पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/३१२

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गायकवाड दल सोडने लगे । वाकर माहबन अवस्था देख करके : पोलिटिकल एजंगट मि. वाकरने पहले मोठी बातों- बम्बईको मवाद भेजा था । बम्बई गवर्नमेण्टन उम पर। में अरबोंको समझाना चाहा था। परन्तु उनकी चेष्टा भोर भी कितनी ही फौजक साथ सर विनियम क्लाक। व्यर्थ हुई। उन्होंने बम्बईसे अंगरजी मैन्य मंगा बड़ोदा साहबको रवाना किया ! ३० अपरेलको उन्होंने बड़ोदा घग था। अवरोधके समय अरब लोग घरी भोतरम पहुंच मल हार राव पर आक्रमण मारा था। मल हार गोली मार कितने ही अंगरेज सिपाहियोंको गिराने लगे। रावन अवीरमं अपनको उनके हाथ मौंप दिया । अंग। १० दिन घरे पोछे उन्होंन कहा कि उनका प्राप्य अर्थ रेज गवन मण्टन वाकर माहबको बडोदेका पोलिटिकल मिलने पर वह देश छोड़ करके चले जाने पर प्रस्तुत थे । एजण्ट नियुक्त किया था। फिर स्थिर हुआ कि मल - उनका १७ लाख ५० हजार रुपया पावना था । राज. हारराव नडियाद नामक स्थानमें रहेंग और उनको खर्च- कोषमें उतना रुपया न रहा । उमोसे ४१ लाख ३८ हजार के लिये १२५०००, रु० मामिक मिलेंगे। अच्छा व्यव रुपया मृण लेना पड़ा। ईष्ट इण्डिया कम्पनीन अपन हार करने पर उनको और भी ज्यादा रुपया दिया जा- आप उसका आधाला रुपया दिया और बाको अपनो वेगा। कानोजो बड़ोदामें कैदीक तौर पर रखे गये .. जमानत पर देशो कोठोवालोमे लिया था। मैकड़े पोळे बात यह हुई-आनन्दराव अंगरेज गवन मण्टको एक ८) ० सूद रहा। ३ वर्षमें रुपया चुकान की बात थी। दल मना रखंग और सूरत तथा ८४ जिलाओं की चोथ इस प्रकारमे वेतनका बाका रुपया लेकर अरबी फौज अंगरेज गवनम गटको देंगे। रावजी अप्पाजो यावज्जो ज्यादातर देश छोड कर चली गई । सिफ अबूट नाम वन मन्त्री रहंग, अंगरेज गवनमण्ट उनके पुत्र, भ्राता । का जमादार कानोजीको माहाय्य करनके लिय उनमें जा भातुष्पुत्र, भागिनय और बन्धुबान्धवोंके प्रति यथष्ट कर मिला था। कानोजो बडोटेसे भाग कर महाराष्ट्र उदारता दिखलावेगो की उत्तर मोमा पर राजपिप्पली नामक पार्वत्य प्रदेशको उधर बड़ोदा राजकोषक अर्थ सम्बन्धमें बड़ो गड़बड़ी चलं गये और वहां फौज इकट्टो करने लगे । बड़ोदा पड़ी थो। मन्त्री रावजा अप्पाजी अपनो शृङ्खला स्थापन अवरोधक ममय वह राहमें बाबाजीक एक सेनादलको करनमें असमर्थ थे, उन्हें अंगरेज गवर्नमण्टका माहाय्य पराजय करक बड़ोदाको ओर जा रहे थे । १८०३ ई. ले करकं काम करना पड़ा। गायकवाड़-वंशोय गणपति जनबगे मासको अंगरेजो ने अरबो सिपाहियों को हग नामक कोई व्यक्ति मल्हाररावका पक्ष अवलम्बन करक करके मेजर होम्मको मसैन्य कानोजीक विपक्षम प्रण खेरा दुर्ग दबा बैठा था। भूतपूर्व गोविन्दराव गायक किया। कानोजी शौरीगांवके पास पहाड़ी राह अधि वाडकं मुरारिराव नामक पुत्रन गणपतिक साथ योगदान कार करक गुप्तभावमें अंगरेज फौज पर हथियार फटकार- किया था। उन्हें दमन करना एकान्त आवश्यक ममझ न लगे। अंगरजी सेनान पीठ द खानका उपक्रम उठाया करके एक दल सेना भेजी गयो । गणपतिराव और हो था कि मेजरहोम्सने सिपाहिया को उत्त जित करक मुरारिरावने पलायन करक धार राज्यमें पंवारांका आथय ग्रहण किया। प्रवल वेगसे शत्र का अनुसरण किया। कप्परवंज नामक अपर दिक्को और एक विचाट उपस्थित था । अरबी स्थानमें कानोजीका दलबल किव विछिन्न हुआ था। वह फौज बहुत दिनोंसे तनखाह न पान पर मनमानी करन , उज्जयिनाको भाग गये। अवशेषमें १८०८ ई को उन्हों लगी। उनको दमन करना कठिन पड़ा था । चाह ने अंगरेजों के हाथों आत्मसमर्पण किया । अंगरजा ने शृङ्गाला स्थापनका उद्योग देख करके अथवा अपन निकाल उन्हें छोड़ उनके निर्वाहका प्रबन्ध बांधा था। परन्तु दिये जानकी पाशङ्कासे उन्होंने विद्रोही हो गायकवाड शेषमें १८१२ ई०को विश्वासघातकता करनेक अभियाग पानन्दरावको पकड़ लिया और कानोजोको छोड़ दिया। पर वह मन्द्राज भेजे गये । वहीं उनका मृत्य हुआ। मल्हाररावने भी उसो सुयोग पर नडियाद नामक स्थानसे उनके सहकारी मल्हारराव भी नडियादसे भाग इधर- मोपनमें पम्लायन किया। उधर घूमते फिरते थे। वैसे ही समय बाबाजीके सिपा-