पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/२७५

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गाजवंश-गायवंश सुटिश सरकारको १२५० २० कर देना पड़ता है। यहां भद्रमोथा। ८ मुस्त, मोथा। इसका पर्याय-मेघाख्य, के प्रधान सनदके अनुसार अपमा राज्यकार्य चलास हैं। मुस्ता, गांगेय और भद्रमुम्तक है। (त्रि.)८गगा. प्रति बीमवर्षमें सरकारमे कर घटाया या बढाया जाता जलादि। है। उड़ीसाके कमिश्नर के अधीन राजाको चलना पड़ता | गाङ्ग यवंश - दक्षिणापथका पराकान्त राजवश । दाक्षिणा- है। करका घटाना या बढ़ाना, अच्छी तरहसे राज्य कार्य त्य दक्षिणांशम इनको कोङ्ग. या कोङ्गनो और उत्तरां लाना, उचितरूपमे न्याय करना तथा अफोम, नमक | शमें गङ्गया गाड्नेय कहते हैं। यह ठहरानका कोई उ य और शराव पर टैक्स लगाना. ये सब कार्य कमिश्ररको नहीं है, किम पूर्व कालको उनका प्रथम अभ्य दय हुआ । देव भालमें हैं । राजा के दयाको दो वष कारागार और | महाराज वोरचोड़ के ताम्रगामन पाठसे समझ पड़ता है २०० रु का दण्ड दे सकते हैं। उक्त दण्डमे यदि कुछ कि चालुक्यराज प्रथम विजयादित्यक पुत्र विष्णुवर्धनने अधिक दण्ड देनकी इच्छा हो तो राजा विना कमिश्नर गङ्गां और कदम्बाको पराजय करके दक्षिणापथम राज्य को अनुमति नहीं कर सकते हैं। विस्तार किया। इन्हों विष्णुवर्धनके प्रपौत्र कीर्तिवर्मदेव इम गज्यमें ८०६ गॉव लगते हैं। लोकमंग्ख्यामेंसे | ४८८. शकको राजत्व करते थे। एमे स्थल पर कोत- १४६५४८ हिन्दू, ८८८४८ आदीम जाति, १६४० मुसल वम देवमे अन्ततः एक शत वर्ष पूर्व विष्ण वर्धनका मान ओर १७५८ ईसाई है। नदियोंमे परिवेष्टित रह आविर्भाव मान लेते भो प्राय ३८८. शक (४६७ ई.) नेके कारण यह राज्य बहुत उपजाऊ है। को गङ्गवशका अस्तित्व ठहरता है। किसी किसी यहांको प्रधान उपज धान, ईख और रेडी है । यहांक | एतिहामिककं मतम' : गक्रान्त आन्ध भृत्य राजाकि जंगलमें लाख, धूना (ध प) और कत्था यथष्ट पाये जात अवमान पर ई. हितोय शताब्दो को गङ्ग और पत्न व राजा हैं। हिंगोरराज्यमें कोयले की खान है ! यहां चूर्ण | दाक्षिणात्य कोल्हापुर, धारवाड, वनवामी आदि ध्यानी काड ओर लोह भी अधिक परिमाणमें मिलते हैं। इस | का राजत्व करते थे। राज्यमें १३ पुलिसष्टे सन हैं जिनमें कुल २४ पुलिस इन्स गांगयराज अनन्तवर्मा ( चोड़गङ्ग )के १०४१ शकली पर और १३४ कोन्सटेवुल रहते हैं, पुलिस विभागमें | प्रदत्त तामशासनमें लिखित हुपा है- २०००० रुपये खर्च होते हैं। इसके अलाबा चौकीदार "सतो ययातिविजितारि तिज ताव सरुव रेशः । सपूर्व गोर्वाष्पगुरोग ग्मिा मानामयोगसि हि प्रातः 1 हैं जिन्हें जागीर दी जाती है। सुपाडोमें एक कारागार पपुवत्व प्राप्तम सविरमतिजिनो नृपाः । है जिसमें सिर्फ ५० कैदो रह सकते हैं। इस राज्यमें म गङ्गामाराध्या नियतगतिराराध्य बरदाम् । . अस्पताल, १ मिडिल स्कूल, ७ प्राइमरी स्क ल और भनेय' गांगेय सुतमलभतारमा च तदा ८ लोअर प्राइमरी स्कू ल हैं। क्रमसद वस्यानां भुवि जयति गङ्गान्वय रनि. गाङ्गवंश, गांगेयवश देखा। चन्द्रसे बुध, बुधके पुत्र पुरुरवा, तत्पुत्र आयु, आयुके गाङ्गायनि ( स० पु० ) गंगाया अपत्यम् । १ भीष्म | पुत्र नहुष, नहुषकं लड़के ययाति, ययातिर्क बेटे तुर्वसु २ कार्तिकेय । ३ एक प्रवर ऋषि । और तत्पुत्र गर्गिय थे। तुर्व सुन गङ्गादेवीकी आराधना गाङ्गिनी ( सं० स्त्री० ) गगाको एक धारा । यह बंगमें | करके गांगेय नामक पुत्र लाभ किया था। उन्ही के वश गौड़ नगरके निकट गंगाम पा मिली है। धर 'ग'गान्वय' वा गांगय कहलात हैं। उक्त ताम्रयामन बाय (म० पु. ) गगाया अपत्य ठक । १ भीष्म । | और कटक जिलेसे नवाविष्कत उत्कलराज वीर यो नर- "गाने योऽय महाभाग भविष्यति वनाधिकः । ( देवौ गवत ॥४॥३०) 'संहदे वके ताम्रगामनमे भी गांगयको पर पुत्रादिक्रमसे २ कार्तिकेय । ( भारत ११३८ ५० ) ३ हिलसा मछली। वशावली इस प्रकार दी गयी है-विरोचन, सम्वद्य वा ४ भद्रमुस्ता, भद्रमोथा ।( क्लो० ) गगाया अपत्य ढक् ।। साम्वेद्य, भावान, दत्तमेन, सोम वा मौम्य, अश्वदत्त, ५ स्वर्ण, सोना । (भारत बम ) धुस्तूर, धतूरा । ७ कशेरु, | सारांग चित्रांगद, थोरध्वज, धर्म षो, परोक्षन, जयसेन, Vol VT. 80