पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/२८७

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गानोखां-गाजीपुर २८५ चाया, पहलेमें राजा और दूमरमें बादशाह जैसा इनका विरुद्ध उभारा था। भाटके राजा रामचन्द्रको कर देने सम्बोधन आया है। इन खरीतोंके पढ़नेसे समझ पड़ता और विद्रोहियोंकि आत्मसमर्पण करने को कहता भेजा था, है कि ब्रह्मदेशके युद्ध के लिये लखनजके नवाबने अंगरेज परन्तु राजाके उस पर राजी न हो युद्धका उद्योग करने गवर्नमेण्टको एक करोड़ पचास लाख रुपया ऋण दिया पर अकबर फौजके साथ उन पर चढ़ च । उन्होंने था। रेमो डगट रिकेटम माहब और नवाब मातम उद् - राजाको परास्त करके इनको मार डाला। दौला मुखतियार उल मुल्क दोनोंके ही उद्योगमे वह गाजो खाँ बदवशी · एक मुसलमान सेनापति और कवि। कार्य मम्पन्न हुआ। इनके आगामीर नामक मन्त्रो पर इनका प्रकत नाम गाजो निजाम था। यह मुला इमाम नमोर-उद-दीनको बड़ो नाराजगी रही। उद-दोन इब्राहीमके पाम कान न पढ़ने पर शेषो बडे इन्होंने मोचा कि मेरे मरने पर लड़का नवाब हो करके विद्वान् जैसे गण्य हुए । बदख्शांक मुलतान् सुलेमान्ने जरूर हो आगामीरको मार डालेगा। इन्होंने अंगरेजों खुश हो करके इनको 'गाजोखाँ' उपाधि दिया था। को अनुरोध किया कि वैमा हो न मकै । गवर्नमेण्ट हुमायुक मरन पर सुलेमानन फाजक माथ काबुल जा ५० मेगड़े मूद पर १ करोड़ रुपया कर्ज ले करके आगा- करके उनके नौकर मुनीबको घेर लिया। फिर उन्होंने मोरको बचाने पर मस्त द हुई। इन्होंने व्यव- की मेरे इनको मुनीव खॉक पाम भेज उनको आत्मसमर्पण कर- मरने पर उम रुपयेका आधा सूद श्रागामीरको मिलेगा नको कहनाया था । मुनीब खाँन इन्हें कई रोज अपने और बाकी दूमर कर्मचारियांको बंटेगा। मशहर बिशप पास रख करके खूब मजैसे खिलाया पिलाया । उन्होंने हेबर माहबने १८२४-२५ ई०को अवध प्रदेश भ्रमण तुष्ट हो सुलेमानको प्रतिनिवृत्त होने पर अनुरोध किया करक एक ग्रन्थ प्रकाश किया है। इममें उस समयके था। वह तदनुसार बदख्शां चले गये । फिर यह सुलेमा- अनेक वृत्तान्त लिखित हुए हैं। माहबने नवाबको खन नका काम छोड़ भारत पा खाँपुरमें मम्राट अकबरसे तारीफ की है। १८२७ ई० १८. अकतूबरको गाजी उद्ः मिले। उन्होंने इन्हें नाना उपहार दे करके पहले दीन हेदरका मृत्य हया। उस समय इनका वयम ५८ किमी लेखककै काम पर रखा था। पौरको बधिमा चान्द्र वत्सर था। इन्होंने लखनऊमें मोतीमहल, मुबा- त्ताका परिचय मिलने पर यह एकहजारी फौजदार रक मलिन, शाह मञ्जिल, चीनीबाजार, वत्र मञ्जिल, बनाये गये और कई एक लड़ाइयोंमें वीरत्व देखाने मांजक और कदम रसूल प्रभृतिको निर्माण किया। पर "गाजी खाँ” उपाधि प्राप्त हुए । इन्होंने मानसिंर के गाजीखों-दिल्लीसम्राट बाबरके समयकै एक मामन्त । यह अधीन वामदिकको सेनाकै नायक बन करके राणा लाहोर अञ्चल शामन करते थे। फिर इन्होंने मैन्य संग्रह कोकरसे युद्ध किया और उसके बाद विहारके विद्रोहको करके बाबरके विरुद्ध अस्त्र ग्रहण किया। बाबरने मसैन्य दबा दिया। अकबरशाहके बाद २८ वत्सर राजत्वको जा जब इनको परास्त करके मिलवतका दुर्ग अधिकार (e८८ हजरी) ७० वर्ष के वयस पर अयोध्या नगरमें इन- किया, इन्होंने वहांसे पलायन करके पर्वतका मार्ग का मृत्यु हुआ । इन्होंने बहुतमी किताबें बनायी थौं। लिया। इनके पुस्तकागारमें बहु मूल्य पुस्तक मंगृहीत गाजीपुर--युक्त प्रदेशका एक जिला। यह अक्षा०२५.१८. तथा २५.५४ उ० और देशा० ८३४ एवं ८३ ५८ पू. गाजी खाँ सबकाश्मीरके एक राजा। इन्होंने अकबर के मध्य अवस्थित है। इमर्क उत्तर आजमगढ़ और बादशाह मिलापति कारा बहादुरको युद्धमें हराया था। बलिया, पथिम जौनपुर जिल्ला, दक्षिण शाहाबाद एवं मयामरी रहीमोन५३. फारमो ग्रन्थमें इनका विस्त.त बनारस । चलिया तथा शाहाबाद जिला है। ववरण दिया हुआ कोम उक्त ... ! क्षेत्रफल १३८८. वर्ग मील लगता है। लोकसंख्या प्रायः गाजी खाँ सब रो-अकबर का एक अफगान ८१३८१८ है। कर्मचारी । इन्होंने भाटगावीन्दारीको अकबरके गाजीपुर शहरमें इम जिलेको सदर अदालत है। इस Vol. VI. 72