पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/४०७

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गुप्तकाल ४. दित्य, शक, वलभी और गुपके नामसे सम्वत्का व्यवहार, इमके उपरान्त उक्त टमम माहबन १८५५ ई में गा करते हैं। शक-मम्वत्से २४१ वर्ष पीछे वनभो मम्वत् । कालके विषयका एक निबन्ध प्रकाशित किया। जिसमें चला है। गुगकालके विषयमें ऐसा है-गुल नामके अपने लासेनके मत (४)का प्रवल बन कर १५० मे १६. निष्ठ र और दुन्ति कुछ लोग थे, उनके उच्छ दके बादमे, ईके भीतर भीतर ( ५ ) गुणराजानीका अभ्यु दयकान ही यह मम्वत् चला है। गुगोंके बाद वल्लभी सम्वत् स्थिर किया। परन्तु कुछ दिन बाद अपने इस मतको चला। इसी तरह जिम समय यजजिद का मम्वत् ४०० बदल दिया और लिखा कि, ग हाराजोंक शिलालेखमें था, उस समय थीहर्ष मम्वत् १४८८, विक्रममम्वत् उकोण मवत और शककाल दोनों एक ही हैं । () १०८८. शक ८५३, वल्लभी और गुणकाल ७१२ था। १८४४ ई में प्रधान प्रत्रतत्त्वविद कनिङ्गहामने भेलमा- फरामोमी विहान रेनोको उक्त पुस्तकको पढ़ कर के बीचस्तूपके विषय में एक बड़ी पुस्तक प्रशाशित की पहिले पहल प्रत्नतत्त्वविदोंने यह निर्णय किया कि, जब थो, जिममें लिखा था-"३१८. ई०से गुप्त ।ाल प्रारम्भ गुहावंशकै ध्वस के बाद कमवत् (२४१ ३१८ १८ ई०) हा है । माल म होता है रेनो माहबका अनुवाद ठीक मे गहाकाल प्रारम्भ हा है, तब यह बात निशित है, कि नहीं, अथवा अबरहान ( अलबोरुनी) ही भ्रममें पट गुमराजगण उममे वहुत पहले विद्यमान थे । गुप्त-मम्राटोंके गये होंगे। ग आवशके ध्वजमे ग अकाल चन्ना है, यह जितने भो अनुशामन-पत्र आविश्कत हुए हैं, उनमेंसे बिल्क ल असम्भव है। क्योंकि इस बातको हम मिश्रयम अधिकांशम किसी निर्दिष्ट सम्वत् अङ्क लिखे हुए हैं। जानते हैं कि, इमको ५वीं या ठीं शताब्दोमें ग मराजगण अब उन अङ्काको प्रथम किम ममयसे गणना प्रारम्भ होतो राजत्व करत थ (७) किन्तु इन्होंने थोडं दिन बाद है. दमका निर्णय करने के लिये मभीको बडी भारी समस्या ही इम मिधान्तको बदल दिया और पीछ गहरीगवेषणाके में पड़ना पड़ा है। सबसे पहले जम्म प्रिन्म प माहब- बाद स्थिर किया कि, १६६६७ ई०मे ग मामम्बत् प्रारम्भ ने कहाउम म्तम्भ पर खुदे हुए स्कन्दगुहा के शिलालेखमें हुआ है । (८)। इसी तरह फिज एडवर्ड हानने (वापु. हम तरहक १३३ अङ्क देखे थे, उन्होंने भ्रमसे उस लिपि | देवशास्त्रीकी महायतामे) १८०-८१ ई.मे और भारतक को स्कन्दगुसको सममामयिक न लिख कर हमकी मृत्य सुपण्डित डाकर भाजदाजोने ३१८ ई०से ग तकालका के १३३ वष पीछेको लिावा है । (२) प्रारम्भ स्थिर किया है। भाजदाजोके मतमे वलभीरान ___ इसके बाद टमस माहबने फरोमो विद्वान् के मानु- वंशका अन्त होने पर कुमारगल और स्कन्दगुष राजा सार और ८४५ वलभी मम्वत्के वेरावल के शिलालेख के | हुए थ (८.) । इसके अतिरिक्त और भी बहुतमे ऐतिहा अनुसार ऐमा स्थिर किया --वलभी मम्वत् ई० मं० ३१८ मिकीने विपरीत मार्ग का अवलम्बन कर ग ममम्बत्के मे प्रारम्भ हुआ है। यह मम्वत् सम्भवतः गुरुसेन द्वारा | प्रारम्भकालके निर्णयका प्रयत्न किया है। चलाया गया है। इलाहाबाद, जुनागड़ और भितरोके फागुमन साहवने १८६८ और १८८० ई० में गुणाकाल शिलालेखमें वर्णित गुप्तराजानीने छा ममयमे पहले के विषय में दो निबन्ध प्रकट किये थे (१०)। उन लेखों राज्य किया था। शकराजाओंके बाद ही मौराष्ट्रमें गुहा में आपने रेमो माहब हारा वर्णित अलवैकनीक मतको राजाओंका एकाधिपाया था । (३) (४) Indischo Alterthumskunde, Vol. II. (3) M. Reinand's Fragments Arabes et Persans, p. (५) Journal of the Asiatic Society of Bengal, Vol. 128H. XXIV. p. 371ff. (२)Journal of the Asintic Society of Bengal, Vol. VII (C) Fleet's Inscriptionum Indicarum, Vol. III. p.32. (.) Gen. Cunningham's Blhilsa Topes, p. 138 ff. (१) Journal of the Royal Asiarie Society, Vol.x11 (6) Indian Eras, p.53-59 (0. S.) p. Iff. 1 (6) Journal Bombay branch R.A.S. VEVIII.GIt. Vol. VI. 102 p. 36-37.