पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/४२७

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गुरुदासधर किया। बाद उनके वशधरीने काङ्गड़ाके निकटवर्ती तक बटालावामी सर्दार भगवानसिंह गुरुदामपुरके एक नरपुर नगर में अपना राजभवन निर्माण किया । कलानो प्रधान भूम्यधिकारी थे। ये मिख सन्याधाक्ष तेजसिंह नगरमं मम्राट अकवरने उनके पिताको मृत्युका मम्बाद के भागिनय होते थे। १८४१ ई में फिरोज शाह पोर पाया और उसी जगह उन्होंने स्वयं मम्राटको उपाधि मोबावनके यम तेजमिहने अगरेजीमे बटालेवा पति- ग्रहण की थी। इरावतीकूलस्थ हरा नामक नगर मिख- कार पाया था। गुरु नानकका परिचायक था । उक्त नगरके निकटवत्तों इस जिले में बटाला, देरानानक, दीना नगर, अजन- एक ग्राममें १५३८. ई० में नानकको मृता, हुई थी। पुर, कलानौर,श्रीगोविन्दपुर और गुरुदामपर प्रतिवर्ष मोगल राजत्वक ममयमें इस जिलका कुछ विशेष इति- एक नगर हैं, जिनमेंस देरानानक और श्रीगोविन्दार हाम नहीं पाया जाता है। परन्तु सिख जातिके अभ्यु : नगर मिग्वाँक परम पवित्र स्थान हैं। डलहोमोका का- दय होने पर एक पक्षमें राजकीय शामनकर्ता और वाम ममुद्रपृष्ठसे ७६८७ फुट ऊँचे पर है। ग्रीन दृमरे पक्षमें अहमद शाह दरानो विरुद्ध युद्ध करके में यहाँ बहुतमे मनुष्योंका समागम होता है। ... मिख मर्दार क्रमश: अपन अपने आवश्यकतानुमार पञ्जाव यहांके जङ्गलमें चौता, भेड़िया, बिन्नाव, सूअर, नोख. और शतट्रक दोनों पाखवतों स्थानों पर अधिकार कर गाय और हिरण पाये जाते हैं। इस जिलेको जलवाय रहने लगे थे । कान्हिया दलके अधिपति मान जाटवंशीय अत्य त्तम है। वर्षा भी यहां अधिक होती है। यह अमरसिंहन बारी दोआवका पश्चिमांश हस्तगत किया लगभग १५ सेकेन्द्री, १४२ प्राइमरी स्कूल, ५८ एलिमेन्ट्री तथा रामघरिया दलके मर जगरामिहने दोना नगर स्कूल और ३ ऐङ्गलोवर्नाक्य लर हाई स्कूल हैं । विद्या कन्नानौर श्रीगोविन्दपुर बटाना प्रभृति नगर अधिकाग्मं विभागमें प्राय:८२००० रुपये खर्च होते हैं, जिनमेमे गव- कर लिये । कान्हिया मर्दारसे जगरामिह परास्त हो कर में गट ७००० रुपये देती है। भाग चले, फिर भी १७८३ ई में उन्होंने अपना गजा जिलेको प्रधान उपज गह, जौ, चना, ज्वार, बाजरा, पलटा लिया। १८०३ ईमें जगगसिंहकी मृता हुई। रुई और ईग्व है । १८६८.७० ई०में जो दुर्भिक्ष पड़ा था बाद उनके पत्र योधसिंह राजा हुए। ये राजा रणजित- उमसे अमृतमरके मनुषयोंको भी अमीम कष्ट भोगना पड़ा सिंह मित्र थ । १८१६ ई में इनकी मृतार्क बाद रण- था। देशके उत्पन्न द्रव्योंकी रफतनी करनी ही जिलेवा जितने वह स्थान अपने गजामें मिला लिया । १८०८ प्रधान व्यवमाय है। आमपामके ग्राममेिं रुईये एक ई में अमरसिंहका अधिक्कत राजा सिख शामन अधीन प्रकारके मोटे वस्त्र प्रस्तुत होते हैं। आ गया । प्रथम सिखयुद्धको ममासिके बाद १८४६ ई०में २ पञ्जाब प्रदेशके अन्तर्गत गुरुदामपुर जिनेवीत सिखोंसे पठानकोट और उसके निकटवर्ती पाव तोय मौल। यह अक्षा० ३१. ४८ से ३२. १३ उ.और विभाग इष्ट इगिडया कम्पनीको अर्पण किये गये । इम देशा० ७५६ मे ७५ ३६ पू०में अवस्थित है। वापस ममय यह प्रदेश काङ्गड़ा जिलान्तगत था। बाद १८४६ प्रायः ४८.६ वर्गमील है । इसके पूर्वमें बियास और सर ईमें बारी-दोषाबका उत्तरांश स्वतन्त्र जिलेमें परिणत पथिममें रावी है। इन दोनी नदियोंकी अधित्वका हुआ। इम समय बटाला नगरम डमको मदर अदालत जङ्गनसे घिरी और उर्वरा है। यहांकी लोकसंख्या प्रायः थो। २५८३७८ है। इममें गुरुदामपुर, दीनापुर और बसा. १८५५ इ० को राबी नदीको दूमरो पारमें शकारगड़को नौर शहर तथा ६६८ ग्राम लगते हैं। तहमोल इमके अन्तभुत हो कर गुरुदासपुर नगरमें सदर ३ इसी नामक जिले और तहमोलका सदर | अदालत स्थापित हुई। १८६१-६२ ई०में उनहोमो- अक्षा० ३२३ उ. और ७५°२५ पृ० उत्तर-पत्रिीय शेलावास और उसके निकटस्थ ममतल नेत्र समूह पर रेलवेको अमृतसर-पठानकोट शाखा पर अवखितः। अङ्गीज गवराटने अपना अधिकार जमाया। कुछ काल यह रेल हारा कलकत्त से १२५२ मील, बम्बईसे र Vol. VI. 107