पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/३६७

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गुच्छगुल्मिका-मुजरात इसको शाखा दन्तधावनके काममें आती हैं। । गुच्छी (म• बी.) गुच्छ जातौडी प् । १ करंज, कंगा। गुच्छगुल्मिका (सं० स्त्री०) स्नुहोरक्षविशेष । रीठा।३ पंजाबके ठंडे स्थानों में उपननेवाला एक तरह- गटन्तिका (मं. स्त्रो०) गुच्छा गुच्छीभूता दन्ताः का पौधा। इसके फलोंको तरकारी बनती है और वे फलरूपा यस्याः, बहुव्री०। गुच्छदन्त-कप-टाप । कदली मुखा कर बाहर दूसरे देशमें भेजे जाते हैं। वृत्त, केलाका पड़। इसका फल गुच्छाकारमें होनेके गुजर ( फा• पु.) १गीत, निकास। २ प्रमैत्र, पैर, कारण यह गुच्छदन्तिका कहा जाता है। पईच। ३ निर्वाच, कालक्षेप। गपत्र (मं० पु. )गुच्छाकृतीनि पत्राणि यस्य, बौ। गुज़रगाह ( फा.सी.) १ रास्ता। २ नदी पार होने- तान्नवृक्ष, ताड़का पेड़। को घाट। गुच्छापुष्य ( मं० पु. )गुच्छाकृतानि पुष्पाणि यस्य, बहुवो। गुजरत् (फा. पु.)स्त दारा। १ महाच्छदवृक्ष, मनिवन या छतिवनका पड़ । २ अशोक- गुजरना ( फा• क्रि.) १ समय व्यतीत करना। २ किमी स्थानसे होकर पाना बा जाना। २ नदी पार करना । गुच्छ पुष्पक ( म० पु.) गुच्छ पुष्प मजायां कन ।१४ निर्माण होना, निपटना। गेठा | २ गुच्छ करञ्ज। गुजरबसर ( फा. पु. ) निर्वाद, कालक्षेप । गुच्छपुष्पी (म० स्त्री०) गुच्छपुष्य जातौ डोष । १ धात- गुजरबान ( फा• पु.) १ मल्लाह, पार करनेवाला । २ को वृत्त, धाईका पेड़। २ शिगूड़ी नामक सुप। घाटकी उतराई बसून करनेवाला मनुष्य, घटबार। गच्छफल ( मं० पु० ) गुताकतानि फलान्यस्य. बद्री। गुजरात-षजाब प्रदेशका एक जिला। यह प्रमा , रोठा। २ निमन्यौ। ३ दौना। ४ गुच्छकरन वृत्त। ३२१ तथा ३३१ उ• और देशा• ७३. १७ एवं ५ जनवेतस। ७४. २८.पू.के मधा अवस्थित है। इसके उत्तरपव गुच्छफला ( म स्त्री ) गुच्छफल-टाप । १ अग्निदमनी काश्मोरोराज्य, उत्तर-पश्चिम झिलम जिल्ला तथा वितस्ता वृत्त । २ कामामोची मकोय । ३ द्राक्षा । ४ कदली वृक्ष, नदी, दक्षिण-पसिम शाहपुर जिला और दक्षिण-पूर्व को केले का पेड़ । ५ निष्यावी, लोविया । गुजरानवाला तथा शियालकोट एवं तापी तथा चन्द्र- गच्छबुन्धा ( म स्त्रो) गुच्छ न बधाते वन्ध बाहलकात् भागा नदी पड़ती है। भूपरिमाण २०५ बर्गमौन है। रक टाप् । गुण्डालिनी टण, एक प्रकारको घाम, गाँदला। लोकसंख्या प्रायः ७५०५४८ है घन्ट्रभागाके उपकूनी गुकमलिका ( म. स्त्री. ) गुच्छाकृति: मूलमस्याः, जमीन क्रमशः जलकी भीतरी ओरको ऊची हुई और बहुव्री० । कप, टाप । गोंदला धास। अल तथा सुक्षादिविहीन मरु जैसी बन गयी है। पर्यो गुच्छमसा (सं० स्त्री०) धातको। नामक गिरियको हो यहां प्रधान है। कोटे छोटे गुल्मादि- गुच्छा (हिं० पु.) १ एक गलमें लगे पत्ते फलों बा पूर्ण स्थानों में हो गोमहिष प्रभृतिके खाद्यका संस्थान फलोंके समूह । २ फूलका झब्बा। है। चन्द्रमागा नदीको नित्रतर तौरभूमि खूब उमेरा गुच्छातारा (हि. पु.) कचपचिया नामका तारा। है। पार्वतीय जलस्रोतसे एक नहर निकली जिससे गच्छाई (सं० प्र०) गक एव ऋनोति। चौबीस लडीका खेतो सिंचती है और भी कई मदिया हिमालयी निकल हार । ( पु० क्लो. ) मुच्छस भई अझै वा ६ तत् । २ . कर इस जिलेमें बही हैं। इस जिलेक बनाम बहादरो गुच्छ का प्राधा। लकड़ी होती है। गुच्छाल (सं० पु.) वरच्छमालाति, गुच्छ-भा-ला-क। इम जिले के प्रत्मतत्त्वका बहुल निदर्शन मिलता है। १ भूटम, एक तरवता जित घास। भूकदम्ब । प्राचीन स्त पादि, मुद्रा और इष्टकादि देखते ही अनु- गुच्छाशकन्द (सं० संयमी, मितमोज्यक्ति -प्रा-क। मित होता कि बहुत पहले वहां हिन्दुओंका वास रहा । गुच्छा सानो गो. न पान भो सहीं पुराने हिन्दुओंके ग्रामन्दिरादि शिल्प-