पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/३७

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खिलाफत

सुरासानको सूबेदारी मिली थी। परन्तु दामासकस सड़के मोभाबिया सेनापति थे, जो एशियामारनरमें 'मालगुजारी न भेजनके रसनाम पर उनकी जगह पर अपने घोड़े परसे एकाएक गिर कर मर गये। उनके अमर होवैरा मुकरर किये गये । उन्होंने कितने हो मरने पर खलीफाके दूसरे लड़के सुलेमान फौजके खुरासानिया से बहुतसा रुपया विशवत लिया था। प्रफमर बने । परन्तु पूरे वीर पबदला थे, जिन्होंने सो माराजगीसे उमेयटो को जड़ हिल गयो। ७३२ को सम्राट कानष्ट एट नीको गिरफ्तार अफीकामें भी इसी कारण बडा उपद्रव हुपा। किया। किन्त यनानियाने मराश और मलाशियाको बरबरों ने सूबेदारको मार भूतपूर्व सूबेदार महम्मद फिरसे जीत लिया ।। यजीदको उनके पासन पर बैठाया था। खलीफान हिशम राज्य शासनके दृमरे वर्ष म्पनके सूबेदार पाले एनसे मान लिया, परन्तु पोकेमे महम्मदको पनवस पोरेनीज पर्वत पार करके जङ्गी चढ़ाई की निकाल विशरको सूबेदार बना दिया । उन्होंने उन्होंने थो । ७२५ ई० को उनके मर जानेसे मामला ठण्डा पड़ सिसिलीके विनर एक पभियान भेजा था। गया। ७३२ ई०को चाले म माग्टनने मुसलमानों को २य यजीदने कविता और गीतविद्याका बड़ा । रोका था । इब्राहीम मार डाले गये पौर ममनपान पीछेको जल्द जलद लोट पड़े । ७३८ ई.को स्पेनके सम्मान किया। ७२४१० को २६ जनवगेको उनका नये सूबेदार ऊचक फिर गासमें दाखिस हए और मृत्य सुधा। उन्होंने अपना उत्तराधिकारी पहले हिशम और उनके पोछे अपने बेटे वलोदको नियत लियम्म तक बढ़, परन्तु फ की हारा दोबारा नारबोन तक स्वदेर दिये गये। किया था। पफरी कामें बलवा फटनेसे ७४.६•को हिगमने १० शिमका शासन-धिगम एक बुद्धिमान् ओर कोलथूम पौर वलज के प्रधोम ३०००० फौज भेजी थो। योग्य राजा थे। ईराक के सूबेदार खसोफा बनाये परन्तु बसवाइयों ने उसे परास्त किया पोर कोलथ मको गये पीर १५ वर्ष तक उन्होंने साम्राज्य के अर्धपूर्व मार डाला । बलज बाको मेना लेकर क्य टा पहुचे प्रान्तको शासन किया। किन्तु यह बड़ी सडक भड़ कसे पोर वहां से ७४१०के पन्तको स्पन गये जहां उन्होंने रहते थे। अन्तको शिकायत होने पर खलीद निकाले बरबरों का भोषण विद्रोह दबाया था। ७४२ ई.का गये पौर यूमफ सूबेदार बने। फिर खनीद दामास- उनका मृत्यु हुआ। पफरोकाके वरव ने केरवान कसमें जाकर बमे और यूनानियोंसे खूब लड़े भिड़े। लेनेकी कोशिश की थी, परन्तु हमजासाके सूबेदारने ७४. ई० की । जनवरी को राकमें बलवा फूटा ! उनकी फौजको पूरी शिकस्त दी। यसफ मार डाले गये। उनका सर दामाम कस पार ७४३ ई०के फरवरी मास २. वर्ष राजत्व करके वहास मदीना भेजा था । खुरामाम में भी बड़ा उपद्रव इशम चल बसे । वह सोकप्रिय थे। उनके समय पपा । परन्तु ७३१ को खलीदके भार पमट मुसलमान राज्यका पध:पतन प्रारम्भ हुपा। भारोतको हरा सकी पर बड़ा विजय पाया था। हिशम ११रितोय वलोद का शासनकाल-दितीय वलीद खूबसूरत, के राज्य शासनकालको मसरने हागत और तुर्काके ताकतवर भोर एक मगहर शायर थे। परन्तु विरुद्ध एक मफल अभिमान किया। भारतमें कितन यजीदने साजिश करके दामासकस अधिकार किया ही प्रान्त फिर स्वाधीन हो गये। इससे भारतका पूर्वोय पोर २य वलीद के खिलाफ २००. पादमी भेज दिये भाग खाली कर देना पड़ा। ७३० ई. को जो किसी देहातमें रहते थे और जिनके पास दो सोसे मुसलमान बुरी तरह हारे, परन्तु परममिया पजा• ज्यादा सड़ने वाले सिपाही न थे । ०४४ ई० को १७ बैखमके सूबेदारों ने खजरों को पराभूत करके शान्ति पपरेसको उनका वध हुआ। उनका सर दामासकस स्थापित की। रियमके सम्पूर्ण शासनकास बेजेण्टा पराया पौर भालेको नोक पर सबके देखनेको पनों से खूब युग होता रहा। ७२६९० तक शिमके बाजार में निकाला गया।