पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/३४५

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गिरिशाल-गर्वन् गि रशाल ( म० पु. ) गिरा गालत शोभते शाल। अच् । | गिरीन्द्र ( म० पु०) गिरिरिन्द्र इव । १ हिमालय पर्वत । एक प्रकारका बाज पक्षो। (समत) गिरेरिन्द्र, ६-तत् । २ महादेव, शिव । गिरिशालाहू ( म० पु. ) अनुदपक्षी। | गिरियक ( म० ए० ) गिरियक निपातनात् दीर्घत्व । गिरिशालिनी ( म० स्त्रो. गिरि शालयति शोभयति गिरि- गिरियक दवा। शाल-णिच णिनि, ततो-ङोप । अपराजिता लता। गिगेश (२० ए०) गिरः कैलामस्य ईशः, तत। १ कैलाम- (वामनपुगप) पति, शिव। गिरोणामोशः थष्ठं, ६ तत् । २ हिमालय गिरिशेखर (म पु० ) महावकुल पव त । गिगं वाचां ईशः अधिपति, ६-तत् । ३ वृहस्पति। गिरिशृङ्ग ( म० पु०) गरः शृङ्गमाकरण अस्त्यम्य गिरि- गिरेबान ( हि पु०) गन्न में पहनने का कपड़े का बह शृङ्ग अच। १ गणश। गणशक थ्रड उत्तोलन करने भाग जो गरदन चा तफ रहता है। पर पर्वतशृङ्गक आकारक जैसे मान्लम पड़ता है। हम गिरवा (हि. पु०) १ छोटी पहाड़ी । २ चढ़ाई को गम्ता। लिये गणशका नाम गिरिशृङ्ग पड़ा। (लो. ) गिरः गिरीश ( मं पु०) ब्रह्मा । २ विष्णु । गिगे ( फा. व. ) रहन, बंधक। शृङ्ग, ६ तत्। २ पर्वतशिखर । गिरिषद ( म. पु. ) गिग मौदति मद-क्तिप-पत्व । महा- गिरोड बगर प्रान्तक वर्धा जिलका एक नगर । यह देव, शिव। अक्षा० २०४० उ० शर देशा० ७८.। ३० पू० वर्धा गिरिष्ठा (मवि०) गिरी तिष्ठति गिरि-स्था किप षत्वञ्च । शहरमे ३७ मोन्न दलिगापूर्व को अवस्थित है । इमक १ पर्व तस्थायो। म १.१५४१२) (पु.)२ महादेव, निकटवर्ती पर्व तम शव ग्वाजा फरीद पीरका मकरबा है। स्थानीय हिन्दू और मुमन्नमान भक्त सर्वदा वहां शिव। जाया जाया करते हैं। धार्मिक फरीद ३० वत्मरकान गिरिमप ( म० पु० ) निताम। दोकर जातीय मप - विशेष । फकीरक वेशमें भारत के नाना स्थान परिभ्रमण करके गिरिमार ( म० पु०) गिरेः सारः, ६-तत् । १ लोह, १२४४ ई०को वहां जा बमे थे। इनके मम्बन्धमें अनक लोहा । २ शिलाजतु, शिलाजोत। ३ वङ्ग, रागा। आश्रय घटनाएं सुन पड़ती हैं। पांच गांवोंको आम दनोसे डम मकरवैका खर्च चलता है। यहां प्रति सप्ताह ४ मलयपर्वत। बाजार लगता है। गिरिमारमय ( म. वि. गिरिसारस्य विकारः गिरिमार- गिगिट (हिं. पु०) गिरगिट देखो। मयट । गिरिमारम बनाया हुआ। गिर्जा (फा० पु०) गिरजा देखो। गिरिमिन्दक ( म० पु०) कणनिगु ण्डो। गिट (फा० अच्य० ) आमपाम, चारों ओर । गिरिसुत ( म० पु० ) गिरः सुतः, ६-तत्। मनाक पर्वत। गिर्दावर ( फा० पु० ) १ घूमनेबाला, दौरा करनेवाला । गिरिस्ता ( म० स्त्री० )गिरेः सुताः, ६ तत्। १ पाव तो। २ कामको देख भाल करनवाला। २ गदा। गिर्यावा ( म स्त्रो०) गिरिं वालमूषिकाकर्ण आध्यति गिरिस्रवा ( स० स्त्री० ) गिरः स्रवति सु-अच टाप । स्पईत तदाकारण गिरि-या--क-टाप । अपराजिता । पार्वतोय नदी, पाड़मे निकली हुई नदी। गिर्वणम (मं० पु.) गिग वाचा वन्यत गिर-वन कर्मणि गिरिस्तेदः (म० पु० ) शिलाजतु, शिलाजीत । असुन गत्वदीर्घाभावश्च वन्दमः । देवविशेष । (त्रि.) गिरिहा ( स० स्त्रो० ) गिरिं वालमूषिकाकर्ण, ह्वति गिरा वनन्ति स्तुवन्ति गिर वन कप्त रि असन् । २ स्तव- स्पर्द्ध ते तदाकारण हे-क-टाप । १ अपराजिता लता | कर्ता, स्तव करनेवाला । २ वालमृषिका, चुहिया। गिर्वणस्य ( म त्रि०) १ जो स्तव करता है। गिरी (हिं. स्त्रो०) १ किसी बीजके भीतरका गूदा। गिर्षन (सं० स्त्रो० ) गिरां वनति स्तीति। म्तव करन- "मिरि" देखो। । "ग" ।। वाली खो।