पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/३७९

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३०७ गुड लिह-गुड भेटला यहां कादसोध चोर पादसोध नामक दो लिङ्गायत देव | गुड़ादिवटिका ( सं० स्त्री० ) शोथरस। .. प्रेत वाधा दूर करनेके लिये मशहूर हैं तीन अमाव- | गडापूप ( सं० पु. ) गुडेन मिश्रितोऽपूपः, मधापदले । स्याओंको बराबर भूतमे मताया हुआ आदमो वहां ले | गड मथित पिष्टक, गडपीठा। जानसे अच्छा हो जाता है। | गुड़ापूपिका ( म० स्त्रो०) गुड़ा पूपाः प्रायेण प्रसन गुडलिह ( स० त्रि०) गुड ले डि गुलिह-क्विप । गडापूप-कन् टाप अत इत्वञ्च । पूर्णिमा तिथिनिमेष । गड. चाटनेवाला। | गडाम्ब, ( म० क्ली० ) गुड कृत जल । ग ड मिला एका गुइ.वोज ( स० पु० ) गुड इव मधुर वीज यस्थ | जन । बहुव्री० । मसूर । गडारिष्ट (म० क्लो०) गडनिर्मितं अरिष्ट', मधापदो गड.शर्करा ( सं स्त्री०) गड.जाता शर्करा । उत्तम| मदिरा, दारू । चोनी। ग डाला ( मं० स्त्री० ) गडं मधुरमं पालाति बाहुवाव गड.शिग्र (म० पु०) ग ड इव मधुरः शियः। रक्त कः ततः टाप। ग गडामिनोवृक्ष। इसका रसनी शोभांजन। मदृश मोठा लगता है। गुड़ शुक्त ( सं० क्ली० ) अम्ल रसविशेष, किसी किस्मका | गुहाशय ( म० पु० ) ग ड इव मधुर रम प्राश खान मिरका। यह तन्न, गुड़, पानी, कराहशाक आदि एकत्र | अा-शो आधारे-अच्, ६-तत् । अक्षोटवृक्ष, अखरोटवा । मिला करक बनाया जाता हैं। (शधर ) गडाश्मक --पुराणोक्त एक जनपद । गुडहर (हिं पु० ) अड़हुलका पड़ या फल । "धर्मा रगया जोतिषिका गौरयौवा गामका: . ..1000 गडहल (हि गु०) गुरुर देखो। (माए ययग ) गुडा ( स० स्त्री० ) गुड़-टाप । १ स होवृक्ष । २ वटिका, का गुड़ाष्ट क ( मं० लो० ) औषधविशेष, एक दवा। विकटु, गुटिका, गोली । ३ उगोरो टण, एक तरहको सुगन्धि पिपरामून, त्रिवत्को जड़, दन्तोमुल और चोतकी जड़ धाम । ४ गुड़ ची। गडाका ( स० स्त्री० ) गुड,यति सङ्कोचयति देहेन्ट्रियाबराबर बराबर चूर्ण करके गुड़के साथ सवेरे खाना चाहिये दीनि स ग ड त आकति प्रकाशयति ग डा केक मात्रा अग्निबल के अनुसार दो आती है । यह पजीर्ण टाप । १ निद्रा, निन्द । २ आलस्य । और उदावर्त दूर करता है। गुडाकू (हि. पु०) ग घ.मिश्रित पीने का तम्बाकू। गुड़सव (सं० पु० ) गुड़कत पासव, गुड़की शराब । यह गडाकेश ( म० पु० ) गड. स होव केशा यस्य, बहुव्री। वातनाशक, तर्पण और दोपन है। ( प ) गुडाकायाः निद्राया: प्रातस्यस्य वा ईशः, ६-तत्। अर्जुन। गुड़िका ( मं० स्त्रो• ) गुटिका, गोला। "गकेशः पन:- ( ज्वल ) (वि.) जितनिद्र, जिमने | गुडिमेटला-मन्द्राज प्रान्तके कष्ण जिलेका एक गांध। निद्राको वशाभूत कर लिया हो । ३ जितालस्य, आलस्य | यह नन्दोग्राममे ८ मील दक्षिण-प श्रम अवस्थित है। शून्य । ( पु०) ४ शिव, महादेव । यः पहाड़ पर एक भग्न दुग , टुटे फूटे मन्दिर धादिले गडाख्य ( स० पु० ) स होवृक्ष । प्राचीर और मण्डप प्रभृतिका ध्वमावशेष देख पढ़ता है। गुडाचल (म० पु०) गुडन निर्मितऽचलः. मध्यपदलो। कहते हैं कि १३२८ मे १४२७ ई के बीच रेउडी मारली दानके लिये गुड. द्वारा निर्मित पर्वत । गृहपर्वत देखी। ने वह मब मन्दिर आदि बनाये थे । कोई कोई व.. गड़ादि ( सं० पु० )पाणिनोका एक गण । गुड़, कुल्माष, | तुरङ्गरायड़ कहा करता है। ११८० शकको दिया गया सक्त , अपूप, मांसौदन, इक्षु, वेण, संग्राम, संघात, संक्राम, | राजेन्द्र चोड़ के पुत्र काकतीय रुद्रमहाराज, १०८६ सम्बाह, प्रवाह, निवास भोर उपवास इन सभोंको प्रदत्त वास्तुटप और रुद्राम्मा देवी के राजत्वकाल पर लिया गु डादि गण कहते हैं। हुआ भिन्न भिन्न शिताफलक मिलता है। Vol. VI. 95