पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/३२५

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गारी-गारीदो ३२३ भाग खड़ हुए। अंगरेजों ने कुछ लोगोंको बन्दी बनाया कई एक बोई गुहामन्दिर देख पड़ते हैं। पहले गुहा- और दोनों गांवां पर अपना अधिकार जमाया। मन्दिर पर्वतके सर्वोच्च स्थानमें एक जुशिखर बना हुआ १८६६ ई०को पहले पहल गारो पहाड़ अंगरेजोंक है। इसका दार दक्षिण-पथिम मग्वो है और मामने- अधीन आया था। कमान विलियमसन डिपटी कमि का कुछ अंश टूट गया है। यहां चढ़नका कोई महज श्ररको भांति तुराम' रहे। १८७२ ई०तक गारो शान्त | उपाय नहीं । हितोय गुहा इसको अपेक्षा कुक्क नोची है। थे। अमीनोंक माथ उक्त विवाद हो जानम बङ्गालक | उम के मण्डपका परिमाण २८ फुटxc फुट ८ इञ्चx कोटे लाटन स्थिर किया कि गारो पर्व तमोर कोई ८ फुट ८ इञ्च है। पवाद भाग ४ अन्तगलग्रह दृष्ट होते ग्राम स्वाधीन रखना उचित नहों । फोज भेजी गयो । हैं । प्रत्यक द्वारदयक मध्यमें ईटों के अठपहल दो खम्भे काचविहारक कमिश्नर आर गारा पहाडक डिपटी कमि जन्नपात्र पर स्थापित हैं। स्तम्भक मस्तक पर मिह, व्याघ्र शरको मैना परिचालनका भार मिला था। कपतान किंवा हस्ताको मूर्ति खुदी हुई हैं। एतभिन्न स्तम्भमतक- विलियमसन पलिम मिपाहो ले तङ्गबलगिरि, दिलमा के मध्य स्थानका कारुकाव भी अति सुन्दर है। उसके गिरि प्रभृति बड़े बड़े स्वाधान ग्राम अधिकार करते हुए | पथाद् भागमें निम्नदेश पर २ फुट चाडो लार १ फुट मात खामी पर्वतकं मायोटुटान नगरमे पथिममुखको चल इच ऊचो एक एक प्रस्तरवेदी है। इममे ज्ञात होता पड़े। आमाम विभागका एक दल सेना उसी शहरम' कि काल पाकरके बाद कीर्तिला और ब्राह्मण्यधर्म की रह गया। कपतान विलियमसन रङ्गरण गिरि ग्राम प्रवलता प्रमारित हुई । मन्दिर-वामभाग टतीय कक्ष पहुचने पर सुमङ्ग दुर्गापुरसे कान डाली भी जा करके | में एक लिङ्गमूति विराजमान हैं। मन्दिरकै मध्यम शिव- उनसे मिले थे। दोनों दल्न मिलकरकं मोमेश्वरी नदी के | वाहन वृषभमूर्ति और गुहाक वहिद में देवाई शमे प्रदत्त तोर ओर अश्मानगिरि ग्राममें लडने को तैयार होने लगे। आलाकम्तम्भ तथा तुलमोमञ्च है । इमो कक्षहारक इममे पहले कमान डालीक माथ रङ्गरणगिरिमें गारोत्री- पाव स्थ स्तम्भ पर एक अस्पष्ट शिलाफलक उत्कोण है। की एक छोटो नहाई हुई थी, जिममे यह हार गये। वड़ १४२८. ई के श्रावण माम शुक्लपक्षको लिखित हुई। उधर कमान डधिम निकपिदार ग्राम की ओरसे आ रहे हितीय गहाम उत्तर पशिम दिक्को कुछ दूर जाने थे। बड़ी देर बाद वह आ करके रङ्गरणगिरिमें मिलित पर एक शुष्क टोधिका मिलती है। उमको लांघ करक हये । क्रमशः एक ग्राम बाद ट्रमरा मानने लगा, प्रायः थोड़ा चलन पर और एक छोटी गुहा देव पड़ती है। युद्ध करना हो न पड़ा। बहुतमे ग्रामों सरदारीन क्षति इसके सामने बगममें लकड़ीके ४ खम्भे पत्थरम घर बना पूरणाथ दण्ड दिया था। कमान डालो पथिम पहाड़ करक लगाये गये हैं। उमको वामदिक्क शेष भागमें और कमान डविम उत्तर पदाड देखने गये और ग्रामादि एक अन्तरालयह और पोछेको किमो घरमें प्रवेश लिये अधिकार कर शामनके लिये लश कर उपाधि दे सरदार | एक हार है। तत्पथात् पर्वत पर एक बृहत् कूप और नियुक्त करने लगे। प्रति घरक हिसावमे सब लोग कर उमोक निकट चतुर्थ गुहामन्दिर अवस्थित है। इस देने पर वाध्य हुए। तदवधि गारो शान्त बने हुए हैं। । गुफाके मामनकी दोवार अपरापर गुहायों की अपेक्षा ४५ ___ इनकी भाषा एक नहीं है। दिक्भद और भाषा | फुट चौड़ी है। घुमनको नियं दो गोल दरवाज लग हुप भेदसे चिकमङ्ग पर्वतर्क लोग तुरावालोको बोली ममझने- हैं। भीतरी दालान दाहन और बाय ४।४ घर हैं। में असमर्थ है। यह स्वदेश कोड करके प्रायः कहीं नहीं उसमें वामदिकका एक घर ८ट पडा है । मन्दिरके जाते। पथाद् भागमें २ अन्तगलग्रह और उमके मामन गभग्रह गारोदी-दाक्षिणात्यकी एक पर्वतगुहा। यह तेलगांव है। हम घरके बीच में किमी मृतव्यक्ति के नाभि अस्थिका दाभाडेसे १० मीन दक्षिण और ममतलक्षेत्रसे ४५०।५०० | ममाधि है। इसी ममाधिस्थान पर छत तक ऊचा खम्भा फुट ऊची है। इस पर्वतमें इ. प्रथम शताब्दीके खोदित । लगा था। अब उम स्तम्भको गिरा करके एक छोटी शेव-