पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/३१४

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३१२ गायकाबाड गवर्नमेण्ट और गायकवाड़ने कई एक स्थान प्रापसमें | सकें, तो कर्ज चुकानेक लिये महाजनोंको उमी हिसाब परिवर्तन किये। से अपनी जमीन सौंप दें। किन्तु शिवाजी यह न कर इस सन्धिके पोछे आनन्दरावके समयमें कोई विशेष सरकारी राजस्वका रुपया इधर उधरसे इकट्ठा करके घटना नहीं हुई। १८१८ ई० २ अक्तूबरको वह मर उडान और वृटिश गवन में ण्टने जिन लगोंकी र गये। इससे पहले ही उनक भ्राता फतेहमिहका भी करनेको कहा था, उनको नानाविध अत्याचारों मे मतान मृत्यु हो चुका था। यह १२ वत्सरकाल राजकार्य के लगे। एलफिनष्टोन माहबके बाद सर्जन मेलकलम बंबई- अध्यक्ष रहे। फतहमिहके मरने पर उनके कनिष्ठ भ्राता के गवर्नर हुए थे। उन्होंने शिवाजीको बहुत समझाया शिवाजो राव वही कार्य करने लगे। आनन्द रावका | परन्तु कोई फल न पाया। अन्समें १८२८ ई०को कई मृत्य होने पर उनके दो लड़के रहते भी यही शिवाजी एक जायदादें अलग करके महाजनोंक साथ बन्दोबस्त राव राजा बन बेठे। कर लिया गया। अंगरेज गवन मे गटका जो मेनादल आनन्द रावको बुद्धिहीन समझ करके अगरेज गवन उपस्थित रखने की बात थी, शिवाजीने करद राज्यों में मेण्ट सब विषयों में हस्तक्षेप करती थी । परन्तु शिवाजो प्रहरीके काम पर नियुक्त किया। परन्तु उन्हों ने रीतिक बुद्धिमान रह, उनक समयको वसो दम्तन्दाजीकी जरू अनुमार वेतन पाया न था। उमोसे १८३० ई०का टश रत न पड़ो। फिर भी रेमोडण्ट ज से थ, बन रहे । गवन मेण्टने फिर १५ लाखको मम्पत्ति निकाल लो। १८२०ई०को बम्बईके गवर्नर एलफिनष्टोन साहब बरोदेमें १८३२ ई०को लार्ड क्लयर वडोदे जा करके गायक जा करके मब विषयों में सुशृङ्खला स्थापनको नया प्रबन्ध वाड़मे मिले थे । स्थिर हो गया कि गायकवाड़ महाज- कर आये और स्थिर हो गया कि राज्यका कार्य कलाप नौका ना चुकावेंगे। महाजनों पर किमी प्रकारका वृटिश गवर्नमेण्टके हाथमें रहेगा। आभ्यन्तरिक बातोंमें | अत्याचार न होनको वृटिश गवर्नमेण्टने जिम्मा लिया गायकवाड़का सम्पूर्ण कर्तृत्व चलेगा। फिर भी कोठो. था। गायकवाड़ने मवारों को तनखाह वक्त पर देना वालोंके साथ देनको जो व्यवस्था हुई थी, उममें किमो | मञ्ज र किया और अपनी बातको जमानतके तोर पर प्रकारको त्र.टि न आतो ओर वात्मरिक आयव्ययकी गवन मेण्टके पास १० लाख रुपया रख दिया । गवर्न व्यवस्था सोडण्टका दिखला ली जाती । रेसोडगट मेण्टन उनसे १५ लाख रुपये की जायदाद जो पहले ले चाहनेमे बहीखाता देख सकते । किसी विषयमें अधिक | ली थी, वापस कर दी। परन्तु शिवाजीके लिये प्रतिज्ञा खर्च करनेको रेसीडेण्टसे परामर्श ले करके कार्य करना पालन करना असाध्य हो गया। वह बहुतसी बातों में पड़ेगा । वृटिश गवर्न मण्टने मन्त्री और अन्यान्य कर्मः | सरकारी हिदायतो के खिलाफ काम करने लगे। इसके चारियोंके प्रति जो अभयदान किया था उसकी रक्षा | बाद गवर्नमेण्ट और चुप रह न मको । गायकवाड़के करनी पड़ेगी। गायकवाड़ अपने आप मन्त्रो नियोग | कई एक स्थान अंगरेजी अधिकारमें थे। वह उन्हें करेंगे, किन्तु नियोग करने में पहले रेसोडण्टसे उसके उसकी मालगुजारी देती थो। १८३७ ई०को गवर्न- सम्बन्ध में परामर्श लेना पड़ेगा। समय समय पर टिश मेण्टने गायकवाड़को वह रुपया देना बन्द किया और गवर्म मेण्टको परामर्श देनेका अधिकार रहेगा । यह उसके दूसरे वर्ष नौसरी नामक स्थान भी ले लिया । सब नियम हुए तो सही, परन्तु शिवाजी तदनुसार चल | शिवाजी फिर भी न सुधरे और शत के मुताबिक काम न सके। ऋण परिशोधके लिये समय समय पर रुपया कर न सके। उनके विपक्षमें क्रमशः कितने ही अभि- देनेकी जो व्यवस्था हुई थी, उसको भी यह पालन | योग लगे थे । गवर्नमेण्टने अपना असन्तोष प्रकाश कर- करनेमे असमर्थ हुए। इसी प्रकारसे १८२० ई०को उन नेके लिये पिपलाबद नामक जिलेमें शिवाजीका हिस्सा पर १ करोड ७ लाख रुपया ऋण चढ़ गया। वृटिश | दखल कर लिया। उसकी आमदनी ७०२०००, रु. गवर्नमेण्टने कहला भेजा था यदि वह रुपया न दे। थी। फिर उन्हें राजायुत करके दूसरे को राजा बमा