पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/३५८

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गीता ३५६ वादित हुवा था । इसी शेषोत ग्रन्थको अनेक कथाएं उक्त राजपुरुषों का क्या उपकार होता, दिखला करके कोर्टके इतिहासवेत्ताने अपने इतिहामम' सविवेशित की है। अनुमतिक्रमसे १७४५ ई०म उसको प्रकाश कराया। सुप्रसिद्ध इलियट साहबने उसको देख कर कहा है कि उन्होंने इसो प्रथम संस्करणम अपने आप गोताको बहु उसमें महाभारतकी बहुतमी कथाए' पविकल मिलती | प्रशंमात्मक मुखबन्ध जसो एक प्रस्तावना लिखी है। हैं। यदि यह बात सच , तो महाभारत-गीताका फिर भी कई गद्य-पद्यात्मक अगरेजी उलथे हुए । १८२३ अनुवाद १००० वर्षसे बहुत पहले किया गया जान पड़ता ई०को सुप्रसिद्ध संस्कृतज्ञ तथा तत्त्ववित् जम न (1.W. है। यहविषय पुरातत्वविदों को अनुमन्य है। Schlegel ) ले गेल साहबने देवनागराक्षरों में गीताका उत्तहृदय राजनीतिज्ञ प्रजापालक अकबर बादशाह मूल और लाटिन भाषामें उसका अनुवाद एकही पुस्तक- अपने राज्यमें हिन्दू मुसलमानों के बीच धर्म संक्रान्त में प्रकाश किया। इससे पहले उन्होंने अपन तत्त्वाव- विरोधजनक नाना प्रकार विप्लव पड़ते देख मर्वदा उसके धान पर पेरिस नगरमें देवनागराक्षर बनाये थे, उमोसे निवारणके सदुपायको चिन्ता किया करते थे। शास्त्रज्ञ गोता मुद्राजित हुई। तथा तत्त्वज्ञ विद्वानों के साथ मुमलमान, यहदो और १८५८ ई०को सुप्रसिद्ध विद्वान् (II. II. Wilson) ईमाई धर्मावलंबियोंका तक वितर्क उत्थापन तथा तत्त विल्सन माहबने लण्डन एशियाटिक मोमाइटोमें एक धर्म कर्म जिनामा करके उनकी धारणा हो गयी थी प्रबन्ध पढ़ा। उममें कहा गया कि (Galrus Demet- मुख्य रूपमें सभी प्रचलित धर्मीका मूलतत्त्व एक हो है, | rius ) देम त्रिया नामक किसी यनानो व्यक्तिने ग्रोक स्व स्व धर्म के सारग्राहियों में सहद्भाव नहीं टूटता। | (यूनानी ) भाषामें गोताको अनुवाद किया था। इन्होंने केवल मूढ वा वाह्यक्रियारत खण्डग्राहो धर्म सांप्रदायिको' | काशी में संस्कृत पढ़ा और वहीं गोतानुवाद रचा। किंवा कूट अभिमन्धिसाधक लोगों में ही अनर्थ क वाद उनके मरने पर यह पुस्तक गयेन्स नगरमें छापा गया । विवाद उठा करता है। इसीसे उन्होंने स्थिर किया फरासीसी (फ्रेञ्च ) भाषामें गोताका अनेक प्रकार अनु- कि हिन्दू मुसलमान उभय धर्मावलवियोंके ज्ञानगर्भ बाद समय समय पर प्रकाशित हुआ। बहुतमी भाषाओं- मनोरञ्जन प्रधान प्रधान ग्रन्थ एक दूसरेको भाषामें प्रांजल के ज्ञाता प्रत्नतत्त्ववित् ( Eugene Burnouf) बर- रूपसे अनुवाद कराके उनके पाठार्थ व्यवस्था करने पर | नफ माहबने जो श्रीमद्भागवतके पामात्र पादक थे, यक्तिसिद्ध कार्य होगा। १५८४ को उनके प्रादेशसे १८२५ ई०को गोताका पहला फरासोमी अनुवाद किया संस्कृतन्ज सुकवि राजमन्वि-भ्राता फेजीने महाभारतका था। फिर (Fuche) फोशे माहबने समस्त महाभारतक फारमी अनुवाद निकाला था । वह मुमलमानों के पढ़ने फगसीसी उलथा बनानका सङ्कल्प किया और १८६३से को प्रचारित होने लगा । इसीसे गीता पृथक्प से १८७२ ई० तक १० वर्ष के बीच आदिपर्व अवधि क पाठ्य ग्रन्थ बन गयो। पर्व पूर्ण करते करते वे कालग्रासमें पतित हुए । इस १७४४ ई०को अङ्गारेजी राजत्वके प्रारम्भमें (Charles अनुवादमें गीताका भी उलथा यथास्थान पर छपा है। Wilkins ) विनकिन्न माहबने मूल गीता पाठमें महा १८६८ ई०को संस्कृतवित् धर्मतत्त्वज्ञ ( Dr. F. Lorin- नन्द अनुभव करके संस्कृत शास्त्रको महोत्कृष्टता और | ser ) लोरिञ्जर साहवने जर्मन भाषाग्ने अपने बहु- भारतवषमें पुराकालावधि तत्त्वज्ञान तथा सुनीतिका जो | मन्तव्य कथन्के साथ गीताका अनुवाद निकाला था। प्रादुर्भाव रहा, उस समयके बड़े लाट वारन हेष्टिङ्गसको | उसमें इसके नाना अन सन्ध य विषयोंकी जो पालोचना समझाने के लिये गीताका प्रथम अंगरेजी अनुवाद करके | लिसो, वह विशेष कौतुकावह है। बार बिलके साथ गोता. उपहार दिया था । बड़े लाट हेष्टिङ्गम्ने तत्पाठसे | का मासाहर, दिखलाया गया है। इसी प्रकार युरोपकी मोहित हो कोर्ट अप-डिरेकर्स के प्रधाक्षको ग्रन्थका 'मम | इटालीय, रूसी प्रभृति प्रायः सभी मुख्य भाषाओं में गोता- और उसके ज्ञानसे लोगों-विशेषतः भारतके अगरेजी | का अनुवाद प्रकाशित हुआ है। सिवा इसके यवडीपक