पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/३२३

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गारो ."fon गारो लोग माधारणतः माहसो ओर सत्यवादी हैं। यह | शत्रु को मार डालता है । परन्तु अगरेजों के अधिकारों स्वभावतः शान्त हैं, परन्तु अल्प चेष्टाम हो चिढ़ जाते हैं।। एकबारगो हो वशीभूत हो जानवाले लोगों में वह विनामिता प्रकाशक माधारण भूषण बन गया है। यह गोदना कभी नहीं गुदाते। ____ इनके अस्त्रशस्त्रों में वर्धा, तलवार और 'पांजो' (तूग्पोर जैमी चद्राकार तीक्षामुख वशश नाकाधार ) प्रधान हैं । बलिका भान्ना माधारण हथियार है । इनकी तल- वार दोधागे होती है। ढाल कई तरहको बनाते हैं। यह किप करक झाडोमे शत्र पर आक्रमण करने में बहुत पर ह ते पार तोप बन्दूक न रहत भो पत्थर आदि लुढ़का करके शत्र को माग करते हैं। ____ गारोजाति कलहप्रिय हैं। इनमें मदा परप्पर दङ्गा फसाद हवा करता है। यडमें प्रवीण होते भी यह शिकार नहीं कर मकत ओर जाल बिछा करके पशु पत्ती पकड़नम कम होशियार देव पड़त हैं। इनका गारो पुरुष १॥ गजोधाता पहनते हैं। इस धोती. प्रधान और माधारण वाद्य अत्र है। यह प्रातः, मध्याज को वह अपने आप बुना करते हैं। धातो काटो होत भी आर मध्याका तीन बार प्रहार करते हैं। अफोम, गांजा, यह उमको गमे कागनसे परिधान करते कि उममे बढ़त चरम आदि नगा इनमें नहीं चलता। यह घग्म' पशु अच्छी तरह भन्नममी बचता है। स्त्रियों को धातो पुरुषों- कम पान्नत और खामियांको तरह गोदुग्धको गौमूत्र को धोतोमे बड़ी होता है । वह कोई वनाच्छादन व्यव- जैमा अखाद्य मानते हैं। हार नहीं करती। अपेक्षाकृति धनगाली स्त्रीपुरुष एक गारो लोग खतीवारीम ही जीविका निर्वाह करते हैं। प्रकार कन्या बरतते हैं। गरीब आदमी किमी प्रकारक फमल कट जान पर बिना एक उत्सव भोज हुए नया वृत्तकी छाल जलम भिगा कूट पीट बढ़ा करक धपम अन्न कोई नहीं खाता। इनमें हल और कुदालका चलन मुखा लेते और उमोको गात्र पर वस्त्रकी भांति लपट कम है। यह जहां खेती करते, झोपड़ा डालक रहते हैं। गारोजातीय स्त्रीपुरुप बहत ही अलमाप्रिय हैं।' खेत कट जाने पर उक्त कुटीरको तोड़फोड़ करके गांव पोतको माला पहनक लोग फ ने नहीं ममात । दामग जा अपन घरमं रहने लगते हैं। गांव गारोका ग्वामियोंकि साथ विवाह आदि होते कैलेक पड़को जन्ला करके एक प्रकारका तार बनाते हैं। इनको स्त्रियों के कानका बाला इतना भारी रहता जिसको नमकके बदले काममें लात हैं। धनी लोगकि कि लार ठडडीतक लटक पड़ती है। पुरुष अपनी पोशाक पाम पीतनके बर्तन हैं। लोहार, कुमार या बढ़ई का कोड़ियां लगा करके बनाते हैं । खामो पहाड़ के गारा काम कोई नहीं जानता। विवाहमें दहेज लेन देनको कोड़ियोंके कई प्रकारक गहन तयार करते हैं। इनमें चाल कम है। विवाह हा मान पर वर कन्यार्क माथ गणमान्य लोग कुहनो पर लोह या पीतलका कड़ा रह करके श्वशुर व शर्म मिल जाता है। इनका अपने पहनत है। कोई कोतदाम उमे व्यवहार नहीं कर वर्भ विवाह नहीं होता। बहुविवाह प्रचलित होत मकता, फिर भी किमोके व मा चाहने पर रुपये दे कर | भो दोमे अधिक विवाह निषिद्ध है। व्यभिचार दोषम' गांनके म खिय से पूकना पड़ता है। पुरुषोंमें पीतल के अपराधीका अर्थदण्ड लगता है। पूर्व काल । डम /- पत्तरों का म कुट वह बांधता, जो युद्धमें अपने हाथमे राधर्क दोषी स्त्री पुरुष फांसी पात थे। इनमें किसी Vol. VI. 81