पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/३७८

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गुड.पाक- करना चाहिये। उसके बीच में अच्छी तरह गोबरसे लीप | ग इपिष्ट ( स० क्ली० ) ग डयुक्त पिष्ट मधापदलो । करके कश बिछा देते हैं। इस पर विष्कम्भ प्राद पर्वत | गड मिला हुआ एक तरहका पीठा। युक्त एक गडका पराड़ बनाया जाता है। दश ( ६२॥ गुड़पुष्प ( स० पु०) ग ड इव मधुर पुष्यमस्य बहुव्री । मन )का उत्तम. पांचका मध्यम और तीन मार गुड़का | मधुकपुष्य, मौलमरीका पुग्प। पर्वत प्रथम कहा है। दाताको अवस्था बहुत हीन | गुड़पुष्पक (सं० प्र०) ग डपुष्प एव स्वार्थ कन् । मधुक होममे इसमे थोड़े में भी न डपर्वत बनाया जा सकता | पुष्पवृक्ष, मौलसरोका पेड़। है। विष्कम्भ पर्वत, सुवर्णवृक्ष आदि धान्याचलके निय- गुड़फल ( स० पु० ) ग ड इव मधुरं फलमस्य, बहुव्री। मानुसार रखते हैं। होम और लोकपालोंका अधिवाम | १ पोलवृक्ष। २ वदरवृत्त। प्रभृति भी बेमा ही होता है। गडपर्व त दान करनेसे गुड़फला ( म० स्त्री० ) इस्वकाकमाची, छोटी मकोय। स्वर्ग मिलता है। धाननाचलके मब काम करके यह | गड़भन्नातक ( म० पु० ) ग डे न पक्को भन्मातकः, मन मन्त्र पढ़ते हैं- लो। औषधविशष, एक दवा। उसको इस तरह "यथा देवेषु विधामा प्रवराऽय' जनादमा बनाते है-एक द्रोण पानीमें दो हजार मिलावें उबालना मामवेदस्त वेदाना महादेवात योगिनाम ॥ .चाहिये। यह पानो चौथाई घटने पर भलावे निकाल प्रशवः ममन्माण मारोगा पार्वती यथा। लेते और उमो पानीमें १२॥ सेर गुड़ डाल करके तथा रमामा प्रबर. मदेवेसुमो मतः ॥ खोलने देते हैं। फिर फलोंको चार चार टुकड़े करके मम तखान पलमो पर्वतदेखि। उसमें निक्षेप किया जाता है। भिलावा खूब पक जाने यवान सौभाग्यदायि माता व गुरुपर्वता निगममापि पाया तमाशान्ति प्रयास में( मस्सा. ५१.) पर त्रिफला, त्रिकट, अजवायन, नागरमोथा और सैन्धव जो इस नियममे गुडपर्व त दान करेगा, पहले गौरी | एक एक कर्ष डालना चाहिये। फिर दालचीनी, इला- लोकमें रह करके मलहीपका एकाधिपत्य पा सकेगा। यची, तेजपत्र और केसर छोड़ करके उतार लिया जाता मकदान देखो। है। इसोका नाम ग डभन्नातक है। बलशाली व्यक्ति ग डपाक ( स० पु० ) गुडस्य पाका, ६ तत् । वैवशास्त्रोक्त अग्निधि रहनसे वह औषध सेवन कर सकता है। इम पाकविशेष । चक्रदत्सके मतमे गडपाक करनेके ममय को सवेरे खाना चाहिये। ग.डभल्लातक लेनेम प्रोहो. एक जलपूर्ण पात्र उसके निकट रखना चाहिये । गुड़- | दर, काम, कृमि और भगन्दररोग विनष्ट होता है। पाक भली भांति हुआ वा नहीं इसके जाननेके लिये थोड़ा ग ड उठाकर रखे हुवे जलपूर्ण पात्र में छोड़ दें। गुड़भा (स' स्त्री०) गुड़ इव भों त भाक । शर्करा, शाड । यदि निक्षित ग ड एक स्थानमें दूसरा स्थान न जाय एवं | गुड़मारी ( सं० स्त्री० ) १ कृष्णशाल्मली। २ जिङ्गिनी। उसका कोई शगल न जाय तो जानना चाहिये कि | गुड़मण्डुर ( स लौ०) १ पुराना गुड़। २ प्रबद्रव गुड़पाक अच्छी तरह हो गया । यदि गज हत्थे में लग शूल। आय अथवा सूतेके सदृश हो जाय तो गुडका पाक होना गुड़मूल ( मं० पु० ) गुड इव मूल यस्य, बहुतो। नहीं समझा जाता है । (चक्रदत) जख. केतारी ।२ स्वल्पमारिषशम, गइपासक ( सं० पु० ) इच, जरख । गुड्योगफला ( सं स्त्री० ) मधुरालावु, मिठी का। ग इपिप्पलीकृत ( स क्ली. ) गडपिप्पलीभ्यां सह पक्ष. | गुडर ( स त्रि. ) गूडसे बना हुआ । हत मध्यपदलो। औषधविशेष । पीपर, गुड़ और | ग बसा ( स० क्ली० ) गडं कारणतया लाति ग.दला-क। घृतको मिश्रित कर चौगुना दूधके साथ पाक करनेको | १ गौदी नामक मदिरा, जो गइसे प्रस्तुत किया जाता गुडपिप्पलीत कहते हैं । यह सम्बपित्त पौर शूलरोग- है। (वि०) गु डोत्पत्र । का एक महौषध। |ग पसगी-बम्बई प्रान्तके वेलगांव जिलेका एक मौजा।