पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/२८१

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गायवंश मादलापञ्जा आर व शावलाक माहाय्यम जा वात कहा । पुत्र अनङ्गभाम राजपद पर अाभाषत हुए * एतहा हैं, हिमी अशमें मामयक लिपिसे नहीं मिलती। मिक ष्टालिङ्ग, हण्टर और राजा राजेन्द्रलालके मतम ऐमो अवस्थाम उन्हें आधुनिक अथवा अप्रामाणिक जैमा | इन्हों अमङ्कभीमने ११८६ ई०को पुरीमें प्रमिद्ध जगन्नाथ अवश्य मानना पड़ गा। देवका मन्दिर निर्माण कराया। किन्तु वह बात ठीक २य नरमिहदेवके ताम्रशासन (३७ श्लोक) मतानुसार नहीं। क्योकि उस समय अनंगभीम उत्कलके राजा महाराज चोड़गगी स्वर्गारोहण करने पर १०६४ शक नहीं हुए, इनके पितामह अनियङ्ग वा अनङ्गभोम उत्क- (११४२ ई० )को तत्पुत्र महावीर कामार्णव सिंहासन लम रजत्व करते थे। उन्होंने भी प्रमिह जगन्नाथ देव- पर अभिषिक हए ये इन्होंने १० वर्ष गजत्व किया । का मन्दिर नहीं बनाया, उनमे बहु पूर्व चोड़गगने फिर गगगज राघवने राज्य पाया। महाराज चोड़गङ्ग यह मन्दिर निर्माण कराया था। ने सूर्यवशको राजकन्या इन्दिराका पाणिग्रहण किया ___कटक जिला के अन्तर्गत महामिहपुरमें चाटेश्वर- था। उहों के गर्भ मे रावबका जन्म हुआ। महाराज मन्दिरमे महत् गिलाफलक निकला है। इममें निवा राघव' १५ वर्षे राजा रहे । फिर •य राजराजका रामत्व | है कि चोड़गगक एक पुत्र अन गभोमने उक्त शिव- हुआ। इन्होंने चोड़गगत्री अपर महिषी चन्द्रलेखाके मन्दिर प्रतिष्ठित किया । शिन्ना फलकके २३वे छत्रम गर्भ मे जन्म लिया था। उनका शरीर अतिशय प्रकाण्ड लिखा है- रहा। इनके मम्बन्धमें जो कुछ घटित हुआ, मानव "धकार तत्व प्रतिपत्तिमम्पदाम्प पवामि पुनम वानि वः।" प्रकृतिके पक्ष में निगान्त अमम्भव है। राजराजन २५ ___ इमसे अनुमित होता है कि चोड़गगके पुत्रने, जो वर्ष प्रबल प्रतापमे राजत्व किया। उभ शिलाफलकमें अनंगभोम लिखे गये हैं, परातन उक्त राजराजके पोछे कनिष्ठ महोदर अनियङ्क वा अन मन्दिर मंस्कार कराक नया करा दिया था। सम्भवतः गभीम मिहामन पर बैठे। उनका राजत्वकाल १०वष इन्हीं अनगभीमके समय पुरुषोत्तमका मन्दिर मस्त मात्र था। फिर ३य गजराज राजा हए । अनियंक वा अथवा सम्पूर्ण हुआ होगा। राजराजपुत्र २ य अनंग अनंग भीमक औरस और वामनदेवीके गर्भ मे उनका भीमके ममय वह नहीं बना। जन्म था। यह यौवनकाल को ही राज्यके अधीश्वर हुए । ___ राजरोजके पुत्र रय अन गभीम विद्वान्, शास्त्रदर्शी, उन्होंने ११ वर्ष मात्र राज्यलक्ष्मीका उपभोग किया। महावीर, पण्डितप्रिय और परम वैषणव थे। ममम्त ३य राजराजके मरने पर मङ्गण देवी-गर्भजात तत्. कलिंग राज्य उनका अधिकारमुक्त रहा। इनके राज्यमें कलिका दबदबा न था ( मानो मत्ययुगका आविर्भाव हो •ऐतिहासिव हानि और गटर माहवर्क मतानमार चाडगगके बाद गया था)। उन्होंने प्रबल पगक्रमसे ३४ वर्ष राजत्व सनya ग गैर ५१० कागजाए। पुरुषकम दिन, उत्कलभाष! रचित 'उहामानाम' देखने उम गरी भरने १५ वर्ष मात्र राजस्व किया। २य नरमिहदेव ताम्रशासनको छोड करके किया। किन्तु मम शर • मिसे विमो भी ग लख नहीं गञ्जामक अन्तर्गत क लंगपत्तनमे ३ कोम पश्चिम अव- गांगेय राजमार मन में चोड़गगता गगे बाल्या दो स्थित "श्रोकूर्मम्" नामक ग्राममें थोकूर्मस्वामीक प्रमिव गयो। मन्दिरकै १०म म्तम्भ पर ११७४ शकको खोदित अन ग. उत्कन किसीमम उगोगे राम कामाव और राधवका भीमको अनुशामन लिपि है। उममें भी महाराज माम नहीं मिलमा । . के मशनर विसो कामदेव और मममहादवका मोगा। यह भी कहना भिवती, दोनों किस सन्तान थे। •ागि माहय मत में उन्हों चमगभौमने ११७४ की राणा- toकमसममै नभनिक वार भीमका नामोयनहो'| रोहर किया। कमसिहामाया रानावर नामसे पित..उनि दवा विषयानुभासनलिपिभी पालिसी अन्य पायित सारिकाने बाप रात्वज्ञान विया ।