पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/४१७

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गुमानौ-गुरड़ा पटनमें बतलाते हैं। इनके बनाये ह ए श्लोक चार चरण-| गुयासुवा–बङ्गालमें २४ परगनेके अन्तर्गत एक नदी। यह विशिष्ट हैं, प्रथम तीन संस्कृत भाषामें और शेष एक हिन्दो | गङ्गाकी एक शाखा है जो प्रक्षा० २१ २८७० मोर भाषामें रचित है। गुमानो देखा। देशा० ८८.५४ पूर्व पर समुद्रमें पा मिली है। यह नदी गुमानी (हिं० वि० ) अहंकारी, घमंडी। विस्तार होने पर भी मुहानाके निकट इतनी बक्र हो गई गमानी-बिहार प्रान्तीय पटना के एक कवि । उनकी है कि इसमें प्रवेश करना दःसाधा है। बनायो कविता विहारके लोगोको कण्ठस्थ है। इसके गयिन्दी-चिङ्गलपट जिल के अन्सगत एक ग्राम । यह प्रथम तीन पाद सस्कृत और चौथा हिन्दीको लोकोक्ति अक्षा० १३ उ० और देशा० ८०.१६ पू॰में मन्दाजसे. है। जैसे- मोल सिण-पशिम पर अवस्थित है। यहां मन्द्राजके "याक्ट्रामः शस्त्रधारा भायातो त्वतसारो। गवर्नरके रहनका एक सुन्दर घर है, और इसके निकट तावत्तके देया नार। ज्यों ने त्यों कम्बन भारी॥" मोदरी रावणसे कहती है--जब तक राम यहाँ ही रोममवागमें गवन मण्टको एक आढ़त एवं गास्थ्य हथियार बांध करके आपसे लडने न आवें, उनको जानकी शिक्षाको एक विद्यालय भी है। प्रत्यर्पण कर दो; क्यों कि जितना हो कम्बल भोगता, गुरंबा (हिं पु० ) गुबा देवा । भारी पड़ता है। गुर (हि पु०) १किसी कार्य को मिविक मलमन्त्र । गुमानजी मिश्र-युक्तप्रान्तके हरदोई जिलेमें साड़ोके रहने- २ तीनको मख्या। वाले एक हिन्दी कवि। १७४० ई०को उनकी खूब | मुग्खई (हिं. स्त्री० ) एक तरहको रहन वा बंधक । चहल पहल थी। संस्कृत और वाक्य रचनामें वह बहत गुरवाई (हिं स्त्रो० ) एक तरहको रहन जिसमें रहन कुशल थे। युगलकिशोर भट्टके साथ गुमानजी दिल्लोक रखनेबाला जमोनको टत्यांश मालगुजारी दता है। बादशाह मुहम्मदशाहके दरवारमें जाते थे। फिर गुग्गा (#ि पु०) १ शिष्य, गुरुका अनुगामी, चेला । उनका प्रवेश अली अकबर खां मुहम्मदीको सभामें हुआ । २ अनुचर, टहल पा, नौकर । ३ चर, दूत, गुमचर, उन्होंने नैषधको टोका कालनिधि, पञ्चनलीय टोका भदिया। मलिल और कृष्णचन्द्रिका अन्य लिखे । गुरगाबी ( फा० पु० ) मुंडा जूता। गुमश्ता ( फा० पु. ) कर्म कारक, प्रतिनिधि। .. गुरच (हिं. ) गुरुच देखो। गुमाश्तागिरी ( फा० स्त्री०) १ गुमाश्त का पद । २ गुमा- गुरची ( हि स्त्री. ) सिकुड़न, बल, बट । । स्त का काम। गुरची ( हि• स्त्री० ) प्रापसमें धीरे धीरे बात करना, गुमिटना (Eि क्रि०) लिपटना, लपटा जाना । कानाफ मी। गुमटी ( सं• स्त्रो०) तृण धान्य विशेष । गुरज (हिं० ) गुनदेखो। गुम्फ ( स० पु०) गुम्फ नत्र । १ ग्रन्थन, गाँठ। २ वाह - गुरजा (हिं पु०) लोवा नामक एक तरहका पक्षी। में पहननका आभूषण। ३ श्मश्रु , म छ। गुरड़ा-ब्राह्मण जातिविशेष। यह राजपूतानेमें रहते है। पना ( म स्त्रो० ) गुम्फ-युच्-टाप। १ वाक्यकी इनका प्रधान कार्य प्रकृत लोगोंको वृत्ति है। उनका विररचना, उत्कृष्ट रचना । २ ग्रन्थन, गिरह। दानपुण्य लेते और विवाह आदि कार्य करा देते हैं। गुम्फित (स.वि.) ग्रथित, गूथा हा। किसी विहानके मतानुमार वह ब्रह्माकं पुत्र मेघ ऋषिसे गुम्बज (फा० पु०) मस्जिदका गोलाकार वृहत् छत, उत्पन्न ह ए हैं। दूमरों का कहना है कि उन्होंने एक घरका गोल हत। मरी हुई गायको उठा करके फेक दिया था। उसी समय- गुम्मट ( फा• पु० ) गुषद, गुधज। से यह पतित हुए और ब्राह्मणोंमें न रह सके। और गुन्मा ( वि. पु. ) अंगरेजी ढङ्गकी इमारतोंमें देने लायक प्रवाद है-गर्ग ऋषिके सन्तान पहले पकृत लोगोंका मोटीईट। विवाह कराते थे। प्रधाने उनें केषमा विवाह करान-