पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/२९३

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गाढ़ापुरी २६१ हैं। तोनों मुख हरिहर ब्रह्माके मुखों जैसे ही प्रतोय- त्रिमूर्ति के पथिम दिकम्य गृहमें १६ फुट ऊची शिव- मान होते हैं। उसीमे इमका नाम त्रिमूर्ति है। यह म नि है। इसके मस्तक पर गङ्गाको ३ मुखपाली एक एक दोवारकं पोछे अंधेरे छोटे रहमें स्थापित है । यह मति बनी है। इम नारीदे हक दोनों हाथ टूटे और गृह १०॥ फुट प्रशस्त है। इनके सामने २॥ फुट व्यासके शिवम ति के भो वामदिक्स्थ दोनों हस्त भग्न हो गये २ ख लग है। मूर्ति के मुखत्रय सम्बन्ध में कोई तो हैं। वामदिक्की १२ फुट ४ इञ्च ऊची पार्वतीम ति कहता कि वह शिव, क्ति और रुद्रको प्रतिकति है। है। शिव दाहन चतुर्हस्त ब्रह्मा आर एरावतासीन इमका कारुकार्य अतःव सुन्दर है। मध्यस्थलका शिव इन्ट्रको म नि विराजती है। पार्वतीकं बायें गरुड़ामीन मुब द खनसे ब्रह्माकः मुन जैसा माल म पढ़ता विष्ण म ति है। गरुड़कं गन्नेम मान्नाकार सपं लिपटे कारण इभक वाम हातमें ब्रह्माण्डवोजस्वरूप दाडिम्ब हुए हैं। सिवा डमक ब्रह्माको म तिक उपरि भागमें फल भग्नांश वा योगियांके पानपात्र जैसा कमण्डलु दृष्टी मेघराशि खोदित हुई, उमक वो चमें ६ मर्तियां बनी हैं। होता है। दक्षिण हस्तमें एक मर्पमूर्ति रहा, जो टूट शिवम ति क मत्ये पर एक मुनि आर दूमरी किसी पुरुष- गया है। दानों कान क छ देशकै कनफटे योगियों को मति है। पार्वतीक मत्य पर भी मे घमें किया दुई जैसे नम्व हैं। मम्तमका मुकुट अर्धचन्द्राक्कति जसा स्त्रिया पार पुरुषांकी खोदित म तियां देख.पड़ती हैं। बना हुआ है। दक्षणस्थ मुस्ख रुद्रदं वका है। इसके इस गुहामन्दिरके दक्षिण ओरसे जान पर पश्चिम दान हाथमें एक मांप लटक रहा है। वाम ओरका दिक कं प्रवेशद्वारको चांदनीक प. एक घरमें शिव- मुख महादं वका जैमा देख पड़ते भी विणुका ही मुख दुगोका विवाह वोदित हुया है। शिवको मूर्ति १. ठहरता है। कारण इपर्क दाहन हाथमें कमल है। फुट १० इञ्च और पाव तोको ८ फुट ७ इन्च ऊ'ची है। इमी विष्णु भावापन्न मवको कोई कोई श शिवका यज्ञोपवीत वामस्कन्धमे दक्षिण हम्त पर होता मुख-जमा बतलाता है। हम त्रिमूर्ति -रक्षित स्थानके हुआ दक्षिण जानु पर्यन्त फल गया है। शिवक वाम बाहर खम्भ के दोनों ओर द्वारपालो को २ मूर्तियां हैं। भागमें एक त्रिम ख मूर्ति है। यह सम्भवतः ब्रह्माकी उनमें प्रत्येक १२ फुट ८ इन्च लम्बी है। इनको वगनमें मूर्ति होगी । कारण स्वय' पद्मयोनि हो इम विवारक एक एक पिशाचमूर्ति है। पुरोहित हैं। उसके पथात् भागमै ४ हाथको विष्णुमूर्ति त्रिमूर्ति दर्शन करनको जानेमे निङ्ग मन्दिरका गर्भ- है इमक एक हाथमें पद्म, एकमें चक्र और अन्य दो हाथ गृह लांचना पडता है। इस गर्भग्टहमें प्रवेश करनेको भग्न हैं। उमाकं दक्षिण उनकी माता मनकाकी चारों ओर ४ दरवाजगे हैं। दरवाजों पर चढ़नकी मति है। उमार्क मस्तक पर हाथमें चामर लिये वेद मिडियां हैं। इसी कारण मन्दिरसे पोठस्थानको कुरमी माता सरस्वती विराजित हैं। पाव तोके दाहन और भी ३ फुट ८ इन्च ऊंची है। दरवाजांको दोनों ओर दो स्त्रोम ति हाथमें एक चामर लिये हुए खड़ा है। इसके दोक हिसाबमे ८ हारपान हैं। उनमें कोई १४ फुट पोछे घूघरवाले बाल और मस्तक पर शिरस्त्राणविशिष्ट १० इञ्च बार काई १५ फुट २ इञ्च पड़ता है। चन्द्रद वको म ति है । इसकी गर्दन पर भी एक चन्द्रार्ध त्रिमूर्ति के पूर्वदिस्थ ए हमें अर्धनारीश्वर मृति है। बना हुआ है । गिवर्क मस्तक पर भृङ्गी की मूर्ति है। इसमें महादेव पार पारीतो का अर्धाङ्गमिलन दिखलाया फिर दूमरो दीवारों में मुनि ऋषियों को मतियां खुदी है। है। हम गरम अपर पार भी अनेक देवमूर्तियां इसके बाद शिव आर पार्वतीका कलामविहार है। खोदित हैं। अनारीका पुमुति के दाहने पीछेको में उनके पुत्र कार्तिकेय तथा गणेश और शिव दनिय गरुड़ासीन विष्णु मूर्ति, यह ऐरावत पृष्ठपर इन्द्र भृङ्गोको म ति विद्यमान है। हरपार्वतीके नीचे वृषभ मति और उसके पशात् पञ्चमपृष्ठ पर पद्मासन ब्राम तथा सिंह और चारों पाखी पर पिशाचगण है। मर्ति प्रतिष्ठित है। के मगडपमें उत्तर भोरको शेषोक्त एसके