पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/४०२

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गुत्माच-गुदड़ गुन्ना ( म० पु० ) गुत्मस्य अईः, ६ सत्० । चौबीशनर गुदकोलनाशक, जिससे पर्श गेग नाश हो, जिसमे या- मोर अच्छा हो। गुधना (हिं० क्रि० ) १ कई चीजोंका तागेके द्वारा एकमें गुदकुष्टक (म पु०) शिशुका गुदज तामवग व्रणविशेष, करमा । २ भद्दी मिलाई होना टॉकना। ३ एक्का दूसर- बच्चे की पाखानकी जगह होनवाला एक सख फोड़ा। के साथ लड़ने के लिये भिड़ जाना। यह मलके उपलेप वा स्व दमे रक्त और कफके कारण गुद- बुधनी-विहारमें मारण जिलान्तर्गत एक नगर। यह में उत्पन्न हो जाता है, इमका बड़ः लाल है । खुजली, पचा. २६.८४५-उऔर देशा. ५४. ५० पू०के बचत लगती है। कोई उमको माटकादोष और कोई मध्य छोटी गण्डक नदौके पूर्व उपकूल पर और कृपरामे पूतन बतलाता है। ( वागट ) स तरपूर्वमें अवस्थित है। यहां चौनी स्व गुदगुदा (हिं.वि.)१ गूदेदार, मानयता । २ नरम, . गुदगुदा (हि० वि०)१ गूददार, मामयुता । में जिमकी सतह दबानसे दब जाय। करनेके चार कल है । इस स्थानसे दर दर गुदगुदाना (हिं. कि० ) १ छोटे छोटे बच्चे को प्रमद करने- चीनीकी रफतनी होती है के लिये कॉग्व या ठेहन में हाथ देकर शब्द करमा। गुंथवा (हिं. वि. ) जो गुथकर बनाया गया हो। २ मनबहलाव । ३ चित्तको चलायमान करना । गधयाना (हिं० कि० ) दूम के द्वारा गुथनका काम गुदगुदाहट (हिं.) गगदी देवा ! गुदगुदी ( हि स्त्री०) काँश्व और पेट अादि मामल गुद (स. क्लो० ) गोदते खेलति चलतीति यावत् अपान ___ स्थानों पर अङ्गली हारा सुरसुराहट वा मोठी खुजली। वायुमेन गुट-क । १ मन्नत्यागहार, जिम रास्त मे मन्न गुदगुदो-बम्बईके धारवाड़ जिलेका एक क्षुद्र ग्राम । यह बाहर निकलता है। हमका पर्याय अपान, पाज, गुह्य हांगलसे ५ मोल उत्तरपश्चिम पड़ता है। आबादी कोई प वर्म है। सुश्रुतक मतसे गुह्यदेश पांच अङ्ग ल २३७ है। यहां कलपका एक मन्दिर है उसमें १०३८ पायतका है। इसमें कई एक स्थ म अन्त्र अथात भला और १०७२ ई के दो शिलालेख लग हैं। भयो मम्तहार पर्य स 'वस्त त मल बाहर निकलनको गुदग्रह ( सं० पु० ) गुद तदव्यापार गृहाति ग्रह-अच जहानियां हैं। उन ममम्त प्रणालियों वा स्थल अम्ब- तत । १ उटावत रोग। कोष्ठ बडका रोग । 3.1 नि: सापागल परिमित स्थानको गुद कहते हैं। गुध- २ पायुवेदना । मलहारमें दर्द । देवी मङ्गलमे कुछ अधिकको दूरी पर प्रवाहणी, गुदजन्न ( स० पु. ) कट शूरण इङ्गली जमीकन्द । विसमी और सम्वरणी नामको तीन बनी है। वे गुदजारि ( मं० पु. ) देवताड़वृक्ष, राम बाम । नौगी बलियाँ चार अङ्गाल प्रायतके है। हाथोके तालुके गुदड़-१ गुदड़ी, संन्यासियोंके पहननेका वस्त्र । २ समा- सका वर्ण है। गुघदेशजात रोए के अन्तर्भागसे दाय विशेष, ब्रह्मगिरि इम सम्प्रदायके प्रवर्तक रहे। यव परिमित स्थानको गुदीष्ठ कहते हैं। अन्य देखी। लोगों के कथनानुसार गोरक्षनाथने ब्रह्मगिरिको मन्त्र न (पु.) वलयाकार गुदस्थान। ३ गुचदेशके निकट- देकर कर्णकुण्डस्लादि प्रदान किये थे : ब्रह्मगिरिने भी में राम माधारणतः योनि शब्दके अर्थ पर गुद शब्द गुदड़ प्रभृतिको इमे व्यवहार लिये दिया । ये मदा बात होता है। गेरुआ वस्त्र परिधान करते हैं, इनके एक कानमें कुण्डल गुदकार (हिं० वि० ) गूदेदार, जिममें गूदा हो । २ गुद- और दूसरे कानमें पौधड़के पदचिन्हित ताम्ब की गद्दी गुहा, मोटा। रखती हैं। ये अपने कुण्डलोंको खेचरीमुद्रा कहा करते गुदपीक (सं० पु०) गुदे कोल इव । अशरोग, बवासीर हैं। ये हाथमें धपदानो लेकर और उसमें धप जलाते हुवे मुबाकी ( मं० पु. ) गुदकोल एव स्वार्थे कन् । अर्थ इधर उधर भिक्षाके लिये बाहर निकलते हैं। किसी रोग बबासीर। संन्यामीको मृत्य होने पर वे उसकी पत्य टिक्रिया गुदा ( स० त्रि०) गुदकौलं हन्ति इन्-लिप। करते हैं।