पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/४२६

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४२४ गुरुत्त्वक-गुरुदासपुर उनके मतमे गुरुत्व पुहलका गुण है ; जीवात्मा, धम के लिये अमाधा साधन किया था। गुरु शिष्यसे दक्षिणा अधर्म, आकाश और काल इन पञ्चद्रव्यांक अतिरिक्त जगत स्वरूपमें जो कुछ चाहते थे, शिषा प्राणपणसे उमोको में जितने भो पदार्थ हैं, उन सबमें गुरुत्व गुण मौजूद है। माधन करनेकी चेष्टा करते थे। उस तरहको गुरुदक्षिणा- २ महत्त्व, गौरव, बड़प्पन । ३ अधयापकत्व, उपदेश की प्रथा अब कहाँ पर देखी नहीं जातो । विष्णुपुराणमें कत्व, मुदर्गिमका काम। ४ पूज्यत्व, पूजापना। ५ काठिन्य- लिखा है कि कृष्णवलरामन गुरुदक्षिणा चुकानेके लिये कठिनता। सान्दीपनके मृत वा अपहृत पत्रको ला अपने गुरुको । गुरुत्त्वक (मं० पु. ) भारीपन । दिया था। उतङ्क, न प्रभति शब्द देखि। । गुरुत्त्वकेन्द्र (सं० पु०) पदार्थ विज्ञानमें पदार्थीक बीच वह गुरुदासपुर-पञ्जावके लाहोर विभागका एक जिला । यह बिन्द जिम पर यदि उस पदार्थ का मारा विस्तार मिमट अक्षा० ३१ ३५ से ३२.३० उ० और ७४ ५२ से ७५ कर आ जाय तो भी गुरुत्वकर्षणम कुछ प्रभेद न हो। ५६ प्र०में अवस्थित है। इसका क्षेत्रफल १८८८ वर्ग- गुरुत्वलम्ब ( मं० पु० ) किसी पदार्थ कं गुरुत्वकेन्द्रसे मोध मोल है । इसके उत्तर काश्मीर, पश्चिममें सियालकोट नीचे की ओर खीचो गई रेखा । जिला, दक्षिण-पश्चिममें अमृतसर, दक्षिण-पूर्व और गुरुत्वाकर्षण ( सं० पु. ) भारी चीजीक पृथ्वी पर गिरान पर्व में बिजाम नटी. कपरथल राज्य. सोशि: पूर्व में बिञ्जाम नदी, कपूरथल राज्य, होशियारपुर और का आकर्षण। भास्कराचार्य ने १२०० मंवत्म इस आक- कांग्रा जिला तथा उत्तरपूर्वमें चम्बाराज्य है। र्षगा-शक्तिका पता लगाया था। उन्होंने अपने मिखान्त- यह विपामा और रावी इन दोनों नदियोंके मध्य- शिरोमणिमें स्पष्ट लिखा है- वर्ती वारी दोआबके अन्तर्भुत तथा इरावती नदीके "भावटि शनि व मौतयात, ग्वस्थ गुरु स्वाभिमुख समक्तया । कूल तक विस्त त हो कर मियालकोटसे त्रिकोणाकृति भाषा से तत्वतमात्र मानि, ममे ममनातकपतित्वय रवे ॥ में हो गया है । यह जिला छोटो छोटी पहाड़ियोंसे परि- अर्थात् पृथ्वीमें आकर्षणशक्ति रहने के कारण ही वह पूर्ण है और बोचमें हिमालय श्रेणोक एक पहाड़के सूत्र- भारोमे भारो पदार्थीको अपनी तरफ खींचती है ; और के महार उत्तरको ओर जानसे उलहोमोके पावं तीय यह निश्चय है कि कोई पदार्थ पृथ्वी के आकर्षण मेही स्वास्थ्यनिवास तक पहुच मकता है। डलहोमीका भूमि पर गिरता है। य रोपके रहनेवाले न्य टनने भी । शेलावास धवलाधार नामक हिमावत पर्वतके ऊपर सन् १६८७ई में गुरुत्वाकर्ष गर्क सिद्धान्तका पता चलाया अवस्थित है । पर्व नके नीचे स्थान स्थान पर वहादुरी था। एक दिन अपने उद्यान में बैठे हुए उन्होंने वृक्षसे एक काष्ठ तथा दूसरे दूमरे वृक्षोंसे परिपूर्ण अधिताकाका फल नीचे पृथ्वो पर गिरते देखा। उसी समय उन्होंने । समूह देखा जाता है। अनुमान किया कि अगल बगल फल न गिरकर नीचे पृथ्वी ___ साधारणतः जिलेका मम्प गर्ग क्षेत्र समतल है, केवल पर ही गिरा इसका कारण पृथ्वीको आकर्षणशक्तिसे पश्चिमका भाग कुछ ढालू है। जिलेमें बहुतसी झीलोंके भिव टूमरा कुछ नहीं है। मधा जमीन पड़ी है, जहां धान तथा मिंघाड़े की फसल गुरुत्वानुभावकता ( मं० स्त्रो०) गुरुत्वानुभावकस्य धर्मः अधिक होती है। गुरुत्वानुभावक-तल-टाप् । जो वृत्ति द्वारा गुरुत्वका ___मोगल राजाओंके ममय वटाला और पठानकोट अनुभव कर सकता है। इसके प्रधान नगर थे । बटाला नगरमें सम्राट्के सौतेले गुरुदक्षिणा (सं० स्त्री० ) गुरुप्रदेया दक्षिणा । अध्ययन । भाई समसेर खाँका राजाप्रमाद था और वहां उनको समान होने पर गुरुको सन्तुष्ट करने के लिये जो कुछ भेंट बनायो हुई एक सुन्दर पुष्करणी आज भी विद्यमान है। दो जाती है उसे गुरुदक्षिणा कहते हैं। इस देशमें बहुत पठानकोट नगरमें एक ममय राजपूत राजाओंको राज- प्राचीन कालसे गुरुदक्षिणा देनेको प्रथा चली आती थी। धानी थी। प्रवाद है कि-१२वीं शताब्दीमें जैतपाल उता प्रभृति कई एक मुनिने गुरुदक्षिणासे उऋण होने- नामक एक राजपूतने दिल्लीसे आकर यह नगर स्थापन