पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/४

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खाण्डवक---खातव्यवहार . हापरक पन्तमें अग्निने ब्रामणके धेशमें अजुनके खाण्डिक्य (म. पु.) जान पास जा कर खाण्डव वन जला देने के लिये प्रस्ताव के बापका नाम मितामाणिक्य बड़े कर्म- किया। अग्निको प्रार्थनासे मध्यम पाण्डवमे उसमें | तत्त्वज्ञ थे। (क्ली.) खालावावा . खण्डिक-) सम्मति दी और श्रीकृष्ण के सहारसे खाण्डव वन यक् । पन्यन्तपुरोहिताधिभार ) या खण्डिकका भाव, बमामा प्रारम्भ किया। देवराजने तसे खाडवदाहकी खण्डिकता, गुस्सा, मासमो. रिडकका कर्म। बाम सुम अर्जुनसे नहाई ठान दी। युपमें सेनापोंके | खागिडति ( म. वि.) निकास साव देवतापोंको पराजय स्वीकार करना पड़ा। अर्जुन- चित् ( देशादि)। में विना किमी वाधासे खाण्डव दान करके अपना खाण्डित्ता ( म• नि. चातुरधिकस्य । पचय कीर्ति स्थापन की । (बालिकापुराण १० १०) बहुत पुराने समयसे भारतवासी खाडन-वमको बात (स' अध्य० ) पब समझमें न पाने वाली पावाण। बानते हैं। यजुवंदके तैत्तिरीय पारण्यक ( ५। १ । १) खात (सं. क्लो०) खममा १ खनन, खोदाई। और पञ्चविंशवाणमें ( २५३ ) उसका उल्लेख कर्मणि हा । २ पुष्करियोबाय३ कूप, कूर्मा सगा। पाण्डवोंने धृतराष्ट्रसे पांच गांवों में यकीखाणव- ४ गते, गड्दा । (नि.) खोदा एमा। प्रमिला था, पन्तको उन्होंने यहीं इन्द्रप्रस्थ स्थापन खात (हिं. स्त्री.) १मका किया। (भारत, पादिपर्व)मस्थ देखो। टेर । यह शराव बमान- साहवक (सं० वि०) खण्ड चातुरथिं क वुण । खण्ड: के लिये रखा जाता है । २ महुवा रखने की जर। सम्बन्धीय। ३ खाद, पांस । (ति.) अपरिष्क त, मैला। सायप्रस (म. पु.) इन्द्रप्रस्थ, मौजूदा दिलोका . खासक ( स. क्लो.') सात संज्ञायां कन् । १ परिक्ष, खाई। ( पु०) २ अधम माथी, पासामो, रुपया एक किमारा। (भारत 14.), ... मामा ), खास तबाम वनं प्रयनं उधार लेन वाम्ता । १ शव को मेमा विदारण करन- वामा, जो दुश्ममको फौजीटकम है। सायबमो.। खाण्डववनमें रहनेवाले खानभू (सं० स्त्री० ) खातभूः । १ परिखा, खार। शषि (भारत श.प.) २ प्रतिकूप, कूए का गड्डा साविक (म. पु.) खाडवं मोदकादिशिल्पमस्य | खातमा ( फा० पु०) १५खोर । र मत्य , मौत। महसठ । सड बनानेवाला, हलवाई। सिरा। (भारत, पान.१०) | खातव्यवहार । सं० पु०.) या पुष्करिष्याः व्यार सालवी (म. स्त्री.) एक पुगे। इसे चन्द्रवंशीय देय विस्तारवेधादिभिरियानि यः तत् । गणित बदर्शनरामने हिमालय के निकट बसाया था। विशेष, एक हिसाव । खासव देखो। हाव भादिका सफल हीरणक (म. वि.) सहपोरणेन मित्तम्, निकलता है। कलावतोम धातव्यवहारको प्रणाली रस खाणवीरमिता . बारसे सिको ई- एक ( पु.)स मोदकादिकं शिमस्थ, जिस गणितसे खाता परिमाप हराया जाता, १सवाई, कंदोई, मिठाई बनानेवाला। (ली.) खातवावहार करतात. देवको माह तालाब भी कानां ममूः, खण्डिक-पत्र । समिकादिभाष । पा कोना, तिकोना पोरीस कर प्रशाखा होता है। २ खण्डिक समूह | परन्तु सोम बार सुनोगाम्ने इसे मेष । ( म. पु. ) खाण्डिकेन प्रोलमधीयते, करके २ -विषम पोर नमः। ए । मिचिरिवरतन्तु सण्डिकोखाच्छन् । पा ४।६१९। सातका ऊपरी पोल नोगा हिसास शाख पढ़नेवाले। (पेंदा) me के श्री. समार a .