पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/२८६

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गानो-उद-दोन खां फोरोव जङ्ग य ... गाजो-उद-दोन हैदर माजी उद-दीन खॉ फीरोज जन २य, निजाम-उल-मुल्क को रसोडण्ट लेफटीनेण्ट करनन्न बेलीके उद्योगसे वह प्रासफ जाहके पुत्र । नादरशाहके ईरान लौट जाने पर रुपया भी मिल गया। १८१८ ई० १७ अपरेल के "समा- यह अमोर उन्न-उमग उपाधि प्राम हुए १७५२ ई० १६ चारदर्पण" में लिखा है-'तीन चार वर्ष हुए अंगरेजों- अकत बरकी दिल्ली जात ममय राह पर औरंगाबादमें के नेपाल राजासे लड़ करके नेपाल राज्यका टतीय भाग इनका मृत्य हुआ। कोई कोई कहता कि विषप्रयोगमे ल लेने पर लखनऊके नवाबन कम्पनोसे अपना राज्य- उनका विनाश माधन किया गया । मंलग्न नेपालीय दंश मांगा था। उममें कम्पनीको एकता गाजी उद्दोन खो ३य, इमाद-उल मुल क यह निजाम- कगेड़ रुपया द करके उन्होंने वह नपालाय देश कम्पनी- सल-मल कके पोत्र और रय गाजो-उद्दीन पुत्र थे । से ले लिया ।' पर इन्होंने उन्हींका नाम और उपाधि धारण किया, १८१४ ई० १२ नवम्बरको इन्होंने तात्कालिक गव- और वजीर हो करके सम्राट अहमदशाहको अन्धा बना नर लार्ड मेयर वा मारक्विस आफ हैटिङ्गम माहबको लिख कारामं डाल दिया। पीकेको इनकं हारा य आलम- भेजा था--'आपने मुझ पिटमिहामन पर स्थापन किया गोरकं प्राण विनष्ट हुए। इन्होंने गवा बंगममे शादी है। सुतगं में उनकी राज्यमम्पत्तिका अधिकारी हूं। की। गन्ना वेगम देखा । १७७५ ई०को गन्ना बैगमकी मृत्य, वह राज्य मेरे मम्पूर्ण कर्तृत्वाधीन रहना चाहिये, एक हुई । फिर इनको अवस्था भी मन्द पड़ गयो ममोर भी परगना या गांव मेरे शासनम विच्छिन्न न हो। फिर उन्न -उमरा नामक ग्रन्थमें लिखा है कि १७७३ ई०को मैन राजामें सुविचारकै लिये ४ अदालने कायम की हैं । वह दक्षिणापथ गये और मालवमें एक जागार प्रान इस लिये मेरे प्रात्मोय, अनुचर वा भ्रावके मध्य कोई हर । फिर मूरत जा पार अगरजांक पास थोड़े दिन यदि कलकत्तं जा करके मेरे सम्बन्धक कोई अभियोग रह करके उन्होंने मकाको प्रस्थान किया। गुलजार लगावे, तो वह फमलेके लिये मर राजाको हो भेजा इब्राहीम कृत काव्यग्रन्थमें भी इनका वृत्तान्त वर्णित जावे । एमा न हो न मेरा सम्मान प्रतिपत्ति मभी बिग- हुआ है । उसमें इनका नाम निजाम लिखा है। इन्होंन ड़ेगा।' गवनर जनरलने उत्तर दिया कि न्यायसङ्गत फारमी बार रेखता, शायरी, अरबी और तुर्की भाषाको विषयांमें अंगरज गवनम गट की शर्त न तोड़ करके उनके गजलें मोर फारमी जबानमें दोवान और मसनवी का अभिप्राय अनमार काम किया जावेगा । बेलो माहब रचना किया। कोई कोई कहता कि कालपोमें उन। उस समय लखनऊके रमोडण्ट रहे। गवनम एटके सेक- मृत्यु हुआ। टरी एवाम साहबने उन्हें लिखा नवाब साहवको बाहर- गाजी-उद-दोम-एक नगर। गाजियाबाद देखो। में स्वाधीन राजा-जैमा बतलाया जावेगा, वस्तुत: उन्हें गाजी-उद-दीन हैदर-प्रवधके नवाब वजोर । १८१४ ई. अंगरेज गवर्नमेण्ट के अधीन रहना पड़ेगा । ( Dacoity २१ जुलाईको अपने पिता नवाब शहादत अलो खाँका in Excelsis, p. 61. ) मृत्यु होने पर यह अवधक नवाबी पद पर प्रतिष्ठित हुए। नवाब गाजी उद्दीन वजीर थे। १८१८ ई०८ अक- शहादत अली मरते समय धनागारमे बहुतमा रुपया पैमा तूबरको इन्होंने अबुल मुजफ्फर मैज-उद् दीन शाह छोड़ गये थे। १८१४ ई० १४ अकतूबरको गाजी-उद जमान गाजी उद्दीन हैदर बादशाह नाम धारण किया। दोन हैदर गवर्नर जनरल लार्ड मेयरमे मिले । इन्होंने उसके उपलक्षमें एक बड़ा दरबार लगा था। इनके अभि- कम्पनीको १ करोड रुपया दे डालना चाहा था, परन्तु षक कालको कोई ३० हजार रुपयेके मोती लुटाये गये। गवनर जनरलने, उसे दान स्वरूपानले ऋण-जैसा ग्रहण फिर अगरेज दुई राजा करने लगे। करने पर स्वोसत हुए और नेपाल युद्धक लिये और भी गवर्नर जनरल लाई आमहष्ट के ममय नवाबके साथ १ कराड़ रुपया कर्ज मांगने लगे। नवाब साहब यह अगरेजांका अच्छा मैलजोल रहा। उन्होंने १८२५ १० अतिरिक्त रुपया पहले देने पर राजी न हुए, परन्तु पीछे- १४ जुलाई और १८२६ ई० २३ जूनको जो खरीता पहु-