पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/३६८

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गुजरात नेपुण्यका परिचय प्रदान करते हैं। कनिङ्गाहम साहबने | अपना सैन्य चन्द्रभागा नदीके उत्तरकूलमें रख करक मोग नामक ग्रामक स्त पोंमें कोई वितताकार म्त प देख गमनगरमें लाई गफके प्रानकी प्रतीक्षा करते थे । १८४८ करके ठहराया है कि वह अलमन्दरका स्थापित ई०२२ नबम्बरको लाई गफ शेरसिंह कटक परा- 'निकाया' नगर था। उन्हनि पुरुराजको जय करके अपनी जित तथा विशेष क्षतिग्रस्त हो भाग खड़े हुए। पोछेमे कोर्तिघोषणाक निये इसको स्थापन किया । यह विक मैन्याध यक्ष जोसेफ थाकवेलने वजीराबादके निकट नदी ताकार स्त प पर्वो पहाडमे ६ मील पश्चिमको अवस्थित पार हो शेर मंहको आक्रमण और शादुल्लापूरमें उन्हें है। इसकी ऊंचाई ५०, लम्बाई ६०० और चौड़ाई ४०० पराजय किया था। शेरसिंह भाग करके षर्वी और फुट है। इन मब स्तूपोंक मधामे भारतवर्ष के शक- वितस्ता नदीक मध्यवर्ती स्थानमें अपने आपको बचा राजाओं की अनेक ताममुद्राएं निकली हैं। यहां जाटा लगे। इसी समय १८४८ ई० १३ जनवरोको चिलियांग और गजरों का अधिक वाम हैं। वालाका युद्ध पा पड़ा । उसमें सिख इतिहामका मौमाडा लीक बादशाहोंमें मबसे पहले (१४५०-५४ ई.), और गौरवरवि प्रकाशित हुवा और अंगरज लोग है । बहलोल लोदी इम जिलेमें आ करके बसे थे। उन्होंने तथा उन्हें वडो भारी क्षति लगो। र चन्द्रभागा नदोके तोर बहलोलपुर नगर स्थापन किया। ६ फरवरीको शेरसिंह फिर लाई गफको आँख उसके एक शताब्दी पीछे अकबग्ने यहां पहुंच गुजरात गये और लाहोर पर झपट पडनको दक्षिण साम्यपण, नगर बसा दिया। आज भी इम नगरके पुरुषानुक्रमिक। पडे । परन्त अंगाजांने उन्हें पोक्कमे खब द२ म्तवक । 'काननगो' परिवारमें अकबर राज्यशामनमकान्त पत्र २२ फरवरीको यह गजरातमें लडनको लो गुप्त गुत्सवात पाये जाते हैं। इनमें लिखा है कि अकबरके ममयको में मिखोकी शक्ति क्षोण हो गयी। पञ्चावा इस ...' वहां २५८२ ग्राम या मोना और उसका राजस्व हाथ लगा और अंगरेजी शामनभक्त हुआ।) से तक १४३४५५० रु. था। मुगलों के मौभाग्यावनतिके समय यहां बहुतसे इमलामधर्मावलम्बी राजा रावलपिण्डीके गकरों ने १७४१ ई०को इस प्रदेश पर शुरणदि राजवश प्रधान हैं । औरङ्गजबके का गुण बन्न- अधिकार किया। अदमद शाह दुरानोके आक्रमणकालको राजने इमलाम धर्म ग्रहण किया था। बाबवामी इम यातायातके कारण यह स्थान विशेष उत्यक्त हुआ था। जित् सिंहके बाहुबलसे यह लोग सदा जैर वीज दीर्घकाल १७६५ ई०को गूजरसिंहने इसको अधिकार किया। होन हो गये । गुजरातके मैयद बतलातसमें मरिच मिन्ना जामि देख । १७८८ ई.को मूजरसिंहके मरने पर उनके करके हम पहले पहल उसी जिलेमें बसेसलि साहबका पत्र साहबसिंह पिसिंहासन पर अधिष्ठित हए । राज्य स्थानोंमें फैल पड़े। घातरोग आरोग्य भार मिलते हो गुजरांवालाक मामन्त मोहनसिंह और ___दम जिलेमें नहर नहीं है। केवल : रणजित्मिहके माथ उनको लड़ाई छिड़ गयो । क्रमागत सब काम चलता है । जलवायु खूब स्वला। कई महोन लड़ने पीछे १७८८ ईको इन्होंने रणजित्को २ पञ्जाबके गुजरात जिलेको ए, बहुव्री० । धान्य अधीनता मानी थी। १८१० ई. तक साहबसिंह स्वराज्य अक्षा० ३२ २४ तथा ३२ ५३ उ० ... में प्रतिष्ठित रहे। पीछे सिख सम्राट रणजित्निहके ४७ एवं ७५.२८ पू०के मध्य पट त है। इसका राज्यव्य त करने पर वह विना कुछ कहे सुने पार्वत्य क्षेत्रफल ५५४ वर्ग मील है। प्रदेशको भाग गये । शेषको रणजितको वदानातासे ३ पञ्जाबके गुजरात जिलेका बड़ा नगर और स्वालकोट जिलेकी कुछ जमीन्दारो उन्हें प्राप्त हुई। सदर । यह अक्षा० ३२ ३५ 3 और देशा० ७४७ १८४६ ई०को यह जिला भङ्गारेजोंके हाथ लगा था। पू०में चन्द्रभागा नदीके वायक, नन्दसे २॥ कोस उत्तरको द्वितीय सिख युतके समय गुजरात रणक्षेत्र रूपमें परिणत प्रवस्थित है। लोकमख्या तय कटु, ति होगी। हुमा । सुलतानके अवरोध समय सिख सरदार शरसिंह प्राचीन प र नगर स्पर्श ए मान सुगर भाबाद