पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/३३४

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३३२ गिहौरगल-गियासपुर गोपालसिंह के पौत्र जयमङ्गन सिंहने अंगरेजीको विशेष | यह फलक ५२ मंवत्को ग्रीष्म ऋतुके चतुर्थ पक्षमें माहाय्य किया था । इममे बड़े लाटने सन्तुष्ट हो करके महाराज श्रीभीमसेन कर्तृक प्रदत्त हुआ। प्राचीन गुप्त १८५४ ई०को उन्हें एक मनद और राजा उपाधि दया । | अक्षर और शक भाषा दग्वनमे इसको ममधिक प्राचीन- मिपाहियोंक बलवे पर उन्होंन फिर अंगरेजो गवर्न । असा समझते हैं। मंगटको यथेष्ट माहाय्य पिया, जिमके लिये १८५८ ई०को गिनती ( हिं० स्त्री० ) १ गणना, किसी पदार्थकी संख्या वृटिश गवन मंगटन उन्हें यावज्जीवन महाराज और निश्चत करना। २ मंख्या। ३ हाजिरी। ४ एकमे के मौ० एम. आई. ( K. C.S. I.) उपाधि तथा मो तककी अकमान्ला । उनकं वगधरों को लाखाराजमें बड़ो जागोर दी। गिनना ( हि क्रि० ) १ गणना करना । २ गणितकरना, इनर्क पत्र महागज शिवप्रमाद थे । शिवप्रमादमिक | हिमाब लगाना । ३ सम्मान करना, प्रतिष्ठा करना। पुत्र माननीय महाराज बहादर मर रावणश्वरप्रमाद | ५ कदर करना । मिंड के० मी० आई० ई. गिद्धौरके वर्तमान राजा हैं। गिनाना (हिं कि० ) गिनन का काम किमी दूनगमे __गिद्धौरका भूपरिमाण २२३०२ वर्गमौन है। इसमें कराना। १४ विषय हैं। गिनी ( अं. स्त्री० ) सुवण को मुद्रा। मका व्यवहार गिडीरगल -पैगावर प्रदेश के अन्तगत एक गिरिमङ्गट। इंगलैंडमें मन १६६३में प्रारम्भ हुअा रहा और मन यह अक्षा० ३३.५६ उ० ओर देशा० ७२१२ पू० पर १८१३से इसका बनना बन्द हो गया । २१ शिलिग या आटकनगरमे ५ मील उत्तर-पश्चिममें अवस्थित है। यह १५॥ रु. की एक गिनी मानी जातो भो। प्राचीन मम- पथ दश फुट चौड़ा है। कभी कभी दम गम्त से सेना यमें यह अफ्रीका महाद्वीपर्क गिनी नापक देगगे पाये भी जाती आती है। हुए स्वर्ग में बनाया जाता था इसलिये प्रस्तुत मिक्कावा नाम गिनो पड़ा है। गिनगिनाना ( हिं० क्रि० ) १ गमांच होना, गंगटे खड़ गिनोग्राम ( अ स्त्री० ) अफ्रीकाके गिनो नामक देशको हाना। . अधिक बल लगात ममय शरोपका कॉपना । एक प्रकारको लम्बो घाम । यह घाम अब भारतवर्ष में गिनजा-युक्रप्रदेगका एक पहाड़। यह प्रयागमे ४० मील बहुत होती है। दक्षिण-पश्चिम अवस्थित है। इमका माच्च शिखर समद्र- गियो (हिं स्त्रो०) चक्कर, घिरनी । पृष्ठमे २००० फुट ऊंचा है। पर्वतका निम्रदेश बहुत गिन्दक ( म० पु.) गन्दक पृषोदरा दवत् माधुः । वृक्ष- ही ढाल और जङ्गलम भरा है। प्रायः आधी दूर ऊपर विशेष, एक पेड़। चढ़न पर २०० फुट परिधिकी एक बावड़ी है । समक गिब्बन ( अं० पु० ) सुमात्रा, जव आदि होपोंके एक आग पथ अतिशय दुर्गम और कण्टकाकीर्ण है। पहाड़ प्रकारका बदर । इसे पूछ तथा गलथैली नहीं होती। पर दक्षिण दिक्को एक ममतन्न स्थान है। यहां पर्व तने दमको भुजा इतनो लम्बी होती है कि खड़े होने पर ऊपर काया करके कतका आकार धारण किया है। पृथ्वीको छ लेती है। इसका आकार प्रायः मनुष्य जैमा । यह पव ताश्रम १०० फुट लम्बा और ५० फुट चौड़ा है। होता है। इमी पर्व तक बोचो बीच प्राचीन उत्तर भारतीय गुप्ता | गिटी (हिं. स्त्री० ) बेलबूटेसे युक्त एक प्रकारका मज- तरीको खोदित एक शिलालिपि मिलती है । शिला बूत कपड़ा। यह सिर्फ किसी यज्ञादिमें विचानक फलक असगमें लाल रंग भरा हुआ है। फिर मसरों- काममें आता है। के दोनों पावों पर अनेक मनुष्य और जीव जन्तुवों को | गिय (हिं. पु.) गिह देती। मूर्तियां खुदी है। शकराजों के राजत्व समयको उत्कीगा गियामपुर-लक्ष्मणावतोके अन्तर्गत एका नगर । गौडके शिलामिपियों में जैमो भाषा देख पडती, इसके मुखपासको मुसलमान राजाओंके ममय इस नगरम' एक टक- भी वैसी ही लगती है। शाल था।