पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/३३०

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३२८ गावलो-गिंदर यह भविष्यवाणीमें विश्वास करते और उसीमे प्राय | "मो गाडादिव पानिरधुचत । ( सक ११०८) अपनो अदृष्टपरीक्षाके लिये देवन अथवा सामुद्रिक शास्त्रा | 'गाहात गहनात् ।' (स.यण) ध्यायोर्क निकट पहुंचते हैं। चुड़ेल या भूत चढ़ने पर | २ अवगाहन करनवाला मनुष्य । इन्हें विश्वाम नहीं है। गाहक ( मं० त्रि.) गाह वुण। १ अवगाहन करने- यह ५ दिन जम्माशीच मानते हैं । १२ वें दिनको | वाला। २ जो अच्छा गाना गा मकता हो। ५ सधवा स्त्रियां बुलायी जाती हैं। वह मन्तानको गोद गाहक (हिं. पु.) १ लेनवाला, खरीदनेवाला, खरोदार। में ले करक नामकरण करती है। नौसे १२ मामकै बोच | २ कदर करनेवाला, चाहनेवाला। शिशुका मातुन्न जा करक भागिनयका मम्तक मुगठन गाहको (हिं. स्त्री० ) १ बिक्रो। २ गाहक । करता है। इनमें वाल्यविवाह, विधवाविवाह और | गाहन ( म० क्ली. ) गाह-ल्य ट । विन्नोड़न, मान, गोता. बहुविवाह प्रचलित है। लिङ्गायत गावलो मृतदेह जमोन् | लगानको क्रिया। में गाड़ देते हैं। हादश दिवसको अशौच दूर होता है ।। गाहा ( ई० वी० ) १ कथा, वर्गन, चरित्र, वृत्तान्त । • आर्या वन्दका एक नाम । यह लोग प्रति वर्ष वैशाव माममें मृतके उद्देश श्राद्ध गाहनीय (म त्रि०) विनोड़नीय। जमको स्नान करना करते हैं। उचित है। मराठी गावलियों में बड़ो जातोय एकता है। यह गाहित (म० त्रि.) गाह-त । १ आलोड़ित, मथा या मभी मराठी बोलते हैं। मला हुआ । २ अवगाहित, भीतरमें गया हुआ । गावली (हिं स्त्री० ) दलाली । ३ कम्पित, कॉपता हुआ। गावस्न गणि ( म० पु०) गवनाग म्यापत्य गवलाण-दूज | गाहिट ( म त्रि.) गाह-च। १ अवगाहनकर्ता। गवल गणके पुत्र मञ्जय। २ पालोड़न करनेवाला, मथनेवाला । 'गाव साणे के मस्तातो हो होनस नेवाः ॥ ( भागवत ११३।३२ गाहो (हिं. स्त्रो०) पाँच चोजांका समूह । गावसुम्मा (हिं. पु. ) फटे हुए खरका घोडा, वह घोड़ा | गाह (हिं० स्त्रो० ) उपगाति छन्दका नाम , जिसके खुर फटे हों। गिजना (हि.क्रि.) किमो पदार्थ का हाथ लगन या गाविष्ठिर ( स० पु०-स्त्री० ) गष्ठिवरस्यापत्य गविष्ठिर ! उलटे पुलटे जानकै कारण खराब हो जाना। अत्र । गविष्ठिर ऋषिका अपत्य, गविष्ठिरको मन्तान । गिजाई (हि. स्त्री. ) एक प्रकारका कीडा जो प्रायः गाविष्ठिरायण ( स० पु०-स्त्री.) गाविष्ठिरस्य युवापत्य वर्षाकालमें देखा जाता है। इसको लम्बाई लगभग दो- गविष्ठिर-फक् । गविष्ठिर ऋषिको युवा मन्तान । मे चार अङ्गल तककी होती है । एक ही स्थान पर गावीधक (म त्रि०) गवोधकाया विकार:गवीधुक-अण।। मडके मुड पाये जाते हैं। इसके बहुतम पैर होते हैं, गवीधुकाका विकार, इमके हारा प्रस्तुत चरु प्रभृति । और शरोम विष रहता है। यदि कोई पशु इमे खा "अष्टाक पाल निव पनि गद्र' गावौध के चकमन्ट'।" । जाय तो वह शीघ्र ही मर जाता है। यह कीडो वर्षा- (तसिरीयसहिता १८०१) ऋतु प्रारम्भमें जन्म लेता और हस्तो नक्षत्र में मर जाता गावधक (म त्रि.) गवेधुकाया विकार: गबधुका-अण । गिडनी ( हि स्त्री०) एक तरहका शाक । इमको विवादिभोऽण । पा ४॥३१२६॥ गवेधुका द्वारा प्रस्तुत चरु पत्तियां दो अंगुल परिमाणको लम्बो और जो परिमाण- प्रभृति। 'रोद गावेधुक पर निवपति। (शतपथ ब्रा० ॥२७) की चौड़ी होती है। इसको गाँठों पर खेत फ लोके गाम (हिं० पु.) दुःख, संकट, आपत्ति। गुच्छे लगते हैं। गासिया (हिं पु०) जीनपोश। गिदर (हि. पु. ) फसलको नुकसान पहुंचानेवाला एक गान ( सं० पु० ) गह कर्मणि धञ् । १ गहन, दुर्गम। | तरहका कीड़ा।