पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/३३६

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३३४ गिरना-गिरवां गिरना (हिं० कि०) किमी पदाथका फपरमे नो वे आधार | गलहीमें उग्रमेन की पुत्री ओर तोथङ्कर नेमिनाथको पत्नो के अभावमे आ जाना। २'कमो पदार्थको स्थिरता न राजीमतीको एक गुफा है जहां पर कि, उन्होंने तप किय रहना। ३ अवनति पर होना । ४ किमी नदीका जला- था। इस गुफामें राजमतीको एक चरणपादका है। हम शयमें जा मिलना ! ५ प्रतिरा वा शक्तिकी कमी होना। स्थानमे १ मोल चढ़न पर दो टांके मिलती हैं। जिन ६ किमो पदार्थ को लेनके लिये टूट पड़ना। ७ जीर्ण | पर कि, नेमिनाथन तप किया था। यहां वैषणवाकै मन्दिर या ट्व न होना। ८ हठात् किमो पदार्थ का आ जाना। भी हैं। लोग दत्तात्र यो मानकर इस पर्वतका ८ लडाईमें माग जाना, खेत रहना। १० कबूतरका पूजत हैं। मुमन्नमान इस आदमबाबा नाममे पकारत एक छतसे दूमर कृत पर जाना। हैं। यहांमे १ मोल की ऊंचाई पर ओर दो टोंके हैं. गिरनार-काठियावाड प्रान्तका पवित्र पर्वत । यह अक्षा० इनमेंमे पहिलो टांक पर नमिनाय स्वामीन कंवलज्ञानको २१.३० उ० ओर देशा० ७० ४२ पूर्म हलमद | प्राप्त किया था : आर टूमरो टोंक पर वे अष्ट कमांका नदोक दक्षिण तट पर जूनागढ़ नगरमे १० मोन पूर्व | नष्ट कर मोक्ष गये थे। यहां एक प्र तमा पार एक अवस्थित है। उचाई कोई ३५०० फुट है । इमकी पाच | चरणपादुका अत्यन्त सुन्दर विराजमान हैं। चोटियां है-अम्बामात, गोरखनाथ, अगाध शिखर, गुरु इम पव तमे नेमिनाथ, शाम्ब, प्रद्युम्न ( श्रोल गणक दत्तात्रय और कान्निका। अम्बामातमें अम्बा देवीका | पुत्र ), आदि ०२ करोड मुनि मोक्ष पधारे हैं । इम पर्वत- मन्दिर अवस्थित है। कालिकाको अधोगे आर मुर्दाग्वार का प्रबन्ध वहांक गुमाई और भारतवर्षीय दिगम्बर जैन तीर्थयात्रा करन जाते रहे है ' टुग और चुड़ाममाओं के तोर्थ क्षेत्र कमटोके हाथमें है। राजप्रामादका कुछ अंश भी ग्वड़ा है। गोमुखा, नुहा. गिरनार-गुजरातो ब्राह्मण मेट। यह दो प्रकारक हैं. मान् धार और कमगडलकुण्ड तोन प्रधान कुगड हैं। जनागढ़ गिरनार और चारवटा। गिरनार पर्व नम्थ गिर भैरवजय चटानका दृश्य अतोव विचित्र है । गिरनारमे नार गढ़ ग्राम पर हो उनका यह नामकरण हया है। थोड़ी दूर प्राचीन राजधानो वामनस्थलो ओर नोचे वनि तोमर अजग्य गिरनार भी होते हैं। इन तीनों शाखा- स्थान (वत मान बिन्लव) है। इसका प्राचीन नाम उज्ज ओ में भाजन पान होते भो पाटान प्रदान नहीं चलता। यम्त वा गिरिनर है। यह जनाका पवित्र तोथ स्थान गिरनार साम तथा शुक यजुर्वेद मानते हैं। है। एक चटानम ( ई० मे २५० वर्ष पूर्व ) अशाकको गिरनारी । हि० वि० ) गिरनार पहाड़का रहनवान्ना । कई लिपियां अङ्कित हैं । १५० ई०का दूमरा शिन्नाफलक गिरफत ( फा० स्त्रो० ) ग्रहणकी क्रिया या भाव, पकड : • पदनमे ज्ञात होता है कि स्थानीय राजा रुद्रदामाने | गिरफतार ( फा०वि०) १ जो पकड़ा या कट किया दाक्षिणात्यके नृपतिको किस प्रकार पराजित किया। गया हो। २ ग्रस्त, ग्रसा हुआ । ४५५ ई०को शिनालिपिमें सुदर्शनक ण्ड के बांध टटने गिरफतारी ( फा० स्त्री०) गिरफता होनेको क्रिया और पुन: सेतुनिर्माण का उल्लख है। ब्राह्मण नवदम्पती | भाव । अम्बा माताको बड़ो भक्ति करते हैं। जेन मन्दिर नेमिः | गरवटो हि०प० । अंगूर-शफा । नाथ जानको राहमें ६ पव ( विश्रामस्थान ) हैं | गिरमिट ( हि पु. ) बढई का एक ओजार, बड़ा बरमा। गिरनार,-जैनियाका एक पवित्र तीर्थ ; जो गुजगतमें गिरवर ( हि पु० ) येष्ठ पर्वत, बड़ा पहाड़ । झूनागढ़के निकट उक्त पर्वत पर है। इस पर्वतमे गिरवां-युक्त प्रदेश बांदा जिलेकी तहसोल । यह अक्षा. अनियों के बाईमवें तीर्थकर नमिनाथ स्वामी मोक्ष गये हैं। २४.५८ एव २५ २८ उ० आर देशा० ८ १७ लावा इम पर्वतका दूसरा नाम जर्जयन्स भो हैं। इमको | ८०.३४ पू॰में अवस्थित है। क्षेत्रफल :" अग मील ऊचाई करोब ४॥ मोल होगो। नोचेसे २॥ मौलकी | ओर लोकसंख्या प्रायः ७७७०६ है। . तनगरम ऊंचाई पर एक मोरठका महल ओर २७ मन्दिर हैं। और १७८. गांव बमत है। मालगुजार, नगर