पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/३१५

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गायकबाड ३१३ देनका भय दिखलाया गया, परन्तु किसी बात पर उनकी आवेदन करने पर तहकीकात करने के लिये एक मो- पांख न उठी। अन्तमें जब १८३८ ई०को गवनमपटने शन बैठाया गया। उसने आवेदनकी बात छोड करके मताराके राजा प्रतापसिंहको मिहामन सतारा, राजस्व, राजनीति और विचार प्रभृति नाना विषयों का शिवाजी न जाने क्या ममम वश्यता स्वीकार करके दो। नदन्त ले करके अपना मन्तव्य लिख भेजा। डम मन्थ. एकको छोड़ सब बातों में गवन मेण्टको आज्ञाके अनुमार व्यको पढ़ कर अगर जो गवन में गट के प्रतिनिधि सार्ड कार्य करने पर अङ्गोक,त हुए। अगरेज गवन म गटने नार्थब्र कन उन्हें १८७५ ई. तक शामनगंकार कर- उम पर राजी हो करके पिपलावदका अंश छोड़ दिया नका ममध 'दया था। उसके बीच यदि वह अच्छा और जमानतके तौर पर रखा हुया १० लाख रुपया भी इन्तजाम न कर सके तो उन्हें मिहामनच्य त करने की प्रत्यर्पण किया। १८४७ ई० दिसम्बर मामको शिवा- बात थो । किन्तु १८७५ ई०को यह खबर फैल पड़ो कि जोका मृत्य, हो गया। उनके जाठपुत्र गणपति राव अगर ज र मीडिएट कर्नन्न फं बरको विप टेन की चेष्टा गायकवाड़ पद पर प्रतिष्ठित हुए। इनके राजत्वकालमें की गयी। अनुसन्धाममं मल हार गय पर हो मन्दर कोई बड़ी बात नहीं पड़ी। प्रजाको सुखस्वच्छन्दता पर उठा । गवन न ज नरन्न लार्ड नार्थ ब्र कन एक घोषणा उनकी दृष्टि कम थी। वह अपने विलाममें हो काल निकालो--जब गायकवाड़के विपत्तमें मन्दंह है, तो यापन किया करते थे। १८५६ ई०को बम्बई बड़ोदा जांचके लिये एक अदालत बैठेगो पार जितन दिन बन रेलवके लिये उन्हों ने अंगरेज गवर्न म गटको जमोन अदालतक विचार वगुनाह जैम मावित न होग, रिवा- दो। शर्त यह थी-वह रेलवे खुलने पर गायकवाडकी। मतका काम करनसे अलग रहेंगे। फिर तब तक - आमदनो रफ तनोका जो महसून घटेगा, पूरा कर दिया | ज गवन मंगट अपन आप वह भार ग्रहण कंग्गो। जावेगा। प्रतिवर्ष उमका हिमाब लगता ओर घाटा | मन हार राव भो उम! बीच अपन दोषक्षालनक प्रमा- पूरा करना पड़ता है। १८५६ ई० १८ नवम्बरको णादि देंगे। म.न.पाव देखो। गणपति रावका मृत्यु हुआ । मन्तान न रहनमे उनके कलकत्ता हाईकोटक बड़े जज, ग्वालियरक महा कनिष्ठ बिगड़े रावने मिहामन पर आरोहण किया था। राज, जयपुर महाराज, महिसर के चीफ कमिशनर, सर वडे गाव गायकवाड देखो. अगर ज गवन मे गटने उन्हें जो० दिनकर राव ( म्वालियरक मन्चा ) और पञ्जाबक कमि- मो० एम० आई० (G.C.S.L.) उपाधि दिया। १८० शनर कई लोगाने बैठ कर अदालतमें गायकवाड़का विचार ई० २८ नवम्बरको खण्डे रावक मरने पर उनके माता । किया। १८७५ १० २६ फरवरीको यह अदालत लगी मल हार राव गायकवाड़ बड़ोदामें सिहासनारूढ़ हुए। थो। विचारक मलहार रावक दोष मम्बन्धी एक मत न रखण्ड रावको विधवा पत्नी । यमुना बाई उम ममय हो सके। उनको तीन पादमियोंने दोषी और तीनने गर्भवतो थीं। अंगरेज गवन मे गटने मल हार रावको निर्दाप बतलाया था। किन्तु गवन मण्टने उनको पिछया कह रखा-यदि यमना बाई के गर्भ से पुत्र सन्तान उत्पन्न अपराध म्मरण करके १८७५ ई० २२ अपरलका पदचुत होगा, तो उमीको राजत्व मिलेगा। कई महीने बाद किया और मन्द्राज भेज दिया। खगड़े गवन सिपाही यमुना बाईने एक कन्यामन्तान प्रमव किया था। सुतरां विद्राहक ममय गवर्नमगटको महायता दी थी। इसीसे मन हार राव निष्कण्टक राजा करने लगे । वह पह मम्मानक लिये उनको पनी यमुनाबाई को एक दत्तव खगडे रावक प्राणविनाशकी चेष्टा करने पर कागगारमें लेनका अनुमतिपत्र मिला । तदनुमार पिन्ना जोरावर्क पुत्र निक्षित हुए थ, परन्तु वहांसे निकल एक बारगो हा दामाजोक कनिष्ठ प्रतापगवर्क वंशीय मयाजी (माजी) मिहामन पर बैठ गये। यह कोई अाशा नहीं करता गव मनोनीत हुए। १८०५ ई. २७ मईको मयाजो गाय- कि वैसे लोग अच्छी तरह राजकार्य चला मकेंगे। कवाड़ १२ वर्षको अवस्थामें बड़ोदेके मिहामन पर बैठे १८७० ई०को प्रजाके विरक्त हो अंगरेज मरकारसे थ। होलकरके मन्त्रो सुविच्यात सर टो. माधवराव Vol. VI.79