पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/२९४

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गाढ़ापुगै बिलकुन्न सामनेवाले घरके बीच के लास पर्वत पर दिक्का ग्रह १५ फट ८ इञ्च दीर्घ और १६ फट ५ इच हरपावती आमीन हैं। नीचे लङ्काधिपति गवण स्तुति चौड़ा है। गुहा मध्यमागके घरका अगवारा २• फट कर रहा है। शिवगे वामदिक को गाड़ालीन विष्णु ८ इन्च और पिछवारा २२ फुट पड़ता है । इमी पिछ- और अनेक पिशाच मूर्ति या खुदी हुई हैं . वाड़े की दीवारमे ३ कदम दूर ७ फुट ४ इञ्चको एक चतु यसो गहाको पश्चिम मौमाके शेषभागमें मण्डपकी रस्र वेदी है। वेदोके उत्तरको प्रगाालिका और वेदोके उत्तर टिक को शिवविवाह गृहक मामनेवाले घरमें उत्तर भग्न लिङ्गम् तं विद्यमान है। शिवका भैरव महाकाल वा कपालभृत् मूर्ति खोदित है। इसी हितोय गुहामण्डपके दक्षिगा भागके पर्वतमें उत्तर टिक के मण्डपमें भीतर जाने पर दक्षिण कोई दूमरी गुफा है। उमका प्रवेशद्द र दक्षणमुखी बना प्रान्तक किसी घरमें १० फुट ८ इञ्च ऊची एक चतुर्हस्त है। वह उक्त दोनों गुहाओंकी अपेक्षा पुगतन और भग्न शिवम ति है। कद्रदेव इस स्थान पर तागड़व नृत्य कर है। उसको वर्तमान अवस्था देख करके मण्डपकी दो- रहे हैं। पास हो ६ फुट ८. डच्च ऊंची पाव तो, गरुड़ ताका परिमाण अनुमान नहीं कर सकते. गुहा भीतर- पर विष्णु, ऐरावत पर इन्द्र, गणश, ब्रह्मा और भङ्गोको में १. फुट २ इञ्च लम्बी है। उत्तर और दक्षिण मीमा मति है। पर २ गभग्रह हैं। दोनों गभग्रहों के मामले कतारके इम मण्डपको पूर्व मीमा मामनवाल वरमें शिवको कतार अठ पहल खम्भे लगे हैं। उसके पथिम ओर भी महायगो वा धर्म राज मूर्ति है। गृहमें मामन दोनों एक दूसरा घर है। मण्डपमे गर्भग्रहको जानकी राह- ओरको २ अनुचर हैं। उनमें एकके गले में रुद्राक्षको का दरवाजा ४ फुट ८ इञ्च प्रशस्त है । इसके दोनों माला पड़ी और दूमरा पेर पर पैर रख करके बैठा है। पावों पर वारपालो की २ बड़ी मूर्तियां और चारा शिवके वाम भागको कैलेका एक पेड़ है। वह इस प्रकार- किनारों पर पिशाच तथा अन्यान्य मूर्तियां खुदी हुई हैं। से तराशा गया है, मानो ३पत्ते टूट पड़े हैं और एक भीतरका गर्भगृह १८ फुट १० इञ्च लम्बा और १८ फुट नया पत्ता गोल्न हो करके निकन्न रहा है । इसो कदली- १० वृञ्च चोड़ा है। बोच में ६ फुट ११ इञ्चको एक चौकोर वृत्तके निकट विष्णु और ब्रह्माको मूर्ति है। शिवके दोनों वेदो है। उस पर एक लिङ्गम ति बनी है। परिधि पाखौं पर चामरव्यजनकारिणी दो मधियां खडो हैं। ६ फट और ११ इञ्च तथा व्याम २३ इन्च है। इसकी इस बहत् गुहामन्दिरका पूर्वहार अति सुन्दर और दोनों ओरको १५ फुट चौकोर २ घर हैं। सुचारु रूपमे खोदित है। मन्दिरके मध्य प्रवेश करनेको इस पर्वतकी उपत्यकाको अतिक्रम करके उक्त तीमो १० फट १० इच्च प्रशस्त र मिटियां लगी हुई हैं। ऊपरी गुहामन्दिरीको विपरीत दिकमें अवस्थित सरे पर्वतके सोपानके दोनों पाॉपर दो दो सिंहमूर्ति यां हैं। भीतरी उपरि भाग पर ४था गुहामन्दिर विधमान है। यह रम इञ्च लम्बा और २४ फुट २ इञ्च चौड़ा गुहामन्दिरमे प्राय: १०० फुट उच्च और उसके उत्तरपूर्व । चारों कोण पर 8 घर हैं। इसके पश्चाद्भागमे कोणमें पवस्थित है। टिकूटो ( De Couto ) साहवने गर्भर है ! पथिमदिकका प्रवेशपथ उतना सुन्दर नहीं १६.३ ई को यह मन्दिर देख करके लिखा कि उसमें लगता, परन्तु मम्मुख स्तम्भ और उमके पीछे दीवारको एक दालान और ३ घर थे। दक्षिण दिशाके घरमें प्रब खोदित मूर्तिका कामकाय देखते ही बन पड़ता है। कुछ भी नहीं रहा है। द्वितीय ग्राहके मध्यमें किसी इस गुहामन्दिरमे थोड़ी दूर दक्षिण-पूर्व 'दक्को और बड़ो चौकोर जगह पर २ प्रतिम तियां हैं। इनमें एकके एक गुफा है। इमको लम्बाई १०८॥ फुट है । उत्तर दहाथ हैं। इस म ति का नाम उक्त साहबने विखला सीमामे गर्भग्रह विद्यमान है। वह सम्म खस्थ मण्डप- चण्डी' लिखा है। सम्भवतः यह दोनों मतियां वैतास से अपेक्षामत उच्च लगता है। भीतरी स्तम्भोंका व्यास और चण्डीकी होगी। परन्तु अब इनका चिह्नमात्र भी २ फुट ८ रन है। मण्डपके पीछे ३ घर है। उत्तर- नहीं देख पड़ता । इस देशके अधिवासी उस गुहा-