पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/३९८

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गुण्टर-गुण्डक और चत्य रहे । इस गोलाकति मन्दिरको चारी अर सौंप दिया। १७८८ १०को वह अगरेजोंके हाथ लगा ११ फुट ७ इञ्च प्रदक्षिणा है। प्रदक्षिणासे ७ फुट ऊंचे और १८२३ ई०को सुटिश गवर्नमेण्टका अधिकार 'दागोव' दृष्ट होता है। बारगस साहबने इस गुहा भुक्त हुआ। यहाँ दूसरी जगहोंको ५ सड़कें पा करके मन्दिरसे जुबारको बौद्द कीर्ति तुलजालेनको तुलना मिली हैं। रूईका बड़ा कारबार है। कई एक पुतली किया। है। चैत्य गुहाके सामने एक भग्न दागोव घर चलते हैं। ईष्ट कोष्ट रेलवेका टेशन बना हुआ है। है। इससे दक्षिण कुछ छोटे छोटे घर देख पड़ते हैं। गुण्ठ (म० पु. ) वृत्तटण । उत्तर दिक को विहार-गुहा है। इसके मध्य एक गुगठन ( म क्लो०) गुठि-ल्य ट। १ अावरण, परदा । टूकड शिलाफलक पर दो छत्र खोदित लिपियां लगी हैं २ वेष्टन, घेरा। इनके अत्तर ई० प्रथम शताव्दो अथवा उससे भी कुछ गुण्ठित ( स त्रि. ) गुठि कर्मणि-त । १ आकृत, आच्छा पूर्व ममयके जैसे अनुमित होते हैं। दित, ढका हुआ। २ ध लसे भरा हुआ, ध लमें लिपटा गुण्ट र-मन्द्राज प्रान्तका एक जिला। १८०४ ई०को हुआ। ३ गुण्ठित, ढका हुआ। यह नेल्ल रके ओङ्गोल तालुक और कृष्णा जिलेका कुछ गुण्ड ( स० पु० ) गुड़ि अच । १ तृणविशेष, एक घास अंश ले करके बना। १८५८ तक डमी नामका एक ( Scirpus kysoor )। इसका पर्याय-काण्डगुण्ड, दूसरा जिन्ना भी था। इसका क्षेत्रफल ५७३३ वर्गमोल, टोघकाण्ड, त्रिकोणक, छत्रगुच्छ, असिपत, नीलपत्र और लोकमंख्या प्राय: १४८०६३५ अोर मालगुजारी कोई ५६॥ विछत्रक है। इमके कन्दको कशेरु कहते हैं। इसका लाख रुपया है। गुग मधुर, शीतल, कफ, पित्त, अतोमार, दाह और र गुगट र-मन्द्राज प्रान्तके गुण्ट र जिलेका सवधिविजन। नाशक है। यह पृण अनूपदेशमें उत्पन्न होता हैं। इस गगट र-मन्द्राज प्रांतके गुगट र जिल्नेका तालुक । यह का काण्ड चार या पांच हाथ तक लम्बा रहता है। इस प्रक्षा० १६८ एव १६३५ उ० ओर देशा०८० २० का शीर्षभाग छत्रके जेमा और मूल मोथाके महश होता तथा ८०४१ पू० मध्य अवस्थित है। क्षेत्रफल ५०० है। इसके काण्डसे अच्छो अच्छी चटाईयां बनती हैं। वर्ग मोल ओर लोकसंख्या प्राय: २००५५७ है। इममें गुड़ भावे घ । २ च ण न, पेषण, पीसा या चर्ण किया दो नगर और १०८ गांव बमत हैं । मालगुजारी और हुवा ।। सेम कोई ५१३००० रु. पड़ती है। दक्षिगामें काली गुण्ड-बम्बई प्रान्तको काठियावाड़ एजन्सोमें नवानगर भूमि बहुत उपजाऊ है। सड़कें अच्छो हैं चौर दक्षिण- राज्यकै मानवाड़ मसालका एक गांव । यह अपने प्राचीन पूर्व कोणमे बइनान्न ( नहर ) निकल गयी है। सिह शिलालेखके लिये प्रसिद्ध है। उसमें लिखा हमा गुण्ट र मन्द्राज प्रतिक पुराने गुण्ट र जिलेका मदर। है-'क्षत्रप राजत्व कालके १०२ वर्षको स्वामी रुद्रसिह यह अक्षा० १६१८. उ० और देशा० ८० २८ पू॰में । राजा थे। इनके पिता का राजा महाक्षत्रप स्वामी रुद्र पड़ता है। १८५८ ई०से गुण्ट र कृष्णाके सब कलकरका दामा, पितामहका राजा क्षत्रप स्वामी जयदामा और निवास स्थान रहा और हालमें नये गुंटुर जिलेका सदर प्रपितामहका नाम राजा महाक्षत्रप स्वामी चष्टान था । हुआ। १८६६ ई०को मुनिसपालिटी पड़ी। सम्भवतः वैशाख क्षण-पञ्चमीको अवगणा नक्षत्रमें चन्द्रके रहते ई० १८वीं शताब्दी के उत्तरार्ध भागमें फ्रान्सोमियोंने इसे अहोर सेनापति वाहकके लड़के रुद्रभूतिने रसोपट्र ग्राम- बमाया था। तेलगु 'गुण्ट' शब्दसे जिसका अर्थ सरोवर में पशुओंके लाभ और सुखके लिये यह कूप बनाया। यह है, गुण्ट र बना है। यह अपने प्रतिमें मबसे अधिक शिलालेख एक पुराने कुएं में मिला था । गुण्डको लोक- स्वास्थकर स्थान जैसा प्रसिद्ध है। पहले वह सलाबत- संख्या कोई १०८६ होगी। जङ्गको जागीर था। १७७८ ई०को मन्द्राज गवर्नमेण्टने गुण्डक ( म० त्रि०) गुण्ड स्वार्थ कन् । १ मलिन, मला, एनसे इसका पट्टा लिखाया और १७८०ई०को फिर उन्हें कुचेला।