पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/३३९

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गिरिकूट-गिरिव गिरिकूट (मं० पु०) पहाड़की शिखर, चोटो। गिरिजा ( स. स्त्री०) गिरी जायत गिरि जन टु टाय । गिरिकोटजफल ( मं० लो०) इन्द्रयव । १ पार्वती, हिमालय पर्वतकी कन्या. दुर्गा। गि रक्षित ( मंत्रि.) गिरिणा क्षियति अवतिष्ठत क्षि - यदा या सरिता मदु मामाक्षागतम् ।" (कागोजगए ६८०) विप तुगागमथ, अलुकममामः यहा गिरी गिरिवबत २ गङ्गा। ३ चकोतग। ४ मातुलङ्गवृक्ष, विजारा। प्रदेश क्षियति आतिष्ठत गिरि-क्षि-विप । १ जो वाक्य ५ श्वे तबुना । ६ वायमाण लता। ७ मनिका, चमेली । में अवस्थित है विष्णु । २ जो पर्वतके जैसे च स्थान | ८ गिरिकदली, पहाडी केला। पर वाम करते हों। गिरिजाकुमार ( म० पु० ) १ कार्तिकेय। २ शङ्कराचार्य के ' विभावे पृषमेत मन्म गिरिचित उगायाय वृक्षे ।" (मक ।। ५४३) एक शिष्य। गिरिधि ने गिरिवाचि गिरिबम्नतप्रदेश वा मित्रते।' (माया) गिरिजातनय ( मं० पु० ) गिरिजाया:, पार्वत्या: तनयः, गिरितिप (सं० त्रि.) गिरि क्षिपति गिरि-क्षिप-क, जिम ६-तत्। पाव तानन्दन, कात्ति कय । को पर्वत उठानेको शक्ति हो। २ वफल्कागजाक पत्र गिरिजातज ( म.ली.) अभ्रधात्, अबरक। और अकरके भाई। ( इरिश ) गिरिजापति ( स० पु०) गिरिजायाः पतिः, तत्। गिरिगङ्गा ( सं० स्त्री० ) नदोविशेष, एक नदी जो पहाड. पार्वतोपति, शिव। मे निकलती है। गिरजामन्न ( म० की.) गिरिजष अमन्नं, ७ तत्, यहा गिरिगुड ( मं० पु. ) गिरी गुड इव। कन्दक. गन्दक. गिरिजाथा मल वीजरूप, ६ तत् । अभ्रक, अबरक: गन्द । चमक देवी- गिरिगरिकधात (मं० पु०) गिरिस्थितः गैरिकधातः, मध्य गिरिजाबीज (मलो०) १ गन्धक । २ अभ्रक, अबरक। पदलो०। पवेतस्थित गैरिक धात् । एक तरहवीलाल गिरिजाल ( म० क्ली० ) गिरिजर्जान्न, ६ तत् । गिग्मिमूह, खल्लो। पर्वतको पंक्ति। "प्रयास मेऽप्रवदघोर गिरिगरिकधातवमा " भारत) "गिरिजालावता शि- (गमा० ४३४.११) गिरिजाहय (मली. ) शिलाजत, शिलाजीत। गिरिगोचर ( सं० लो० ) व तमकैट, उजल्ला वन्दर। गिरिचर ( मं० वि० ) गिरो चरति चर-ट । १ पर्वतचारी, गिरिज्वर (म० पु०) गिरि ज्वरयति गिरिज्वर-णिच् अच् । जो पहाड़ पर विचरण करता है। गिरिणख ( म० पु० ) गिरण खः खगड, ६-तत् । पर्वत- "गिरिचर रव नाग: प्रापसार विभत्ति'.. (शकुन्तला) का एक अंश । (पु० )२ चोर। ३ चोरगण कि अधिपति कद्रदेव । गिरिणदी ( म० ही० ) गिरिमम्भ ता नदी, मधापदलो । "नम सोषिले गिरिधराय :- (वात्रमनेय० १०११) पार्वतीय नदी, पहाड़से निकली हुई नदी। गिरिचारिन् (स० त्रि.) गिरी चरति अविदितंभ्रमति गिरि- गिरिणद्ध ( म त्रि०) गिरीनद आवद्धः, ७ तत् । पर्वत- चर-णिनि। पर्वतचारी, पर्वत पर भ्रमण करनवाला। मे आवद्ध हो, जो पहाडमे छिपा हो। गिरिज (सं० क्ली०) गिरौ जायते गिरि जन-ड । १ शिलाजतु, गिरिणितम्व ( म० पु०) गिरेणि तम्वः ६ तत् । पर्वतके शिलाजीत । २ लौह, लोहा । ३ अभ, प्रबरक । ४ गैरिक, पाव देश। गैरू। (पु.) पार्वतीय मधुकवृक्ष, एक प्रकारका गिरित ( म त्रि.) गिल क । भक्षित, ग्वाया हा। पहाडी महुप्रासकरपयोय गोरशाक, और स्वल्पपत्रकाशित स.प.) गिरी कैलास स्थित स्त्रायत गिरित्र. है। काञ्चनारवृक्ष । (त्रि.) गिरि वाचि जायत गिरि- क।१ रुद्र, शिब। जन- अलुक्समा०। ७ जो वाक्यसे उत्पन्न हो, वाक्य- "शिवा गिरिव तो कर मा fr'मी पुरुष नगना (वाजमनेयम १५३) जात। ८ पर्वतजात, पहाड़से उत्पन्न होनवाला। ___ गिरौलासे स्थिती भतानि तायते पति गिरिवः। (महौधा) गिरिजधातु ( सं० पु०) गरिक, गेरू । | २समुद्र, जब इन्ट्रसे पर्व तौके पर काटे गये थे सब Vol. VI. 85