पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/३९९

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गुण्डकन्द-गुण्डला ( पु० ) २ धूलि, धर। ३ कलध्वनि, कलकलका | पर कोई शिनालिपि भी मिली है। नदीको रेतमें अध शब्द । ४ नेहपात्र। प्रोस्थित दो शिवमन्दिर हैं। कहा कि एक चोलराजने गुण्ड कन्द ( मं० पु.) गुण्यस्य कन्दः ६ तत् । कशेरू, यह दोनो मन्दिर बनाये थे। केशर। गुगण्डलपट-महिसर राज्यके महिसर जिलेका दक्षिणा गुगड़ता ( सं० स्त्री० ) यावनाल शर्करा । तालुक। यह अक्षा० ११.३६ तथा १२.१ उ० और गुगडबोलु-मन्द्राज प्रांतके नल्ल र जिलेका एक गाँव ।। देगा० ७६२४ एवं ७६ ५२ पृ० मध्य अवस्थित है। एमकी दक्षिण दिकको पान जानकी राह पर तालाब क्षेत्रफल ५३५ वर्ग मोन और लोकसंख्या प्रायः ७४८८.७ है उममें एक पत्थरके ग्वम्भे पर तेलङ्गः अक्षरोंको लिपि है। इममें एक नगर और १५५ गांव बसे हैं। माल- है। जलायके दक्षिण भी तामिल पक्षगेंमें खुदी हुई गुजारी कोई १०००, रु. है। पथिम तथा दक्षिण को निदि लगो है यह गांव आजकल उजाड हो गया है। बड़ा जङ्ग है। पास ही पहाड़ी पर घनी बमती है। गांववालोंका कहना है, किमी ममय वहां राजप्रामाद था गोंडल नदी दक्षिणमे उत्तरको प्रवाहित है। मोचनके गुण्डल-मन्द्राज प्रांतके करनन जिलेका कसवा। यहां लिये बांध है। यहां चावल और पान बहुत अच्छा होता गोपाल स्वामोका मन्दिर बहुत पुराना है। इमो मन्दिर है। नदियोपर जङ्गली खजरके बाग हैं । के पाम एक पत्थर पर अनुशासनलिपि उत्कोर्ण है। गुगडलमऊ-युक्त प्रदेश मीतापुर जिलेका एक परगना । गुगडल पम्म दाक्षिणात्यको एक नदो। यह मन्द्राज इमर्क उत्तर मरता तथा करीन परगना, पूर्व मरायन प्रांतीय करनल जिलेके ननमलय पर्व तसे अक्षा० १५४८ नदी और दक्षिण एवं पश्रिम गोमती नदी है। पहले उ. और देशा० ७८ ५१ पू०में निकलती है। फिर यहाँ कंकेरा लग रहते थे । बाछल क्षत्रियों के तोन संतानों. जमपलेक और एनमलेरु नामक दो पहाड़ी नदियाँका ने उन्हें भगा दिया। उनमें एकका नाम गोंडमिंह था । मङ्गम है। उसके बाद यह कमबलघाटकी राह मेदान | उन्होंने ही अपने नाम पर यह परगना स्थापन किया । पहुचतो है। मोंचने के लिये कमबल तालाब बनाया गया इममें कोई ६७ गांव हैं। उनमें आज भी ५३ गांवों पर है। यह करनन्ल, गण्ट र और नल्ल र जिला होती हुई | बाल अधिकार रखते हैं। जगह पहाड़ो और ऊंची पेटदेवरमके पास अक्षा० १५. ३४ उ० और देशा० ८० है। अनाज वगेरह अच्छा नहीं होता। क्षेत्रफल ६५ १० पृ० पर ममुद्रमें प्रवेश करती है। वर्गमौल है। गुण्डलपाड़-मन्द्राज प्रांतके कष्णा जिलेका एक गांव । गुण्डलमाड़-मन्द्राज प्रान्तके कड़ापा जिलेका एक गांव । यह मार्चलमे १० मोल और तम्रिकोटरसे १८ मील दक्षिण यह सिहयटमे १४ मील दक्षिण-पश्चिम अवस्थित है। पश्चिम पड़ता है। यहां दो प्राचीन मन्दिरीका वंमा | यहां मक्तिकोटीश्वर स्वामीका एक प्राचीन मन्दिर दृष्ट वशेष दृष्ट होता है। ग्रामके पश्चिम भाग पर शिवकेशवके | होता है। प्रवादानुसार महर्षि नारदमे वह मूर्ति स्थापन मन्दिरमें एक भम्म शिलालिपि है। शिव तथा विष्ण. की थो । मन्दिरके पाम ही एक अस्पष्ट शिलाफलक मन्दिरके पास दुर्मति मंवत्सर १२४३ शकको उत्कीर्ण | भी है। दूध (स. विजाप्रशस्ति मिलतो है। गुण्डलक-मन्द्राज प्रान्तके कड़ापा जिलेमें लममपट ताल- गुरक जिसको गुणा कर प्रान्तर्क नल्ल र जिलेका एक गांव । कका गांव। यह लुल्लमपेटको मदर अदालतमे ५ मोल कुछ अच्छ गुण हो। स-पश्चिम पड़ता है। पर्वत | उत्तर-पश्चिम पड़ता है। स्थानीय प्राचीन विशामन्दिरके ' पर तोन और नाग::: (मि० को मन्दिर है। पहाड़ पर | पाम दो पत्थरी पर ग्रन्थ और तेलगु अक्षरांमें खोदित मरश्वर स्वामीकाभीक जो विद्यमान है। इम | गिलालिपि है। इमर्क दक्षिण अगस्त्य खरके मन्दिरमें मंदिरमें ध्वजस्ता मिळ१४६३ शकको उत्कोर्ण एक | और भी कई एक ग्राशनालिपियां हैं। मनिकटस्थ प्रशस्ति है। फिर मन्दिरी दक्षिणको एक टुकड़े पत्थर | वीरभद्रस्वामाके मन्दिरमें कितने हो ग्रन्थ और तेलगु Vol. vi, 100