पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/३७२

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गुजरान्वाला-गुज्जरी ७३ ४२ तथा ७४२४ पृ० मध्य अवस्थित है। क्षेत्रफल | गुजुवा ( हिं० पु.) गोबरका कौड़ा, यह वर्षाकालमें पैदा ७५६ वर्गमौल और लोकसंख्या प्रायः २५२८६३ है । इसमें होता है। गुबरेला। तीन नगर और ४४५ गांव आबाद है । मालगुजारी | गुज्जरी ( स. स्त्री०) रागिणी विशेष । अपर नाम गुर्जरी और मेम लगभग ३७८०००, रु. है। है। यह सम्प रागिणी होती है। इमका ग्रह अंश गुजरान्वाला--पजाब प्रान्तकै गुजरानवाला जिले और न्याम "" है। मूक ना सप्तमो लगातो है। इस गगि- तहमालका सदर । यह पक्षा० ३२.८ उ• और देशा. गोसे बहुन्नी बहुत मिलती है। यथा-ऋ ग म प ध नि ७३११ पृ॰में नार्थवेष्टर्न रेलवे और ग्राण्ड टुङ्ग रोड पर | सऋ। अवस्थित है। लोकसंख्या प्रायः २.२२४ है । इसके गुज्जरी रात्रिकालको शृङ्गारममें गायी जाती है। नामसे मालम होता है कि पहले उसे गूजरोन बमाया विरागमें गानमे सुरस गुञ्जगे लोग वा मोहप्रयुक्त किमो था। परन्तु अमृतसरके सांमी जाटोनि वहां बम करके व्यक्तिका दोष दूर कर मकती है। गान्धार स्वर खानपुर नाम रखा । महाराज रणजितसिंहको यह इमका वादी है। मङ्गोत-दामोदरक मतानुमार पूर्वाह्नमें जन्ममूमि है। रणजित् मिहक पिताका अजायब घर | उमका गान निषिद्ध है। इममें धा और नि कोमन्न बना है। १८६७ ई०को मुनिमपालिटी हुई। पीतलक | होता है । यथा-- ग म प ध नि सा। सामान, लोहेके मन्दकी, हाथी दांतकी चूड़ियो', मट्टीक | रागविवोधर्क मतमें वह पञ्चमशून्य है। इसमें केवल वर्तनों और कपड़े का काम है। राजा रणजित्सिह- | मात्र ६ स्वर लगत हैं-ऋग म प ध नि मा। का स्मारक भी बना हुआ है। ___सङ्गोतदर्पण गुज्जरोको भैरव गगको महचरी बत- गुजरिया ( हिं० स्त्रो०) गूजर जातिकी स्त्री, ग्वालिन, ! लाता है। ग्रीष्म ऋतुमें प्रातःकाल एक प्रहर पर्यन्त गोपी। उमको गाना चाहिये। गुजरी (हिं. स्त्रो०) १ कलाई में पहननकी एक तरहको मोम श्वरक मतमें रामकन्ली और ललित योगसे वह पाँचौ जिसे मारवाडिने बहुत पहनती हैं। २ दीपक बनती और प्रात:को भी गायी जा मकतो है । रागको एक रागिणी। गुजरो देखो। ___ ब्रह्मा दमको भैरव रागको पत्नी कहते हैं। परन्तु गुजरेटी (हि. स्त्री०) गूजर जातिकी, गूजरकी बैटी। भरत तथा हनुमान् मतमें वह मेघरागकी पत्नी जमी २ ग्वालिन। उनि ग्वित हुई है। मान्लोयाका ठाट है। आजकल गान गुजश्ता ( फा० वि.) १ गत व्यतीत, बोता हुआ। वाने ११से १६ घड़ी दिन तक उमका वक्त बतन्नात हैं। ३खरच। तेशभेदमे कुक वदल करके वह अनेक प्रकार बन गयो पुजायिन्ली-पंजाबके वसहर राज्यके अन्तर्गत एक गण्ड है। यथा-मालगुज्जरी, राहान गुज्जरो, मङ्गल गुज्जरी, ग्राम । यह कोटकाईसे बुरिन्द गिरिसकट जानके गस्त पर | दक्षिण गुज्जरी, मौराष्ट्री गुज्जरी और महाराष्ट्रो गुज्जरी। अवस्थित है। इस स्थानके मनुषा निकटवर्ती पर्व तसे ___ मङ्गोतदामोदरमे केवल दक्षिण गुज्जरीकी ही मूर्ति लोह बाहर करते और इन्हें गलाकर परिष्कार करते हैं। वर्णित है। जैसे-यह श्याम वर्ण वा श्यामा स्त्रीको गुजारना ( फा.क्रि.) बिताना, काटना। भांति मकल गुणयुक्त है । मलयद्रुमके कोमल कोमल युजारा (फा. पु०) १ निर्वाह, गुजर। २ जीवन निर्वाह पनव उसके कर्णभूषण हैं । इसमें अति और स्वरका के लिये एक तरहको बत्ति । ३ नाव वा घाटकी उत विभाग स्पष्ट लक्षित होता है । मालूम होता है कि राई। ४ महसूल लेनेको स्थान। ५ नदी पार होने गुजर देशवासियों को उसका माना बहुत अच्छा लगता को नौका। था । उसीसे उसका नाम गुर्जरी पड़ गया। फिर आसा मुखारिश ( फा० स्त्री० ) निवेदन। नोसे कहनको रेफ उड़ा दिया गया है। २ कोई राग। सुली ( फा० पु. ) सूखा हुआ नाकका मल, नकटी। । यह एकताली ताससे गायी जाती है । ( गौतगोविन्द)