागरोन अधिकार किया। १५१८ ई०को रावलपिण्डी सिखो के हाथमे अंगरेजो के अधि- मान ऐतिमिककि वर्णनानुसार भ। इसके अधिकारी थे, कारमें आने पर यह परवर्ती ४ वर्ष तक उनसे लड़ते। परन्तु महमूद खिलजीने उनको आक्रमण करके पका रहे और १८५७ ई०को पञ्जाबकी राजधानी मूरी नगर लिया और मार डाला। इसके थोड़े हो दिनके पीछे पर चढ़ चले। मेवाड़ के राणा मंग्राम सिहने मुहम्मदको हराया और आजकल यह पञ्जाब प्रदेश रावल पण्डो, वितस्ता १५३२ ई. तक गागरोनको अपने अधिकारमें रखा । सौरवर्ती प्रदेश, गुजरात और हमारा नामक स्थानमें फिर गुजरातके बहादुर शाहने इसे अधिकार किया था! तीस वर्ष पोछे मालव जाते हुए प्रकबर बादशाह या