पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/३४७

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गिलगिट-गिलगिलिया और गिलगिट उपत्यकावासी जिम वशमें उत्पन्न हुए, १७६० ई०को अहमद शाह अब्दालोन जब मारले हनजा और नागरके लोग भी उमो वशम सम्बन्ध रखते ____आक्रमण किया, काश्मीरियांका एक दल जा करके जिन हैं। यह शीया मम्प्रदायभुक्त मुसलमान हैं । इनको जाति.. गिटम बम गया। आज उन्हें 'कशोरू' कहते हैं। साम का मरदार 'थुम' कहलाता है । य ममरदार मगलोत परिवर्तन के साथ माथ इनका आचार भी बहुत बाबा और गरकश नामक २ यमज भ्राताकि वशधर हैं। ई. है। यह चित्रालक अधिवामियोम बिलकुल्न मिलन १५वों शताब्दीक शेष भागको यह दोनों भाई विद्यमान थ। नागरका किला और खुमका घर मतमोल नामक गिलगिट नगरम १८ मोल उत्तरको पोनियाल विला नदीक कूल में अवस्थित है। गिलगिटक राजवंशीय गजा- है। यह प्रायः २२ मोन बढ़ करके चमोन राज्यको प्रांक अधिकार कानको खुम मरदारन उनकी अधीनता मीमा तक चला गया है। गिलगिटके प्राचीन राजामौके मानी थो। १८६८ ई०को वह काश्मोग्गजके अधीन ममयमें इमो जिल के अायम गजपुत्रों और कन्यागोंका हो गये । नागर मरदार प्रति वत्सर काश्मीरराजको भरण पाषण होता था। १८६० ई०को यह भी कामोर- करम्वरुप २१ तोला मोना देते हैं। डमा पार्वता प्रदेश- गज्यक अधीन हो गया। का उत्तर दिकको कोटा गुजन्न' नामक बड़ी बड़ी पहन हनजा पार गिलगिटक मग्दागेम हमेशा सहाई घामम घिगे हुई एक जगह है। यहां गार्मषादिक माथ नगा रहतो थो। परन्तु १८६८ ई का वह विवाद मिट एक भ्रमणक:ग जाति रहता है। डमो गज्यक उत्तर गया। तदवधि थम मरदार शीनराजको प्रति वर्षद। प्रव को पका पार पक्षप नामक दो जातियां रहता हैं। इनकी मंख्या १० हजारस अधिक होगी। यह हनना घोड़े , २ कुत्त और ५२॥ तोला मोना कर स्वरूप दिस मन्दारको वार्षिक कर देत हैं। यह देखनमें अतिमन्दर करते हैं। बलटीत नामक स्थानमें ग्युमका भवन । हैं। गात्रका वण तांब जमा लाना जाता है। हनजाक ___काई ३० वर्ष हुए हनना नागरीक माथ त्रुटिश गवर्न उत्तरका मिकीन नामक पाव तौय राज्य है। हनजा मंगटका युद्ध किड़ा था । अब गिलगिट निकटवर्ती पधि- चामी टिश गवर्न मगटका अधीनता स्वीकार करने पर सग्दाग्वा 'अण्स' अर्थात स्वाय कहलाता है। पूर्व का यह भी माह राजाकि अधीन थे । हनजा ८ जिला- वाध्य हुए हैं। मरकार गिलगिट को फोज बढ़ाने और में विभक्त है और प्रतीक जिनमें एक एक किला बना है। उसके चारों ओर पोखता किले बनाने में लगी है। , गिलगिटक गौन लोग हनजा और नागरक अधि गिलगिट वजारतमें २६४ गांव हैं । लोकसंस्था वामियांको पशकुन जातोय बतलात है। परन्तु शषोक्त प्रायः ६०८८५ है। खतो खूब होती है। गोचरभूमि देशवामी अपन को बरीम जातीय ज मा मानत है। मीन और पशु कम हैं। ऊनी पट्ट खब बुना जाता है। नमक- लोग इमन्नाम धर्म में दीक्षित हात भो खूब गोभक्ति दिख- का कारबार बड़ा है। भारतको कई मड़कें आयौं । नाते हैं। कट्टर शोन तो यहां तक कि जिम पात्रमें गी. डाक और तारका भी भारतके साथ लगाव है। बजीर टुग्ध भी रखा जाता, नहीं कृतं । बाड़ा जितने दिन दुध वजारत गिलगिट वजारतका प्रबन्ध करते हैं। यहाँ सर- पीता, बह माधारण के लिये अम्पश्य ठहरता है। इमोसे कारी फौज रहती है। अंगरेजी पोलिटिकल एजण्टका प्रसूत होते ही मवत्सा गाय एशकुनों के पास भेज देत और भी निवास है। वह बजोरके कामीको देख भाल रखते वत्मक माटम्तन तयाग करत हो फिर उमको उनके पाम हैं। मे वापम मगा लते हैं। यही मब जातिगत आचार- गिलगिल ( म. वि. ) गिलं कुम्भौर गिलति गिल-नि- व्यवहार आलोचना करनमे ध्यानमें आता शायद पूर्व क। जो कुम्भीरको भी मिगल मकता हो। (बु.) कालको दक्षिण देशके किमी हिन्दू राजाने मिन्धुनद पार | २ गिन्नग्राह, नक, नाक नामक जन्तु । हो उमी सुन्दर देशमें जा करके हिन्दकुश प्रान्तमें अपना गिलगिलिया ( हिंस्त्री०) एक तरहको चिडिया, गज्यस्थापन किया था। आपसमें बहुत लड़तो है, सिरोही। Vol. VI.87