पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/४३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

खिलाकत १९ माईमको हुकूमत-मोन्सासिरके मरने पर उनके इनके शासन कालको सम्राट श्म बसील मुमल- उनके चचेरे भाई प्रल मानोंसे कामयाबोके माथ लड़े, किन्तु ८८४ ई०को बुरे फतके सखल पर बैठे थे । परन्तु ८५५ ई०को तौरसे हारने पर उनकी फौज, सेनापति और कितने वह वगदाद भाग गये पौर मोसान खस्तीका ए। दूसर माथी मर मिटे। . एमासानका राज-८८६ ई.के जमवरी माम १५ मोतदिदका सामन---८८१ ई०को मोतमिदके मरने बगदाद में यह सखत मशीन हुए और पपनी खिला- पर उनके लड़के अबूल अब्बास अन्न् मोतदिद नामसे तस्कृत फतको मुखालिफत करनेवाले तुकी सेनापति वसीद नशीन हुए। यह बहुत लायक और ताकत वर थे। और दोधाके पंजेसे छूटने की कोशिश करने लगे। हमदानकी मददमे मेमोपोटामियाके खरीजीय कुचल इन्होंने अपने एक भाई मवय्यदको मार डासा । डाले गये। दक्षिण-पश्चिम मटीया अबू दोलाफ घराना और दूमर मुत्रफफक को मुल्कसे बाहार बगदाद दबा दिया गया। अजरबैजन और अरमेनियाकै तर्फी को निकाला था। परन्त उन्हें फौजको कोई २०००.०० सूबेदारोंन बलवा खड़ा करना चाहा था, परन्तु उनको पशरफियां मनखाह देनी थी। इसमी बडी तमखा एक न चल मकी और इम माजिशमें शरीक होनेवाले चुका म सकने से वर पकड लिये गये पौर ८१८५०के। तारससके वाशिन्दे सजायाब हए और उनके जहाज जलाई मास केदखाने में भूखों मरे। इसी बीच जला डाले गये। मोस्तान और मिसरके मूबेदार पाजाद हुए। १७ मौकतफ की खिलाफत ८०२ ई०को मोतदिदके १७ मुहतदोको मिलकियत-माताजके गिरफ्तार होते मरने पर उनके बेटे मोकतफी खलीफा हुए। यह अपने की वाति के लड़के पल मुह सदी खितावके साथ आप फौज लेकर सौरीयाके कारमेथीयों पर चढ़े थे। खलीफा बने थे। वह गरोफतवा, सखी पोर जोरादर खलीफाके सेनापति मुहम्मदन दुश्मनको पूरे तौर पर शखम रहे। सम्होंने कमावतों और गयों को निकाल शिकस्त दी। परन्तु इम हारका बदला चुकानेको बाहर किया और मब खेल कूद बन्द कर दिया । वर (८०६ ई० ) मकासे लौटनेवाले कारवाके २०००० पाद- मनसिफीकी न मु तवजह हुए और लोगों की शिका. मियोंको मार डाला और बहुतमा माल असबाब लूट यो दूर करने की उनसे खुले तौर पर मिलने लगे। ८७.ई. के जून महीने तुर्की सिपाहियों ने मुहनदीको माकताफीके राजत्व कालको वेनजातीयोंसे बड़ा युद्ध मार डाना। हुआ। ८.०५ ई०को यमानी सेनापति पराड्रोनिकसबे १५ मातमोदका मिलकियत--मुहतदोके मारे जाने पर मुत- मरश अधिकार किया और हलषतक दबा लिया था, वकिलके लड़के मोतमीदको खिलाफत मिली थी। परन्तु परन्तु ८०७ ई०को ममुद्रमें मुसलमान फतेहयाब हुए याकूबने बलवा खड़ा करक नीशापुरको दखल कर लिया और इकोनियमको दबा बैठे। अन्सको वैजन्तनीय और इराक पर भी धावा कर दिया। खलीफा खदबखद सम्राटको बगदाद दूत भेज सुलह करनी पड़ी। नबीका जामा पहन उससे लड़ने गये। आखोरमें मुवफ् १८ मा कतादिर का समत्व -८०८ ई०के अगस्त मास मोक फकन उसे मार भगाया। ८६८ से ८८३ई. तक वसरामें ताफीके एकाएक मरने पर मोकातादिरके खिलाफत हबशियोंका बलवा दबाना पड़ा था, जिसमें बहुतसा मिली थी। यह मोकताफीक भाई थे। तख्तनशीनीके रुपया खर्च हुआ । ८८र०को खलीफाको सीरीया और वक्त इनकी उम्र १३ साल हो रही। बगदादके बहुत मेसोपोटेमियाके राजा अहमदके वजीरने कैद करकं मामरा बड़े आदमियोंने बलवा करकं पहले खलीफा मोताजके भेजा था । ८८६ ई०को अहमदकी पोती मोतमिदसे बेटे अबदुल्लाको खिलाफत सौंपी थी, परन्तु मोतादिद व्याही गयो । दशवर्ष पीछे खलीफाके सेनापति मुकत- घरवालोंने उन्हें मार डाला । मोकतादिग्में पच्छे फ़ोन मिसर विजय किया। गुणों का अभाव न होते भी उन्होंने शासनकार्य अपनी Vo VI. 11